Maharashtra Election: महाराष्ट्र में राजनीति और धर्मयुद्ध का कॉकटेल, भिड़ गए `भाऊ` और `भाईजान`, ये जुबानी जंग तो लंबी चलेगी...
Devendra Fadnavis Vs Owaisi: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी दोनों हेड टू हेड भिड़ गए हैं. ऐसा लगता है कि दोनों की ये जुबानी जंग लंबी चलने वाली है. पिछले कुछ दिन से दोनों कभी मंच तो कभी ट्विटर के जरिए एक दूसरे पर फायर नजर आए.
Maharashtra Election 2024: जैसे-जैसे महाराष्ट्र चुनाव की वोटिंग डेट करीब आती जा रही है, वैसे ही अब मुद्दों से ज्यादा नारों पर बात हो रही है. वोटों का ध्रुवीकरण एक अलग ही लेवल पर पहुंच गया है. इस चुनाव में किन मुद्दों पर चर्चा चल रही है सबसे पहले वो जानिए.
वोट जिहाद, धर्मयुद्ध, रजाकार, मीर जाफर, मीर सादिक, एक हैं तो सेफ हैं और गेरुआ कपड़ा. लेकिन राजनीति और धर्म के इस कॉकटेल में दो चेहरे इस वक्त आमने सामने हैं. भाऊ और भाईजान. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी दोनों हेड टू हेड भिड़ गए हैं. ऐसा लगता है कि दोनों की ये जुबानी जंग लंबी चलने वाली है. पिछले कुछ दिन से दोनों कभी मंच तो कभी ट्विटर के जरिए एक दूसरे पर फायर नजर आए.
एक-दूसरे पर फायर दिखे ओवैसी-फडणवीस
ताजा जंग में इतिहास के तीन किरदार सामने आए. रजाकार, मीर जाफर और मीर सादिक. वोट जिहाद, धर्मयुद्ध और औरंगाबाद से शुरू हुआ ये सियासी संग्राम अब इतिहास की ओर मुड़ता जा रहा है.
महाराष्ट्र चुनाव में मुस्लिम वोटों के जरिए कई पार्टियां सत्ता पाने की फिराक में हैं. और इन्हीं में से एक हैं असदुद्दीन ओवैसी. भाईजान के वोट के भरोसे ओवैसी ने मैदान में 14 उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन उन्हें डर है कि कहीं सामने खड़े मुस्लिम उम्मीदवार उनका वोट न काट दें. यही वजह है कि ओवैसी ने उन्हें मीर जाफर और मीर सादिक करार दिया है.
चुनावी दंगल में गद्दारों की एंट्री
मीर सादिक और मीर जाफर को इतिहास गद्दार के रूप में जानती है और असदुद्दीन ओवैसी उन मुस्लिम कैंडिडेट्स को ये खिताब दे रहे हैं जो AIMIM के सामने खड़े हैं. एक तरफ ओवैसी ने अपने सामने खड़े मुस्लिम उम्मीदवारों को गद्दार करार दिया है तो वहीं फडनवीस ने ओवैसी को रजाकार की उपाधि दे दी है.
देवेंद्र फडणवीस ने हैदराबाद के असदुद्दीन ओवैसी को रजाकारों का वंशज करार दिया है. इस चुनाव में नेता एक दूसरे को अलग अलग उपाधि दे रहे हैं. धर्म के नाम पर बयानबाजी खूब हो रही है. लेकिन इस बीच एक चीज जो नहीं हो रही है वो है.. विकास और जनता के सरोकार की बात. दोनों नेता एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं.
ओवैसी बोले- बीजेपी के पूर्वजों ने लिखे थे प्रेम पत्र
रविवार को असदुद्दीन ओवैसी ने वोट जिहाद-धर्मयुद्ध जैसी टिप्पणी को लेकर फडणवीस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी का ‘एक हैं तो ‘सेफ’ हैं’ नारा विविधता के लोकाचार के खिलाफ है. ओवैसी ने बीजेपी के श्रद्धेय माने जाने वाले हिंदुत्व विचारकों पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि फडणवीस के (वैचारिक) पूर्वजों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के बजाय उन्हें प्रेम पत्र लिखे थे.
फडणवीस ने 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करते हुए शनिवार को कहा था कि ‘‘वोट जिहाद’’ का जवाब मतों के ‘‘धर्मयुद्ध’’ से दिया जाना चाहिए. ओवैसी ने छत्रपति संभाजीनगर के जिंसी इलाके में एक जनसभा में कहा था, 'हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों के खिलाफ जिहाद किया था और फडणवीस अब हमें जिहाद के बारे में सिखा रहे हैं. नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस मिलकर भी मुझे बहस में नहीं हरा सकते.'
ओवैसी ने कहा था कि धर्मयुद्ध-जिहाद संबंधी टिप्पणी चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है. हैदराबाद के सांसद ने कहा, 'लोकतंत्र में वोट जिहाद और धर्मयुद्ध कहां से आ गया? आपने विधायक खरीदे, क्या हम आपको चोर कहें? उन्होंने कहा था, 'फडणवीस जहां वोट जिहाद की बात करते हैं, वहीं उनके नायक अंग्रेजों को प्रेम पत्र लिख रहे थे, जबकि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने विदेशी शासकों से कोई समझौता नहीं किया.'
'अब कोई संभाजीनगर का नाम नहीं बदल सकता'
इससे पहले 9 नवंबर को संभाजीनगर में एक रैली में फडणवीस ने कहा था, 'इस शहर का नाम अब कोई नहीं बदल सकता. यहां एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) की रैली में किसी ने पूछा कि संभाजी महाराज कौन थे. संभाजी महाराज नौ साल तक अपराजित रहे इसलिए हमने शहर को उनका नाम दिया है.' इस शहर को पहले औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था. इसका नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक रहे संभाजी के नाम पर रखा गया. फडणवीस ने आगे कहा था, 'राज्य में अब वोट जिहाद शुरू हो गया है. हमने लोकसभा चुनाव में देखा था. धुले में हम 1.90 लाख वोट से आगे थे, लेकिन मालेगांव (विधानसभा क्षेत्र) में 1.94 लाख वोट थे और हम केवल 4,000 वोट से हार गए. यह वोट जिहाद ही हमारी हार का कारण बना क्योंकि हम एकजुट नहीं थे.'