Sharad Pawar: महाराष्ट्र में करारी हार मिलने के बाद एनसीपी (SP) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हम कई वर्षों से सार्वजनिक जीवन में हैं, हमें ऐसा अनुभव कभी नहीं हुआ लेकिन अब जब हुआ है तो हम इस पर विचार करेंगे, समझेंगे कि ऐसा क्यों हुआ और नए उत्साह के साथ लोगों के सामने जाएंगे. परिणाम हमारे कोशिशों के मुताबिक नहीं रहे. उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हम (एमवीए) हमें यकीन था लेकिन ऐसा लगता है कि हमें और ज्यादा काम करने की जरूरत थी. इस मौके पर शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार को लेकर भी बड़ा बयान दिया है. 


हर कोई जानता है कौन है संस्थापक


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एनसीपी के संस्थापक शरद पवार ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित थे और उन्होंने स्वीकार किया कि यह लोगों का फैसला है. विधानसभा चुनावों में एमवीए की हार के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में, एनसीपी (एसपी) के नेता शरद पवार ने कबूल किया कि उनके भतीजे अजित पवार ने 288 विधानसभा सीटों में से 41 पर जीत हासिल की और कहा कि हर कोई जानता है कि एनसीपी की स्थापना किसने की थी. उन्होंने कहा कि चुनाव में अजित पवार को ज्यादा सीटें मिलने की कबूल करने में कोई झिझक नहीं लेकिन सभी जानते हैं कि राकांपा के संस्थापक कौन हैं.


बंटेगें-कटेंगे पर भी की टिप्पणी


उन्होंने महायुति की जीत के पीछे का एक कारण बताते हुए कहा कि मुमकिन है कि महिलाओं की बड़ी तादाद में हिस्सेदारी से चुनावों में महायुति को जीत मिली. हालांकि इस दौरान उन्होंने योगी आदित्यनाथ नारे 'बंटेंगो तो कटेंगे' का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'बटेंगे तो कटेंगे' नारे ने चुनावी माहौल को ध्रुवीकृत कर दिया.


रिटायरमेंट पर क्या बोले शरद पवार?


कराड में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,'अजित पवार और युगेंद्र पवार के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती. बारामती में अजित पवार के खिलाफ युगेंद्र पवार को मैदान में उतारना कोई गलत फैसला नहीं था.' उन्होंने कहा कि किसी को तो चुनाव लड़ना ही था. इसके अलावा कुछ एनसीपी नेताओं की तरफ से उन्हें रिटायर होने के लिए कहने पर जवाब 83 वर्षीय नेता ने कहा,'वे तय नहीं कर सकते कि मुझे क्या करना चाहिए. मेरे सहयोगी और मैं तय करेंगे.'


1999 के बाद सबसे खराब प्रदर्शन


शरद पवार के एनसीपी गुट को सिर्फ़ 10 सीटें मिलीं, जो 1999 में पार्टी (तब अविभाजित) की स्थापना के बाद से उसका सबसे खराब प्रदर्शन है.पिछले साल जुलाई में एनसीपी दो हिस्सों में बंट गई थी. शरद पवार के भतीजे अजित पवार और उनके प्रति वफ़ादार विधायकों के एक ग्रुप ने शरद पवार के ख़िलाफ़ बगावत कर दी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार से हाथ मिला लिया था. इसके बाद अजित पवार उपमुख्यमंत्री बने.