नई दिल्ली: आईसीसी विश्व कप-2019 (ICC World Cup 2019) फाइनल में जिस तरह मैच टाई होने के बाद इंग्लैंड को बाउंड्री काउंट के आधार पर जैसे खिताब दिया गया उसकी दुनिया भर में आलोचना हो रही और मांग उठने लगी है की इस नियम की समीक्षा की जाए. इससे पहले वैसे तो कई मैच टाई हुए हैं, लेकिन केवल दो बार ऐसे मौके आए हैं जहां कोई फाइनल मैच टाई हुआ है, लेकिन यह पहली बार है कि किसी फाइनल मैच में टाई की नौबत आई और सुपरओवर भी टाई हो गया. पिछली बार सुपर ओवर या बाउड्री काउंट जैसा नियम नहीं था. 


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कौन से थे वो दो फाइनल मैच
पहली बार कोई फाइनल टाई होने की नौबत ऑस्ट्रेलिया में 1984 की त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में हुई थी जो कि ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के बीच हुई थी. इसमें फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच हुए फाइनल मैच में टाई की नौबत आई थी. इसके बाद 2005 में इंग्लैंड की नेटवेस्ट सीरीज का फाइनल मैच भी टाई हो गया था. यह भी एक त्रिकोणीय सीरीज थी जिसमें इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और बांग्लादेश की टीमों ने भाग लिया था. यहां फाइनल मैच इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ था. यह भी एक रोमांचक मैच था लेकिन टाई रहा. 


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क्या हुआ था 1984 के उस फाइनल में
बेंसन एंड हेजेस सीरीज का फाइनल मुकाबला ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच होना तय हुआ था. खिताब बेस्ट ऑफ थ्री में दो मैच जीतने वाली टीम को दिया जाना था. पहला फाइनल वेस्टइंडीज ने 9 विकेट से जीता था. उसके बाद दूसरा फाइनल टाई हो गया था. इस मैच में वेस्टइंडीज ने पहले बैटिंग की और 50 ओवर में 222 रन बनाए. उसके बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम भी 50 ओवर में 9 विकेट खोकर 222 रन बना सकी. तीसरा और अंतिम फाइनल मैच भी वेस्टइंडीज ने जीत लिया. इस तरह टाई मैच का विजेता के फैसले पर कोई असर नहीं हुआ.


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नेटवेस्ट सीरीज में वही हुआ जो लोग अभी चाह रहे हैं
2005 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच रोमांचक मुकाबला हुआ. ऑस्ट्रेलियाई टीम पहले बैटिंग करते हुए 48.5 ओवर में 196 पर आउट हो गई. इसके जवाब में इंग्लैंड का स्कोर 10 ओवर के पहले ही 5 विकेट खोकर 33 रन हो गया था, लेकिन फिर भी इंग्लैंड ने शानदार वापसी की और 50 ओवर होने तक 9 विकेट पर 196 रन बनाए और मैच टाई हो गया. यहां विजेता का फैसला नहीं हो सका तो ट्रॉफी दोनों ही टीमों ने शेयर की.