लंदन:  इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच हुए विश्व कप (World Cup) फाइनल   मैच के वर थ्रो मामला अभी थमा नहीं है. इस मैच के आखिरी ओवर में इंग्लैंड को पांच के बजाए अंपायर ने छह रन दिए थे जिसके बाद मैच टाई हो गया था. बाद में इस पर काफी विवाद हो गया था. इस मामले ने गंभीर रुख तब लिया था जब यह मैच के टाई होने के बाद सुपर ओवर भी टाई हुआ जिससे फैसला बाउंड्री काउंट से हुआ. मैरिलबोन क्रिकेट क्लब (Marylebone Cricket Club) ने अब इस पूरे मामले की एक बार फिर से पड़ताल करने की घोषणा की है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

होगी पूरी घटना की समीक्षा
एमसीसी ने घोषणा की है कि है वह विश्व कप फाइनल में मार्टिन गप्टिल और बेन स्टोक्स वाले ओवरथ्रो मामले की इस साल सितंबर में समीक्षा करेगा. क्लब ने अपने एक आधिकारिक बयान में कहा, “विश्व क्रिकेट कमेटी ( डब्ल्यूसीसी) ने पुरुषों के आईसीसी विश्व कप फाइनल के संदर्भ में ओवरथ्रो संबंधित 19.8 नियम के बारे में चर्चा की. डब्ल्यूसीसी के लगा कि नियम पूरी तरह साफ था, लेकिन सितंबर 2019 में एक सबकमेटी मामले की समीक्षा करेगी. 


यह भी पढ़ें: World Cup 2019: गंभीर-रोहित-युवराज सहित कई लोगों को हजम नहीं हो रहा है बाउंड्री नियम


हमेशा याद रखा जाएगा यह फाइनल
इंग्लैंड ने पिछले महीने की 14 तारीख को पहली बार विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया था. इस फाइनल को लंबे समय तक याद रखा जाएगा क्योंकि 50 ओवर और उसके बाद सुपर ओवर खेले जाने के बाद भी इस मैच में विजेता का फैसला नहीं हो सका था क्योंकि दोनों ही टाई हो गए थे. अंत में इंग्लैंड को विजेता घोषित कर दिया गया था क्योंकि उसके बाउंड्री काउंट (26) न्यूजीलैंड के बाउंड्री काउंट (17) से ज्यादा थे. न्यूजीलैंड ने इंग्लैंड के 242 रन का लक्ष्य रखा था. 


यह हुआ था आखिरी ओवर की चौथी गेंद पर
मेजबान टीम को आखिरी तीन गेंदों में 9 रन की दरकार थी. ओवर की चौथी गेंद पर ऑलराउंडर बेन स्टोक्स ने डीप में शॉट खेला और वे दो रन के लिए दौड़े. न्यूजीलैंड के मार्टिन गप्टिल ने विकेटकीपर छोर पर गेंद फेंकी लेकिन गेंद स्टोक्स के बल्ले से लगकर बाउंड्री के पार चली गई. इन ओवर थ्रो के कारण इंग्लैंड को इस गेंद पर कुल छह रन दिए गए. इसके बाद ही बाउंड्री काउंट नियम के साथ ही इस मामले में भी काफी बहस हुई थी.  


साइमन टॉफेल ने उठाया था यह मुद्दा
वहीं ऑस्ट्रेलिया के पूर्व अंपयार साइमन टॉफेल ने  इस मुद्दे को उठाया कि फिल्ड अंपायर कुमार धर्मसेना और मराइस एरास्मस ने ओवरथ्रो मामले में गलत फैसला लिया था. उन्होंने कहा था कि अंपायर से फील्डर के बॉल फेंकने के टाइमिंग को लेकर गलती हुई थी. ओवर थ्रो फिल्डर के गेंद उठाने के बाद से काउंट होता है. नियम 19.8 ओवरथ्रो या विलफुट एक्ट ऑफ फील्डर के बारे में कहता है, “यदि कोई किसी ओवर थ्रो से या फिल्डर की ओर से किए गए जानबूझ के किए एक्शन से बाउंड्री मिलती है, उस स्थिति में जो पूरे रन दौड़े गए हैं, उनके साथ बाउंड्री, और अगर अधूरा रन जिसमें बल्लेबाजों ने बाउंड्री क्रॉस कर दी हो, बल्लेबाजी टीम को दिए जाएंगे.”


अंपायर्स को भी काफी कुछ एक साथ देखना पड़ता है
टॉफेल ने फील्ड अंपायर्स का भी बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि अंपायर्स को हर गेंद पर नजर रखते हुए काफी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है. उन्होंने कहा था, “ इस मामले में अंपायर्स के पास गौर करने के लिए काफी कुछ था, क्योंकि हर गेंद की तरह उन्हें यह भी देखना था कि बल्लेबाज ने रन पूरा किया है. उन्हें गेंद को फील्ड होते भी देखना था, यह भी कि फील्डर ने सही काम किया है या नहीं. उसके बाद उन्हें यह भी देखना था कि फील्डर ने गेंद कब रीलीज की यदि ओवरथ्रो है तो. और यह हर गेंद पर होता है, इसके अलावा उन्हें यह भी देखना था कि उस समय बल्लेबाज कहां होते हैं. 


कहां होना चाहिए था स्टोक्स को अगली गेंद पर
टॉफेल ने कहा था कि अंपायर्स से गलती यह हुई कि दूसरे रन के समय स्टोक्स और आदिल राशिद ने क्रॉस नहीं किया था. रीप्ले में दिखाई दिया कि थ्रो होने के समय बल्लेबाजों ने एक दूसरे को क्रॉस नहीं किया था. इस कारण इंग्लैंड की टीम को पांच रन ही दिए जाने चाहिए थे और स्टोक्स को अगली गेंद पर नॉन स्ट्राइकर एंड पर होना चाहिए था.
(इनपुट एएनआई)