MDMA Drus NDPS Act: कहा जाता है कि पुलिस चाह ले तो अपराधी तो दूर परिंदा भी पर नहीं मार सकता. वहीं खाकी अक्सर कुछ अफसरों और पुलिसकर्मियों की वजह से विवादों में भी रहती है. कभी पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल उठता है तो कभी पुलिस ऐसी गलतियां कर जाती है कि बेगुनाहों को सजा भुगतनी पड़ती है. यहां बात मध्य प्रदेश पुलिस की (MP Police) की जिस पर सवाल उठ रहे हैं कि उसे साधारण यूरिया और एमडीएमए ड्रग्स में क्या अंतर है ये नहीं पता है?


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एमपी पुलिस को फॉरेंसिंक रिपोर्ट से झटका


दिल्ली स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब से मध्य प्रदेश पुलिस (MP Police) को उस वक्त तगड़ा झटका लगा, जब एक रिपोर्ट में ये पता चला कि पिछले साल ग्वालियर पुलिस द्वारा कथित तौर पर जब्त की गई नशे की खेप में 'MDMA Drugs' या कोई भी और नशीला पदार्थ नहीं था. कुछ दिनों में ये दूसरा ऐसा मामला है जब पुलिस महकमे की इस तरह किरकिरी हुई है.


क्या था पूरा मामला?


ग्वालियर के इस मामले में एक शख्स की गिरफ्तारी हुई थी. इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग के मुखिया यानी DGP को आरोपी रोहित तिवारी को गलत तरह से कारावास में रखने के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था. बताते चलें कि रोहित तिवारी को 6 सितंबर 2022 को मोरार पुलिस ने एनडीपीएस (NDPS Act) और आर्म्स एक्ट (Arms Act) के तहत गिरफ्तार किया था.


अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि तिवारी को एसआई सुमित्रा तिग्गा और उनकी टीम ने प्रतिबंधित सामग्री के बारे में विशेष जानकारी पर गिरफ्तार किया था और पुलिस ने उनके पास से 720 ग्राम 'MDMA' जब्त की थी. नशे की कथित खेप का सैंपल सेंट्रल फोरेंसिक लैब, भोपाल भेजा गया, जहां कहा गया कि उसमें कोई MDMA नहीं था और वो साधारण यूरिया था. तिवारी के वकील ने कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया है. हाई कोर्ट ने उन्हें दो महीने की अंतरिम जमानत भी दी थी. इसके बाद रोहित तिवारी के वकील ने पुलिस के गलत आचरण के कारण तिवारी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए मुआवजे की मांग की.


कोर्ट का फैसला


हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने तब ये आदेश दिया कि तिवारी को जमानत पर रिहा किया जाए और डीजीपी को गलत कारावास के लिए दो महीने के भीतर उन्हें 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. हाईकोर्ट ने डीजीपी के अधीनस्थ अधिकारियों को भविष्य में ऐसी अनियमितता न दोहराने की हिदायत देते हुए कहा था कि- 'डीजीपी दोषी अधिकारियों से राशि वसूलने के लिए स्वतंत्र है.'


अपनी किरकिरी होते देख हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने सात और नमूने दिल्ली स्थित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेजे. वहां भी उस खेप में कोई नशीला पदार्थ नहीं मिला.


क्या होता है एमडीएमए ड्रग्स?


MDMA का पूरा नाम मिथाईलीन-डाईऑक्सी-मेथएम्फेटामीन है. इसे कई लोग मेथ भी कहते हैं. टैबलेट के रूप में मिलने वाले MDMA को एक्स्टैसी और इसके पाउडर को मैंडी भी कहते हैं. एमडीएमए ड्रग्स आमतौर पर रईसों की रेव पार्टी में इस्तेमाल होता है. एमडीएमए एक घातक रासायनिक नशीला पदार्थ है. पार्टियों में इसके बढ़ते चलन के कारण इसे पार्टी ड्रग भी कहा जाता है.


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यह चावल के दानों से बड़ा होता है. कई शहरों में इसे चावल कहा जाता है. 'चावल' कोडवर्ड से मांगने पर ही और मांगने वाले की नशेड़ी शक्ल देखकर ही ड्रग पैडलर इसे बेचते हैं. यह चीनी जैसा सफेद होता है, जिसका सेवन करते ही नशा करने वाले शख्स का शरीर सुन्न पड़ जाता है. इसका एक बार सेवन करने से कई घंटे नशा रहता है.


कई युवा इसका सेवन करते हैं. इसका नशा दिमाग पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है. इसे लेने वाले काफी समय तक नशे में टल्ली रहते हैं. MDMA को 70 के दशक में पॉपुलर केमिस्ट एलेक्जेंडर शाशा शुल्गिन ने वेस्टर्न कल्चर में काफी मशहूर करा दिया था. विदेशों में भी इसकी भारी डिमांड रहती है. MDMA का उपयोग मनोचिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है. ये इंसान के मूड, भूख, सेक्शुअल ऐक्टिविटी और बाकी तमाम जुड़ी चीजों पर काम करता है. इसका सेवन करने वाले को आनंद का अनुभव होता है. इसे अक्सर डिप्रेशन के मरीज को दिया जाता है.


यूरिया क्या होता है?


खेती किसानी में इसका यूज होता है. एक साधारण सा किसान भी हाथ से छूकर और उसे सूंघकर बता सकता है कि इसका उपयोग करना है या नहीं. लेकिन एमपी की पुलिस ये नहीं पता लगा पाई कि वो जिस पाउडर को ड्रग्स बताकर तारीफें बटोर रही थी एमडीएमए ड्रग्स नहीं था.