EWS कैटेगरी में स्कूल एडमिशन के लिए कोर्ट ने 5 गुना बढ़ाई इनकम की लिमिट, दिल्ली सरकार ने कहा...
EWS School Entry: अदालत ने कहा कि डीओई को नियमित अंतराल पर EWS एडमिशन का वेरिफिकेशन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल एलिजिबल लोगों को ही एडमिशन मिले
School Admission in Delhi: स्कूल एडमिशन के लिए ईडब्ल्यूएस कैटेगरी कोटा के दुरुपयोग को रोकते हुए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मौजूदा सीमा आय को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये सालाना कर दिया, जब तक कि सरकार कानून में संशोधन नहीं करती. इसने यह भी अंडरलाइन किया कि इनकम क्राइटेरिया इच्छित लाभार्थियों के लिविंग स्टैंडर्ड से मेल खाना चाहिए और दिल्ली सरकार से माता-पिता द्वारा आय की स्व-घोषणा की व्यवस्था को तुरंत खत्म करने को कहा है.
यह एक ऐसे व्यक्ति के मामले से निपटते हुए सामने आया है, जिसने वर्थ और इनकम सर्टिफिकेट में हेराफेरी करके EWS कैटेगरी के तहत संस्कृति स्कूल में अपने बेटे का एडमिशन कराया था, न्यायमूर्ति पुरुषइंद्र कुमार कौरव ने शिक्षा निदेशालय (डीओई) को इनकम वेरिफिकेशन के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रक्रिया तैयार करने और पात्रता मानदंड की नियमित निगरानी का आदेश दिया.
दिल्ली सरकार ने कहा, 'हम हाई कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का सम्मान करते हैं और उनका पालन करेंगे.'
अदालत ने कहा कि डीओई को नियमित अंतराल पर EWS एडमिशन का वेरिफिकेशन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल एलिजिबल लोगों को ही एडमिशन मिले और बताया कि जब दिल्ली में अनस्किल्ड लेबर की मिनिमम सैलरी 17,494 रुपये महीना है, तो यह मानना दूर की कौड़ी है कि कुल माता-पिता इस कैटेगरी के तहत एडमिशन चाहने वाले और महानगरीय शहर में रहने वाले बच्चे की इनकम सालाना 1 लाख रुपये से कम होनी चाहिए.
अदालत ने कहा, "यह साफ तौर पर आम लोगों को मजबूर कर रहा है, जो आर्थिक स्तर की सबसे आखिरी लाइन में आते हैं, अपने बच्चों के एडमिशन को सुरक्षित करने या सरकारी फायदों से दूर रखने के लिए गलत तरीकों का सहारा लेते हैं.' कोर्ट ने लड़के द्वारा उसके एडमिशन को रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन उसे जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स के रूप में वहां पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी.
न्यायमूर्ति कौरव ने अंडरलाइन किया कि 2013 में नामांकित बच्चे की कोई गलती नहीं थी और उसे अपने पिता के गलत काम के लिए पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए. अदालत ने लड़के के पिता पर अवैध तरीकों से दाखिला दिलाने और एक योग्य उम्मीदवार को प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ने के अवसर से वंचित करने के लिए 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
वंचितों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन सोशल ज्यूरिस्ट के अशोक अग्रवाल ने आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह "लंबे समय से लंबित" था. अग्रवाल ने कहा, "1 लाख रुपये की आय सीमा 2005 में तय की गई थी, और छठे और सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन और अनस्किल्ड लेबर की न्यूनतम मजदूरी 2.1 लाख रुपये सालाना तक बढ़ने के बावजूद, यह वहीं बनी हुई है."
हालांकि, उन्होंने इनकम के सेल्फ डिक्लेरेशन सिस्टम को खत्म करने पर आपत्ति व्यक्त की और कहा कि माता-पिता को हर साल अधिकारियों द्वारा इनकम सर्टिफिकेट जारी करने या वेरिफाई करने में बहुत असुविधा का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा, "हम इसे बड़ी पीठ के समक्ष चुनौती दे सकते हैं."