नई दिल्ली. शिक्षा किसी भी आदमी की बुनियादी आवश्यकता होती है, इसके बिना व्यक्ति का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता है. साथ ही शिक्षा हमारे लिए सफलता के मार्ग को आसान कर देती है. लेकिन करियर के शिखर पर पहुंचने के लिए उच्च शिक्षा आवश्यक शर्त नहीं है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण बॉलीवुड स्टार्स हैं. इनमें कई एक्टर्स ऐसे हैं जो कॉलेज नहीं गए तो कुछ ने बीच में ही अपनी कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी, इसके बावजूद वे आज अपने करियर में बहुत सफल हैं. ऐसे ही सफल व्यक्तियों को लेकर 'जी मीडिया' ने एक सीरीज की शुरुआत की है. इसके तहत हम ऐसे सफल व्यक्तियों की कहानियां बताते हैं, जो किसी कारण से पढ़ाई नहीं कर सकें, या फिर जिस फील्ड में वे जाना चाहते थे. उसके लिए पढ़ाई छोड़ दी. इसी कड़ी में आज हम बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री काजोल देवगन के बारे में बताइएंगे. काजोल ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं, बावजूद वह एक सफल अभिनेत्री हैं. 


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बॉलीवुड से परिवार का रहा है गहरा नाता
काजोल का जन्म 5 अगस्त 1974 को मुंबई में हुआ. काजोल दिवंगत निर्माता-निर्देशक सोमू मुखर्जी और पूर्व अभिनेत्री तनुजा की बेटी हैं.  काजोल की बहन तनीषा मुखर्जी अभिनय की दुनिया में एक्टिव हैं. उनके नाना-नानी भी भारतीय सिनेमा का हिस्सा रहे हैं. उनके पिता के भाई जॉय और देब मुखर्जी भारतीय फिल्म निर्माता थे, तो वहीं, उनके दादाजी एक फ़िल्मकार थे. उनके चचेरे भाई-बहनों में रानी मुखर्जी, शर्बानी मुखर्जी और मोहनीश बहल शामिल हैं, जो कि फिल्म जगत में सक्रिय हैं. उनके चचेरे भाई अयान मुखर्जी बॉलीवुड के फेमस निर्देशक हैं.


फिल्म 'बेखुदी' से किया डेब्यू
काजोल सेंट जोसफ कान्वेंट बोर्डिंग स्कूल, पंचगनी से हाई स्कॉल की पढ़ाई कर रही थीं, इसी दौरान वे राहुक रावल की फ़िल्म 'बेखुदी' में बतौर हीरोइन काम करने लगीं. बाद में इन्होंने फ़िल्म को अपना फुल-टाइम करियर बना लिया और हाई स्कूल की पढ़ाई भी बीच में ही छोड़ दी. जिस वक्त उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया, उनकी आयु सिर्फ 16 वर्ष थी. फिल्म  'बेखुदी' पर्द पर हिट नहीं लेकिन उन्होंने अपनी एक्टिंग से सबका ध्यान खींच लिया. शायद यही वजह थी कि इस फिल्म के बाद उनके पास कई फिल्मों की लाइन लग गई. 1993 में काजोल अब्बास मस्तान की फिल्म 'बाजीगर' में नज़र आई. इस फिल्म में उनके साथ शाहरुख़ खान और शिल्पा शेट्टी भी थे. काजोल की यह फिल्‍म बॉक्‍स ऑफिस पर हिट साबित हुई. साथ ही इस फिल्म में शाहरुख और काजोल की जोड़ी को खूब पसंद किया गया.


काजोल के लिए 1995 रहा बेहतरीन वर्ष
साल 1995 काजोल के लिए बेहतरीन रहा. इस वर्ष उनकी दो फ़िल्में करण-अर्जुन और दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे बैक टू बैक हिट हुईं. फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे के लिए काजोल को फिल्म फेयर के बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था. काजोल ने अपने बॉलीवुड करियर में कई बेहतरीन फ़िल्में भी इस वर्ष की. फिल्म 'गुप्त' में काजोल एक नकारत्मक किरदार में नज़र आईं थीं और उनके किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया था. इस फिल्म के लिए भी उन्हें फिल्म फेयर के बेस्ट इन नेगेटिव रोल अवार्ड से सम्मनित किया गया.  


शादी के बाद लगा करियर हो जाएगा खत्म
काजोल का करियर जब पीक पर था, तभी उन्होंने 24 फरवरी 1999 को फिल्म अभिनेता अजय देवगन से शादी कर ली. उस समय पूरे बॉलीवुड इंडस्ट्री में उनकी शादी की चर्चा हुई. वहीं, आलोचकों ने उनकी इस शादी को गलत ठहराया. आलोचकों का कहना था कि शादी के बाद काजोल का करियर पूरी तरह खत्म हो जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ. 


हालांकि शादी के बावजूद भी काजोल ने फिल्मों में काम करना जारी रखा. शादी के कुछ दिनों बाद उन्होंने 'कभी ख़ुशी कभी गम' में एक्टिंग की. उनकी यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई. आलम यह था कि कई दिनों तक सिनेमाघरों में यह फिल्म हाउसफुल रही.


2001 के बाद  2006 इस फिल्म से की धमाकेदार इंट्री
साल 2001 में फिल्म 'कभी ख़ुशी कभी गम' के बाद काजोल ने फ़िल्मी दुनिया से एक लंबा ब्रेक लिया. इस दौरान उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया. साल 2006 में एक बार फिर काजोल ने फिल्म 'फना' से अपनी धमाकेदार वापसी की. फिल्म फना में काजोल एक अंधी लड़की की भूमिका में नज़र आयी थीं, जिसे कश्मीरी आतंकवादी से प्यार हो गया था. इस फिल्म में उनके अपोजिट आमिर खान नज़र आये थे. यह फिल्म सुपरहिट हुई थी. इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया था.


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