Trending GK: मूर्ति में घोड़े की टांगों से जानिए इतिहास, कब और कैसे हुई है उस पर बैठे योद्धा की वीरगति?
Knowledge: योद्धाओं के स्टेच्यू में क्यों कभी घोड़ों की दोनों टांगे हवा में तो कभी नीचे, या फिर कभी केवल एक टांग हवा में होती है? ज्यादातर लोगों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं होगी. ऐसे में आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं.
Trending GK: हमारे देश में एक से बढ़कर एक शूरवीरों ने जन्म लिया है. महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी इन योद्धाओं की गाथाएं हमने किताबों और कहानियों में पढ़ी और सुनी हैं. भारत के गांव-शहर के कई प्रमुख चौराहों पर उनके स्टेच्यू बने होते हैं. जहां वे अपने घोड़े पर सवार और हाथ में अपना हथियार थामे होते हैं. हम सबने इस तरह की मूर्तियां चौक-चौराहों पर देखी हैं, लेकिन शायद ही कभी इन योद्धाओं के स्टेच्यू को गौर से देखा होगा?
लेकिन क्या कभी आपने एक बात गौर की है कि कुछ योद्धाओं के घोड़े के सामने वाले दोनों पैर ऊपर हवा में होते हैं, किसी योद्धा के घोड़े का सामने वाला केवल एक पैर हवा में होता है या फिर किसी योद्धा के घोड़े के सामने वाले दोनों पैर नीचे जमीन पर लगे होते हैं....
इन सवालों के जवाब आज हम आपको यहां बताने जा रहे हैं, जिससे आप उस योद्धा के बारे में कुछ नया जान पाएंगे और आपके जनरल नॉलेज में इजाफ भी होगा...
सवाल- स्टेच्यू में घोड़े की दोनों टांगें हवा में होने का क्या मतलब है?
जवाब- अगर किसी स्टेच्यू में योद्धा के घोड़े की दोनों टांगें हवा में हैं, तो इसका मतलब है कि वह योद्धा रणभूमि में दुश्मन से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ था. यह एक ऐसा महान योद्धा है, जिसने रणभूमि में दुश्मन से लड़ते हुए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था.
सवाल- योद्धाओं के घोड़े के स्टेच्यू की एक टांग हवा में और एक टांग जमीन पर होने का क्या संदेश है?
जवाब- अगर किसी महान योद्धा की मूर्ति में उसके घोड़े की एक टांग हवा में और दूसरी टांग जमीन पर है, तो इसका मतलब है कि वह योद्धा रणभूमि में युद्ध के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया था और युद्ध के दौरान ही शरीर पर आए गंभीर घावों के कारण ही उस योद्धा ने अपने प्राण त्याग दिए थे.
सवाल- अगर योद्धाओं के घोड़े की मूर्ति की चारों टांगे जमीन पर होने का क्या मतलब होता है?
जवाब- अगर किसी महान योद्धा के घोड़े की चारों टांगे जमीन पर हैं तो इसका मतलब यह है, उस योद्धा की मृत्यु ना तो युद्ध भूमि में हुई है और ना ही रणभूमि में घायल होने की वजह से हुई है, बल्कि उस महान योद्धा की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है. योद्धा ने एक सफलतम जीवन जिया है और सामान्य मृत्यु को प्राप्त हुआ है.