नई दिल्ली. नेशनल एलिजिबिलिट कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) पीजी 2021 काउंसलिंग प्रक्रिया नहीं शुरू होने की वजह से रेजिडेंट डॉक्टर्स का विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है. रेजिडेंट डॉक्टर्स फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि EWS (आर्थिक कमजोर वर्ग) और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में तेजी से सुनवाई हो और काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू कराई जाए.


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लगातार प्रदर्शन के बावजूद भी मांगें नहीं पूरी होने की वजह से दिल्ली में सोमवार को विरोध प्रदर्शन उग्र हो गया. आंदोलन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर्स ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) के आवास को घेर लिया. इस दौरान कई डॉक्टरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद FORDA ने पुलिस पर डॉक्टरों के साथ बदसलूकी का भी आरोप लगाया. इसके बाद मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने FORDA के केंद्रीय प्रतिनिधियों की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई, बावजूद इसके हल नहीं निकल सका. यही वजह है कि अब भी FORDA के प्रतिनिधि आंदोलन कर रहे हैं.


FORDA के प्रतिनिधियों के प्रदर्शन की ये है मूल वजह
दरअसल, नीट पीजी की परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थी मेडिसिन या फिर सर्जरी जैसे विभिन्न स्पेशलाइजेशन कोर्सेज करते हैं. इसके बाद इनकी तैनाती मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टर या रेजिडेंस डॉक्टर के तौर पर की जाती है. पिछले कई वर्षों से इन पदों पर भर्तियां नहीं हुई हैं, वहीं कोर्सेज पूरा नहीं होने के चलते नए डॉक्टर्स भी नहीं मिल पा रहे हैं. इसकी वजह से मौजूदा डॉक्टरों को कई घंटे अधिक काम करना पड़ रहा है. इसलिए उनकी मांग है कि सरकार जल्द से आरक्षण मामले को सॉल्व करके काउंसलिंग शुरू कराए, ताकि नए डॉक्टर मिल सकें.


काउंसलिंग में इसलिए हो रही है देरी
ओबीसी और EWS के आरक्षण को लेकर NEET PG काउंसलिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सरकार ने NEET PG में 27% ओबीसी और 10% आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को देने का फैसला लिया था, जिसे कुछ मेडिकल छात्रों ने चुनौती दी है. छात्रों ने NEET PG में EWS और OBC वर्ग को आरक्षण की वैधता को चुनौती दी गई है. छात्रों का कहना है कि कम आय वर्ग की परिभाषा में 8 लाख रुपए तक सालाना आय के लोगों को रखना मनमाना फैसला है. इस मुद्दे पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. , जिसमें सभी मुद्दों को रखा गया था. हालांकि, सरकार की प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं थी.


मामले में पहली बार 21 अक्टूबर को हुई थी सुनवाई
मामले में पहली बार सुनवाई 21 अक्टूबर को हुई थी. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम सेठ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्न की पीठ ने माना था कि इस वर्ष से नए नियम को लागू करने से छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. साथ ही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की खण्डपीठ ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए NEET प्रवेश में आरक्षण के लिए EWS श्रेणी निर्धारित करने के लिए निर्धारित 8 लाख रुपए की वार्षिक आय की सीमा पर फिर से विचार करना चाहेगा? वहीं, 26 अक्टूबर को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए NEET प्रवेश में आरक्षण के लिए EWS श्रेणी निर्धारित करने के लिए निर्धारित 8 लाख रुपए वार्षिक आय की सीमा निर्धारित करने के अपने फैसले को सही बताया था.


केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया था कि राशि तय करने का सिद्धांत तर्कसंगत है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के अनुरूप है. ऐसे में सरकार द्वारा जो भी फैसला लिया गया है, वह सोच विचार कर लिया गया है. वहीं, अब मामले में 6 जनवरी को सुनवाई होनी है.


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