नई दिल्ली: कई बार हमें ऐसा लगता है कि हम जो चाह रहे हैं वह हो नहीं रहा. लेकिन क़िस्मत ने शायद हमारे लिए कुछ ज़्यादा सोच रखा होता है. कुछ ऐसा हुआ उस नौजवान के साथ जो बनना तो फ़ुटबॉल प्लेयर चाहता था लेकिन क़िस्मत ने उसके लिए बॉलीवुड का तख़्त चुन रखा था. 


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जी हां हम बात कर रहे हैं अभिनय सम्राट दिलीप कुमार की. जिन्हें कोई बॉलीवुड का ट्रेजडी किंग कहता है तो कोई अभिनय सम्राट. लेकिन यह बात तो हर इंसान मानता है कि बॉलीवुड का एकमात्र सरताज कोई है तो वह है दिलीप कुमार. लेकिन इस बादशाह को तो कहीं और ही अपना राज फैलाना था. दिलीप कुमार एक बेहतरीन फुटबॉल प्लेयर बनना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने स्टूडेंट लाइफ में काफी कोशिश भी की और बेहतरीन प्लेयर भी बने.



स्कूल में फ़ुटबॉल एसोसिएशन सेक्रेटरी 
दिलीप कुमार का जन्म तो पेशावर में हुआ था लेकिन उनके पिता अपने फलों के व्यवसाय को बढ़ाने का सपना लेकर मुंबई चले आए थे. यहाँ स्कूल में दिलीप (जो उस समय यूसुफ़ के नाम से जाने जाते थे) फ़ुटबॉल के सबसे अच्छे प्लेयर के तौर पर जाने जाने लगे. उन्हें स्कूल की फ़ुटबॉल एसोसिएशन का सेक्रेटरी बना दिया गया. अब दिलीप कुमार का सपना था देश की टीम में खेलने का. लेकिन उनके पिता चाहते थे दिलीप फ़ुटबॉल ना खेलें, बल्कि शतरंज में अपना करियर बनाएं.



एक मैगज़ीन को दिए इंटरव्यू में दिलीप ने बताया था कि जब तक वह जॉब करने लगे थे तब तक (19 साल की उम्र ) तक फ़ुटबॉल खेलना ही उनका जुनून था. 




लेकिन इस किस्से को जानने के बाद हमें यह तो मान ही लेना चाहिए कि एक सपना पूरा न होने पर कभी उदास नहीं होना चाहिए. क्योंकि भविष्य ने आपके नाम कौन सा तख्त ओ ताज छिपाकर रखा है यह कोई भी नहीं जानता. 


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