Cuckoo Moray: हिंदी सिनेमा का अतीत अविश्वसीन सितारों और उनके किस्सों से भरा है. आज जिनका नामोनिशान नहीं बचा, कभी वह राज करते थे. ऐसा ही एक नाम है, कुक्कू मोरे. कुक्कू को फिल्म इंडस्ट्री की पहली आइटम गर्ल कहा जाता है. हेलेन (Helen) के इंडस्ट्री में चमकने से बहुत पहले कुक्कू हिंदी फिल्मों की प्रसिद्ध कैबरे क्वीन (Cabaret Queen) थीं. वह चमकता सितारा थीं. उन्होंने एक दौर में रईसी का जीवन जिया और कल की परवाह किए बिना बेतहाशा खर्च किया. 1950 के दशक में उनके पास तीन कारें थीं. एक खुद इस्तेमाल करती थीं. दूसरी उनके कुत्तों को घुमाने के लिए. तीसरी कार हर दिन कमसिन हेलेन को उनके घर से लाने-ले जाने का काम करती थी. हेलन को कुक्कू अपनी बहन के साथ खेलने के लिए बुलाती थीं.


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पानी जैसा पैसा
1950 और 10960 के दशक में कुक्कू एक डांस नंबर के लिए 6000 रुपये लेती थीं, जिस समय लोगों को कारखानों-दफ्तरों में 200 रुपये तनख्वाह भी नहीं मिलती थी. लीड ऐक्टर-एक्ट्रेस को पूरी फिल्म के पांच हजार रुपये नहीं मिलते थे. कुक्कू का जन्म 1928 में एक एंग्लो-इंडियन परिवार में हुआ था. बचपन से ही उन्हे डांस का शौक था. 1946 में फिल्म अरब का सितारा में उन्हें पहली बार डांस का मौका मिला. इसके बाद निर्माता-निर्देशक फिल्म में उनका डांस खास तौर पर रखने लगे. कुक्कू हिंदी फिल्मों की पहली आइटम गर्ल बन गईं. उन्हें स्टार का दर्जा मिला. दौलत और शोहरत मिली. उन्होंने मुंबई (Mumbai) में शानदार बंगला बनवाया. गाड़ियां खरीदी. उन्हें कुत्तों से बहुत प्यार (Dog Lover) था. कई कुत्ते उन्होंने घर में पाल रखे थे. कुत्तों को घुमाने के लिए उन्होंने अलग कार रखी थी. कहा जाता है कि कुक्कू के लिए रोज मुंबई के पांच सितारा होटलों (Five Star Hotels Mumbai) से खाना आता था. कुक्कू जब शिखर पर थीं तो उन्होंने पानी की तरह पैसा बहाया.


मुफिलिसी का दौर
खैर, धीरे-धीरे हेलन और वैजयंतीमाला (Vaijantimala) जैसी डांसरों के आने पर कुक्कू को को काम मिलना कम होता गया और अंततः बंद हो गया. महंगी लाइफ स्टाइल (Life Style) के कारण एक-एक कर उनकी कार और फिर बंगला बिक गया. कहा जाता है कि वह एक निर्देशक के साथ रिलेशनशिप में थीं, जो उनका करियर खत्म होने पर अलग हो गया. कुक्कू आयकर (Income Tax) के भी चक्कर में फंस गई और बहुत सारा रुपया-पैसा-संपत्ति गंवा दी. नतीजा यह कि वह सड़क पर आ गईं. उन्हें किराये के मकान में रहना पड़ा. धीरे-धीरे किराये के पैसे देने के भी पैसे नहीं बचे और खाने के लाले पड़ गए. वह सड़क से सब्जियां बीनकर लाती थीं और पकाती थीं.



हो गई देर
1980 में कुक्कू कैंसर हो गया. वह सड़कों पर भीख मांगने निकल पड़ीं क्योंकि दवा के लिए पैसे नहीं थे. जब इंडस्ट्री के लोगों को पता चला तो कुछ ने मदद करने की कोशिश की, मगर देर हो चुकी थी. मात्र 52 साल की उम्र में 30 सितंबर को मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में कुक्कू की मौत हो गई. जिस कुक्कू की एक झलक पाने के लिए लोग तरसते थे, उसकी मौत पर घोर गरीबी, अकेलेपन और भुखमरी में हुई. यूट्यूब पर आप फिल्म बरसात, यहूदी, पतंगा, चलती का नाम गाड़ी, खोटा पैसा, फागुन जैसी फिल्मों में आप उनका डांस देख सकते हैं.