Vinod Khanna: बिना पैसे के फिल्म नहीं बनती. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि फिल्म बनते-बनते पैसे का संकट खड़ा हो जाता है. ऐसे में निर्माता-निर्देशक के सामने मुश्किल खड़ी हो जाती है कि आखिर फिल्म को कैसे पूरा किया जाए. इसमें संदेह नहीं कि कई बार सितारे ऐसे मामलों में सहयोग करते हैं, लेकिन बात अगर इंसानों की न होकर जानवरों की हो तो क्या किया जा सकता हैॽ यह मामला है फिल्म फरिश्ते का, जो 1991 में आई थी. इस साल गदर 2 (Gadar 2) बनाकर सुर्खियां बटोर रहे अनिल शर्मा (Anil Sharma) फरिश्ते के निर्देशक थे. प्रोड्यूसर थीं, सत्ती शौरी. वह तेज तर्रार महिला थीं. फिल्म श्रद्धांजलि से करियर शुरू करने वाले अनिल शर्मा की यह शुरुआती दौर की फिल्म थी.


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क्लाइमेक्स में चीता
फिल्म में धर्मेंद्र, विनोद खन्ना, श्रीदेवी (Sridevi) और सदाशिव अमरापुरकर अहम भूमिकाओं में थे. जबकि रजनीकांत (Rajinikanth) का फिल्म में गेस्ट अपीयरेंस था. बताया जाता है कि कसे हुए बजट में बनी इस फिल्म के क्लाइमेक्स सीन में चीता की जरूरत थी. दिखाया गया कि अपनी बाइक पर सवार होकर भागते धर्मेंद्र और विनोद खन्ना के पीछे जंगल में चीता (cheetah) लग जाते हैं. फिल्म की शूटिंग एक बार में पूरी नहीं होती और उसे अलग-अलग शेड्यूल में आगे बढ़ाया जाता है. एक शेड्यूल में चीता बुलाए गए और इस सीन को शूट किया गया. परंतु पूरा सीन शूट नहीं हो पाया. ऐसे में जब दूसरे शेड्यूल में फिर से चीता की जरूरत पड़ी तो निर्माता ने हाथ खड़े कर दिए.



अनोखा आइडिया
फिर से चीता का इंतजाम न होने पर यह सीन बेकार जा सकता था. जबकि कहानी में इसकी जरूरत थी. ऐसे में जब पैसों के अभाव में निर्माता के पास दूसरे शेड्यूल में चीता को फिर से बुला पाना संभव नहीं रह गया तो एक अनोखा आइडिया आजमाया गया. शूटिंग लोकेशन पर कुछ लेब्रेडोर नस्ल के कुत्तों को बुलाकर उन्हें चीता की तरह रंगा गया और उसके बाद धर्मेंद्र-विनोद खन्ना को लेकर क्लाइमेक्स सीन को पूरा किया गया. अगर आप फिल्म फरिश्ते को गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि चीता का एक शॉट है, जिसे एडिटिंग में बार-बार इस्तेमाल किया गया लेकिन इसके अलाव जब आप झुंड में चीता दौड़ते देखेंगे तो पाएंगे कि यह कोई और जानवर है. खैर, फिल्म पूरी होकर रिलीज हुई. इस दौरान निर्माता और निर्देशक के बीच विवाद भी हुए. आरोप-प्रत्यारोप भी लगे. मगर अब उन बातों का कोई खास अर्थ नहीं है.