Subhash Ghai Film: अमिताभ बच्चन और सुभाष घई अपने दौर के दिग्गज थे. एक शानदार एक्टर और दूसरा शो मैन. दोनों करीब चार दशक तक इंडस्ट्री के एक दौर में सक्रिय रहे, एक से एक फिल्मों का हिस्सा बनें परंतु उनकी एक भी फिल्म साथ-साथ नहीं मिलती. लेकिन ऐसा नहीं है कि दोनों ने साथ में काम करने की कोई कोशिश नहीं की. लेकिन हकीकत यह है कि काम करते हुए दोनों के बीच ईगो यानी अहंकार आ गया और धूमधाम से अनाउंस की गई फिल्म डिब्बे में बंद हो गई. नतीजा यह कि बॉलीवुड के इतिहास में दो दिग्गजों का नाम पर्दे पर कभी साथ में नहीं आया.


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दिलीप कुमार ने दिया मुहूर्त क्लैप
1987 में अमिताभ और सुभाष घई की फिल्म लॉन्च हुई थी, देवा. यह एक एक्शन-इमोशनल ड्रामा थी. जिसमें अमिताभ बच्चन को डाकू का रोल मिला था. यह वह दौर था, जब अमिताभ बच्चन निर्विवाद रूप से बॉलीवुड के नंबर वन हीरो थे, जबकि बारह-तेरह साल में आधा दर्जन से ज्यादा सुपर हिट फिल्में दे चुके थे. तब दोनों का साथ आना बड़ी खबर थी और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घई और बच्चन ने यह घोषणा की कि वे साथ में फिल्म कर रहे हैं. जिसका नाम है, देवा. धूमधाम से मुहूर्त हुआ और क्लैप दिलीप कुमार जैसे दिग्गज ने दिया. फिल्म की शूटिंग शुरू हुई और करीब एक हफ्ते तक सब ठीकठाक चलता रहा. शूटिंग आगे बढ़ी और लोगों को लग कहा था कि हिंदी सिनेमा को एक शानदार फिल्म मिलने वाली है. लेकिन तभी आ गया इन दिग्गजों का ईगो.


...और अमिताभ उठ कर चल दिए
बताया जाता है कि एक दिन शूटिंग के दौरान जब ब्रेक था, तो अमिताभ आगे की तैयारी के लिए स्क्रिप्ट पढ़ रहे. स्क्रिप्ट पढ़ते हुए उन्हें कोई बात खटकी और उन्होंने एक अपने एक सहायक से कहा वह जाकर सुभाष घई को बुला लाए. सहायक ने यह बात घई के रूम में जाकर उनसे कही तो घई ने कहा कि अमिताभ बच्चन से कहें कि अगर कुछ विचार-विमर्श करना है, तो वह यहां मेरे ऑफिस में आकर बात कर सकते हैं. सहायक ने यह अमिताभ से कही. यह सुनकर अमिताभ उठे और सैट से घर लौट गए. सुभाष घई को यह पता चला तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. अगली सुबह भी सैट लगा रहा मगर अमिताभ शूटिंग के लिए नहीं पहुंचे. सुभाष घई ने भी उन्हें फोन नहीं किया और करीब हफ्ते भर इंतजार के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला के अनाउंस कर दिया कि एक्टर-डायरेक्टर के बीच ‘क्रिएटिव मतभेद’ के कारण देवा अब नहीं बन रही है. इस तरह यह फिल्म बंद हो गई. हालांकि कुछ साल बाद घई ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उस समय उनका स्वभाव थोड़ा गुस्सैल था और वह अगर अपने गुस्से पर काबू रखते तो देवा बन सकती थी.


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