बॉलीवुड की ड्रीमगर्ल. करोड़ों लोगों की दिल की धड़कन बनने वाली हेमा मालिनी का 16 अक्टूबर को बर्थडे होता है. करियर में 150 से भी ज्यादा फिल्में करने वालीं अदाकारा, जिनके द्वारा निभाया गया एक एक रोल मुंह से बोलता है. शोले में धन्नो की बक बक करती बसंती हो या ड्रीम गर्ल, मीरा बाई हो या फिर स्वामी विवेकानंद की मां दुर्गा.. हर किरदार में उन्होंने लोगों का दिल जीता है.  चलिए हेमा मालिनी के बर्थडे पर उनके करियर के बारे में बताते हैं.


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आज के समय में हेमा ने बॉलीवुड से राजनीति तक का सफल करियर तय किया है. मगर एख समय था जब उन्हें पतली दुबली लड़की कहकर तमिल फिल्म से नकार दिया गया था. लेकिन हेमा मालिनी कहां रुकने वालों में से थीं. उन्होंने साउथ नहीं तो क्या, बॉलीवुड में हाथ अजमाया. 



कैसे पड़ा हेमा नाम
साल 1948 के 15-16 अक्टूबर की दरमियानी रात थी (हेमा मालिनी द ऑथराइज्ड बायोग्राफी) जब तमिलनाडु के एक गांव में जया चक्रवर्ती ने एक बच्ची को जन्म दिया. दशहरे के बाद जन्मी थीं चक्रवर्ती परिवार की बिटिया. पूरा परिवार धार्मिक प्रवृत्ति का था. मां लक्ष्मी जी की अनन्य भक्त इसलिए बेटी को नाम मिला हेमा मालिनी.


हेमा मालिनी के भाई
हेमा दो भाइयों की इकलौती बहन थीं. शुरू से ही शास्त्रीय नृत्य की ट्रेनिंग दी गई. तमिल फिल्मों में करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया. कई शोज में इस बारे में एक्ट्रेस ने बात भी की है. धक्का पहुंचा, बुरा लगा लेकिन हार नहीं मानी और तब जाकर हिंदी फिल्म में एक ब्रेक मिला.


3 फिल्में बैक टू बैक हिट
1969 में 'सपनों के सौदागर' में राज कपूर के अपोजिट काम किया. पतली दुबली हेमा को पसंद किया जाने लगा. 1970 में तीन बड़ी फिल्म रिलीज हुई 'तुम हसीन मैं जवान', 'अभिनेत्री' और 'जॉनी मेरा नाम'. तीनों फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित हुईं. इसके बाद साल दर साल कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती गईं.



हेमा मालिनी ने निभाया डबल रोल
1972 में 'सीता और गीता' में हेमा ने डबल रोल किया.  ये भी उस दौर की लीक से हटकर की गई फिल्म थी. दिलीप कुमार के 'राम और श्याम' की तर्ज पर महिला पात्रों पर केंद्रित फिल्म. दो जुड़वा बहनें जिनका अंदाज एक दूजे से बिल्कुल जुदा. हेमा ने दोनों ही कैरेक्टर्स के साथ पूरा पूरा न्याय किया. संजीव कुमार और धर्मेंद्र दोनों ने उनके अपोजिट काम किया।.


155 फिल्में और राजनीति तक का सफर
पद्म श्री से सम्मानित ड्रीम गर्ल ने 155 से ज्यादा फिल्में की तो छोटे पर्दे पर नूपुर के जरिए भी दस्तक दी। 'दिल आशना है' फिल्म प्रोड्यूस और डायरेक्ट भी की. रील से लेकर रियल तक हर किरदार को लगन, ईमानदारी और सच्चाई से निभाया. मां के तौर पर ईशा -अहाना को पाला पोसा, राज्य सभा पहुंची फिर लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई. मथुरा से एक बार नहीं बल्कि तीन बार सांसदी जीती, कला के प्रति समर्पण अब भी जारी है.


इनपुट: एजेंसी


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