नई दिल्ली: फिल्म निर्देशक संजय गुप्ता ने कहा कि उनका 25 साल का करियर उतार चढ़ाव भरा रहा है लेकिन पीछे पलटकर देखने पर वह खुशी महसूस करते हैं कि तमाम मुश्किल हालात से वह उबर पाने में कामयाब रहे. ‘कांटे’, ‘मुसाफिर’, ‘जिंदा’ और ‘शूटआउट’ सीरीज तथा ‘काबिल’ जैसी फिल्मों से मशहूर हुए गुप्ता को तब कामयाबी मिली जब वह मुश्किल भरे दिनों के कारण इंडस्ट्री को अलविदा कहने वाले थे. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

25 साल की थी निर्देशकीय पारी की शुरुआत
उन्होंने तकरीबन 25 साल पहले ‘आतिश: फील द फायर’ से निर्देशकीय पारी की शुरुआत की थी. इस फिल्म में संजय दत्त, रवीना टंडन, आदित्य पंचोली जैसे कलाकार थे. गुप्ता ने पीटीआई को एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह आसान फिल्म थी. मैंने अधिकतर दोस्तों के साथ काम किया था. संजू का शुक्रगुजार हूं, क्योंकि बिना स्टार के बड़ी फिल्में नहीं बनती, और वह तो शुरूआत थी.’’ ‘कांटे’ फिल्म के बाद संजय दत्त के साथ उनके रिश्तों में दूरी आ गयी और इसका असर उनके करियर पर भी पड़ा. 



निर्देशक ने कहा कि दत्त ने कभी किसी को उनके साथ काम करने से मना नहीं किया लेकिन अभिनेता के इर्द गिर्द के लोगों ने दूसरे लोगों से कहा कि गुप्ता के साथ काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘बहुत कठिन वक्त था. मैंने हार मान ली थी. मैं खंडाला में एक होटल पर काम कर रहा था और सप्ताह में चार दिन वहां जाने लगा. इंडस्ट्री में काम नहीं मिलने के कारण मैंने इसे ही भविष्य मान लिया.’’ बेटे का जन्म हुआ तो चीजें बदलने लगी. मुश्किल वक्त में मदद के लिए वह एकता कपूर को श्रेय देते हैं. बाद में उन्होंने ‘शूटआउट एट वडाला’ से वापसी की. 


बॉलीवुड की और खबरें पढ़ें