जब Raj Kapoor ने Lata Mangeshkar को बदसूरत कहा सरेआम, फिर महसूस हुई गलती तो किया था ये काम!
Raj kapoor Satyam Shivam Sundaram: राज कपूर ने अपने करियर में ना जाने कितनी ही फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया और कई फिल्में बनाई भी. उन्हीं में से एक रही सत्यम शिवम सुंदरम और ये किस्सा भी इसी फिल्म से जुड़ा है.
Raj kapoor and Lata Mangeshkar: 1978 में रिलीज हुई थी सत्यम शिवम सुंदरम जिसे बनाया था राज कपूर ने. फिल्म में हीरो थे उनके भाई शशि कपूर और हीरोईन थीं जीनत अमान. फिल्म में जिनकी बोल्डनेस के चर्चे तो आज भी खूब होते हैं. ये फिल्म थी ही इतनी जबरदस्त. लेकिन रिपोर्ट्स की माने तो इसमें पहले हीरोईन नहीं बल्कि एक सिंगर को कास्ट किया जाना था जो कोई और नहीं बल्कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर थीं. जी हां...सुनकर हैरानी होती है ये सच कहा जाता है.
इस फिल्म का मूल विषय ही ये था कि तन की सुंदरता से परे मन की पवित्रता और निर्मलता को समझना. इसलिए राज कपूर को लगा कि इस रोल के लिए लता मंगेशकर बिल्कुल ठीक रहेंगीं. जिसके लिए बाकायदा लता दीदी से बात भी कर ली गई थी और कहा जाता है कि उन्होंने भी एक्टिंग के लिए हां कह दी थी लेकिन एक इंटरव्यू ने सारी बात ही बिगाड़कर रख दी.
जब राजकपूर ने लता दीदी को कहा था बदसूरत
कहा जाता है कि उस वक्त राजकपूर ने एक इंटरव्यू में कहा- आप एक पत्थर ले लीजिए, वो पत्थऱ तब तक पत्थर रहता है जब तक उस पर कोई धार्मिक निशान न हो, नहीं तो वो भगवान बन जाता है. ऐसे ही आप एक आवाज सुनते हैं और उसके दीवाने हो जाते हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि वो एक बदसूरत लड़की की आवाज है’.. बस इतना ही कहना था कि वो झिझके और उन्हें लगा कि शायद उन्होंने कुछ गलत कह दिया है. कहा जाता है कि उस वक्त उन्होंने इंटरव्यू से वो शब्द निकालने की रिक्वेस्ट भी की है लेकिन जैसे तैसे वो बात लता मंगेशकर तक पहुंच गई थी.
फिल्म करने से कर दिया था मना
तब लता दीदी को भी ये सब सुनकर काफी बुरा लगा था लिहाजा उन्होंने राज कपूर की इस फिल्म का प्रपोजल ठुकरा दिया. क्योंकि उन्होंने इसे अपीन बेइज्जती माना. एक पुस्तक में इस बात का जिक्र भी है कि ये फिल्म लता मंगेशकर को ध्यान में रखकर ही बनाई गई. और खुद ये बात लता दीदी ने भी स्वीकार की थी. लेकिन फिर बाद में उन्होंने साफ कहा कि मैं फिल्म को अपनी आवाज दे सकती हूं पर पर्दे पर नहीं दिख सकती.