हमको बचपन में रेखागणित पढ़ाया जाता था. कहा जाता था कि रेखागणित में सबसे आसान सीधी रेखा होती है जिसे सरल रेखा भी कहते हैं. लेकिन एक और भी रेखा होती है, उस रेखा को खींचना बहुत कठिन होता इसमें उतार चढ़ाव ज्यादा हो. इस रेखा की लंबाई नापना भी कठिन होता है, इसे तुरंत खींचा भी नहीं जा सकता. जब बड़े हुए सिनेमा देखा, पढ़ा और फिर भानु रेखा गणेशन नाम की एक अदाकारा के बारे में समझा तो लगा कि ये वाली रेखा तो भारतीय सिनेमा की वही रेखा है, जिसे दोबारा खींचना शायद ही मुमकिन हो.


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साल 1981, फिल्म सिलसिला. यश चोपड़ा को हिंदी सिनेमा का महीन कारीगर कई मायनों में कहा जाता है, इस बात की एक मिसाल रेखा से भी जुड़ी हुई है. इस फिल्म के लिए जो पटकथा यश चोपड़ा ने लिखी, कहा जाता है उन्होंने असल जिंदगी में जी रहे उन्हीं चरित्रों को इस फिल्म के सांचे में फिट कर दिया. रेखा और अमिताभ का किस्सा उस समय सिल्वर स्क्रीन के पर्दे से लेकर परिवार तक चर्चित रहा. इस फिल्म के किस्से आज भी खूब मशहूर हैं. लेकिन ऐसे किस्से रेखा नाम की अदाकारा के लिए नए नहीं थे. सिलसिला के दौरान को ये किस्सा तो रेखा का एक बिंदु मात्र था. 


साल 1966, एक तेलगु फिल्म रंगुला रत्नम में बेबी रेखा के रूप में पहली बार पर्दे पर दिखने वाली चेन्नई में जन्मी रेखा ने 1970 में फिल्म सावन भादों के जरिए हिंदी फिल्मों में डेब्यू किया. तब से शुरू हुआ रेखा का सफर आज भी जारी है. इस सफर में रेखा ने करीब 180 से ऊपर फिल्मों में काम किया. कई दमदार रोल किए. मुख्यधारा की फिल्मों के साथ-साथ आर्ट फिल्मों में भी काम किया. तीन फिल्मफेयर जीते. राष्ट्रीय अवार्ड जीता. 2010 में पद्मश्री से भी नवाजा गया. 


लेकिन इन सबके अलावा रेखा का कैरियर उनके व्यक्तिगत जीवन के उतार चढ़ाव और उनके अफेयर्स की वजह से चर्चित रहा. शुरुआती दिनों में विनोद मेहरा से अफेयर टूटने के बाद अमिताभ बच्चन से उनका नाम खूब जुड़ा. दोनों के बीच के रहस्य का सिलसिला ‘सिलसिला’ से शुरू हुआ आज तक मिस्ट्री बना हुआ है.


1990 में उन्होंने दिल्ली के एक बिजनेसमैन मुकेश अग्रवाल से भी शादी की, लेकिन थोड़े ही समय बाद उनकी मृत्यु हो जाने के बाद फिर फिल्मी गलियारों में रेखा के चर्चे होते रहे. पूरे कैरियर के दौरान शायद ही कोई फिल्मी पत्रिका हो जिसके गॉसिप कॉलम में रेखा की सुर्खियां ना हों. यह सिलसिला आज भी जारी है. रेखा के बारे में तमाम पत्रिकाएं..न्यूजपेपर्स, और पोर्टल्स आज भी रेखा के नाम पाए रीडर बटोर रहे हैं. 


रेखा के कैरियर का दूसरा पक्ष यह भी है कि उनके दिलचस्प सफर को सिर्फ प्रेम प्रसंगों और चटखारे लेने वाले अफेयर्स के इर्द गिर्द रखना नाइंसाफी होगी. उन्होंने सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं, जिसके चलते उन्हें एक बेहद कामयाब और जोरदार अभिनेत्री का मुकाम हासिल है. 1954 में जन्मीं रेखा ने जीवन में इतने उतार चढ़ाव देखने के बावजूद भी आज भी अपने आप को लाइमलाइट में बरकरार रखा है.


कुछ साल पहले जब वो भारत की संसद के उच्च सदन की सीढ़ियों पर सुनहरी साड़ी और काले चश्मे में दिखती थीं तो भारतीय राजनीति के कई दिग्गजों की आंखे उनके भावों का प्रतिनिधित्व करती दिख जाती हैं. रेखा ने अपने चाहने वालों को अभी पिछले हफ्ते ही ऐसा नायाब तोहफा दिया तो उनकी फिल्मों की याद बरबस ही आ गई, जब आईफा अवॉर्ड्स 2024 के स्टेज पर 'तोसे नैना लागे रे' गाने पर 70 साल की रेखा ठुमके लगा रही थीं. बतौर रेखा का फैन होना हमारे लिए फक्र और खुशी की बात है. उनके जन्मदिन की तारीख 10 अक्टूबर ही नहीं, हर रोज रेखा की फिल्में, उनके गाने हमारे लिए, हमारे सिनेमा के लिए रोमांच पैदा कर देने वाले तोहफे हैं.


- रेखा का एक फैन