Mac Mohan Biography: कहते हैं जिंदगी में मौका सिर्फ एक बार मिलता है और उस मौके को छोटे या बड़े के पैमाने में ना तोलते हुए सिर्फ चौका मारने के बारे में सोचना चाहिए. ऐसा ही कुछ हुआ शोले के सांबा के साथ जिन्होंने एक फिल्म, एक रोल और एक डायलॉग पर ऐसा चौका मारा कि फिर उन्हें बॉलीवुड का नामचीन सितारा बनने से कोई रोक ना सका. लखनऊ का रहने वाला एक आम सा लड़का जिसने मेहनत से मायानगरी में वो मुकाम हासिल किया जिसके लिए दुनिया तरसती है. 


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क्रिकेटर से बन गए एक्टर
जी हां...ये बात पूरी तरह सच है कि शोले के सांबा यानि मैक मोहन क्रिकेटर बनना चाहते थे. उन्हें क्रिकेट का शौक था लिहाजा शौक को पैशन बनाया और देखते ही देखते उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम में एंट्री ले ली. 1952 में किसी वजह से उनका मुंबई आना हुआ था और यही उनका रंगमंच की दुनिया से आमना सामना हुआ. लिहाजा उनकी रूचि भी एक्टिंग में बढ़ने लगी. उनका मन भी इन अनूठी और कलाकारों से भरी दुनिया से जुड़ने का हुआ. उस वक्त शबाना आजमी की मां शौकत कैफी किसी नाटक के लिए ऐसे चहरे की तलाश में थी जो दुबला पतला हो और उस वक्त मैक मोहन ऐसे ही दिखते थे. मैक को इस रोल के लिए उनके किसी दोस्त से पता चला तो वो सीधे काम मांगने पहुंच गए और बात बन गई. 


शोले से रचा इतिहास
ऐसे करते-करते मैक मोहन को काम मिलता चला गया. लेकिन इतिहास रचना अभी बाकी था. फिर मैक मोहन रमेश सिप्पी की शोले से जुड़े. फिल्म में यूं तो उनके कई सीन थे लेकिन एडिटिंग में ज्यादातर सीन और शॉट काट दिए गए. जब मैक ने फिल्म देखी तो रोने लगे क्योंकि फिल्म में उनका सिर्फ एक ही डायलॉग था जिसमें मैक कहते हैं- “पूरे 50 हजार”. वो सीधे रमेश सिप्पी के पास पहुंचे और गुस्से से कहा कि “ये एक डायलॉग भी फिल्म में क्यों रखा गया. चाहे तो उसे भी काट दिया जाए.” लेकिन रमेश सिप्पी ने उन्हें समझाया कि अगर फिल्म चली तो ये एक डायलॉग उन्हें स्टार बना देगा और हुआ भी वही. 



आज भी शोले का जिक्र हो तो सांबा जरूर याद आते हं और गाहे बगाहे मुंह से निकल ही आता है – ‘पूरे पचास हजार’. यानि एक फिल्म, एक रोल और एक डायलॉग ने मैक मोहन की जिंदगी वाकई बदल दी.  


इस वजह से कहलाए बॉलीवुड के ‘कड़कराम’
मैक मोहन को सांबा के साथ-साथ बॉलीवुड के कड़कराम के नाम से भी जाना जाता था. ऐसा इसलिए क्योंकि वो एक कदम कड़क कपड़े पहनते थे यानि उनके कपड़ों को इस तरह इस्त्री किया जाता था कि क्रीज बिल्कुल टस से मस नहीं होती थी. 


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