निर्देशक: अमर कौशिक 
स्टार कास्ट: राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर, पंकज त्रिपाठी, अभिषेक बनर्जी, अपारशक्ति खुराना, वरुण धवन आदि 
कहां देख सकते हैं: थियेटर्स में 
क्रिटिक रेटिंग: 4


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Stree 2 Review: स्त्री सीरीज़ की पहली मूवी लोगों के दिलोदिमाग़ में इस कदर बस गई थी कि 6 साल बाद आई ‘स्त्री2: सरकटे का आतंक’ की इतनी ज़बरदस्त एडवांस बुकिंग हुई है कि फ़िल्म पहले ही सुपरहिट हो गई है. निर्देशक अमर कौशिक और निर्माता दिनेश विजन ने भी अपने भूतिया यूनिवर्स की फ़िल्म ‘भेड़िया’को भी इससे जोड़ दिया. नतीजा ये हुआ कि फ़िल्म में जो कई बातें आप मिस करेंगे, उनकी भरपाई वरुण धवन, अक्षय कुमार और तमन्ना भाटिया करेंगे, सरकटा तो है ही.


सीक्वल की कहानी में इस बार एक ट्विस्ट है, स्त्री पुरुषों को बिना कपड़ों के उठाती थी, सरकटा मॉडर्न लड़कियों को उठाता है.  रुद्र (पंकज त्रिपाठी) को एक पत्र मिलता है, चन्देरी पुराण के कुछ फटे हुए पन्नों के साथ, जिसमें लिखा है स्त्री के जाने के बाद सरकटा भी आएगा. स्त्री को उसके पति के साथ जिस जमींदार ने जलाया था, उसका स्त्री ने बाद में सर काट लिया था. वही अब सरकटा भूत बन गया है. 



फिल्म के किरदार 


अचानक जब बिट्टू (अपारशक्ति खुराना) की गर्लफ्रेंड चिट्टी को भी सरकटा उठा ले जाता है तो विकी (राजकुमार राव) गैंग सक्रिय हो जाता है, मैदान में पुरानी सहयोगी (श्रद्धा कपूर) भी उतरती है.  साथ में जना (अभिषेक बनर्जी) का दोस्त भेड़िया (वरुण धवन) भी, रुद्र की मुजरा वाली दोस्त शमा (तमन्ना भाटिया) भी और पागलखाने से रुद्र को चिट्ठी भेजने वाला पागल (अक्षय कुमार) भी. वो एक दोहे में फार्मूला बताता है कि सरकटे की गुफा में केवल वही जा सकता है है जो आधा नर आधा मादा है. 


कैसी है फिल्म की कहानी? 


ऐसे में कैसे सरकटे के आतंक से चन्देरी को मुक्ति मिलती है, कैसे लड़कियाँ सरकटे की क़ैद से रिहा होती हैं, उसके लिए मूवी देखनी होगी. हालाँकि काफ़ी कुछ आपको पिछली फ़िल्म की तरह ही होता दिखेगा. कहानी नीरेन भट्ट ने लिखी है जो पहले ‘भेड़िया’ की कहानी भी लिख चुके हैं और हाल ही में ‘असुर’ जैसी वेबसीरीज भी. मूवी में एक और फार्मूला इस्तेमाल हुआ है वो है एडल्ट डॉयलॉग्स  का, हालाँकि पिछली मूवी से एक कदम आगे ही बढ़े हैं, लेकिन इसके चलते पूरी मूवी के दौरान आप ठहाके लगाते रहेंगे.  कई चुटीले डायलॉग अच्छी जगह फिट करने से लोग बोर नहीं होते. 


पिछली बार जहां स्त्री को काफ़ी एक्सक्लूसिव रखा गया था, स्त्री से ज़्यादा उसकी चर्चा होती थी, सरकटा की चर्चा से ज़्यादा उसको दिखाने पर फोकस किया गया है, शायद अच्छा एनीमेशन बना इसके चलते, लेकिन इस वजह से कुछ एक सीन्स और सिचुएशन नहीं बन पाये जैसे पहली स्त्री में कोठी में पार्टी करने या फिर ‘ओ स्त्री तू कल आना’ जैसे राष्ट्रीय चर्चा वाले स्लोगन भी. ऐसे में लॉजिक लगाना और मज़ा ख़राब कर सकता है, जैसे सरकटा एक भूतनी की बलि कैसे ले सकता था? 



फिल्म के कुछ लूप होल्स


स्त्री जिस बेटी को पहचानी नहीं, जिसकी जान लेना चाहती थी उसकी एक आवाज़ पर प्रकट कैसे हो गई, ख़ंजर वाली कहानी कहां से आयी, अक्षय पागल होकर चिट्ठियाँ कैसे पोस्ट कर रहा था? सरकटे का सर सामान्य आग से जल कैसे गया? बावजूद इन सबके लोगों को इस मूवी में भी काफ़ी मज़ा आने वाला है, सिचुएशनल कॉमेडी और चुटीले बोल्ड डॉयलॉग्स दर्शकों को पूरी फ़िल्म में हंसाते रहेंगे. सचिन जिगर के म्यूजिक और अमिताभ भट्टाचार्य की जुगलबंदी से कुछ गाने भी अच्छे बन पड़े हैं. 



‘खेल खेल में’ और ‘वेदा’ पर भारी पड़ रही ‘स्त्री 2’


एक्टिंग पर तो आप सवाल उठा ही नहीं सकते क्योंकि सारे सितारे पहले ही कई फ़िल्मों में ख़ुद को साबित कर चुके हैं.  पंकज, राजकुमार, अभिषेक, अपार शक्ति सभी अपने पहले वाले ही रंग में हैं. ऐसे में दो बेहतरीन फ़िल्मों अक्षय की ‘खेल खेल में’ और जॉन की ‘वेदा’ के साथ ‘स्त्री 2’ के मुक़ाबले में अगर स्त्री 2 भारी पड़ रही है तो वजह भी है, जो एंटरटेनमेंट की डोज आपको इस मूवी में मिलने वाली है, किसी भी नई मूवी में नहीं मिलेगी.