Brain Eating Amoeba Naegleria Fowleri: यूं तो पाकिस्तानी जनता अपनी गरीबी और भुखमरी से बेहाल है. लेकिन अब उसकी टेंशन दिमाग खाने वाले अमीबा (Brain Eating Amoeba) ने भी बढ़ा दी है. दिमाग खाने वाले अमीबा अब तक 11 पाकिस्तानियों की जान ले चुका है. दिमाग खाने वाले अमीबा की वजह से पाकिस्तानियों में दहशत का माहौल है. पाकिस्तानियों को समझ नहीं आ रहा है कि वो करें तो करें क्या? हालांकि, पाकिस्तानी सरकार दिमाग खाने वाले अमीबा को लेकर अलर्ट जारी कर चुकी है. आइए जानते हैं कि दिमाग खाने वाले अमीबा क्या है और ये कैसे अपनी चपेट में लेता है? बीमार में इसके क्या लक्षण दिखाई देते हैं.


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दिमाग खाने वाले अमीबा ने ली 11 लोगों की जान


सिंध स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, सिंध प्रांत में दिमाग खाने वाले अमीबा की वजह से 11 लोगों की जान चली गई है. इस समस्या पर सिंध के केयरटेकर हेल्थ मिनिस्टर डॉ. साद खालिद ने कहा कि दिमाग खाने वाले अमीबा का शिकार बनने से बचें. यह ताजे पानी में पैदा होने वाला खतरनाक अमीबा है. झरनों, तालाबों और स्विमिंग पूल से दूरी बनाएं.


भूलकर भी ना करें ये गलती


केयरटेकर हेल्थ मिनिस्टर ने ये भी कहा कि जब तक खतरा टल नहीं जाता है तब तक स्विमिंग पूल में उतरने से बचें. स्विमिंग पूल के क्लोरीनीकरण का ध्यान रखें. अगर तैरते वक्त नाक में पानी गया और उसमें दिमाग खाने वाला अमीबा हुआ तो आप बीमार पड़ सकते हैं. दिमाग खाने वाला अमीबा पानी में रहता है और नाक के जरिए बॉडी में एंट्री लेता है.


दिमाग खाने वाला अमीबा क्या है?


बता दें कि दिमाग खाने वाले अमीबा का नाम नेगलेरिया फाउलेरी है. ये एक सेल वाला जीव है. ये झीलों, तालाबों और खराब रख-रखाव वाले स्विमिंग पूल में पाया जाता है. दिमाग खाने वाला अमीबा इतना छोटा होता है कि ये सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है. दिमाग खाने वाले अमीबा नाके के रास्ते दिमाग में पहुंच जाता है और वहां इन्फेक्शन शुरू कर देता है.


दिमाग खाने वाले अमीबा से बीमारी के लक्षण


दिमाग खाने वाले अमीबा से बीमारी के लक्षण आमतौर पर 1 हफ्ते में दिखाई देते हैं. इसका शिकार हो चुके लोगों में बुखार, तेज सिरदर्द, गर्दन में जकड़न, कन्फ्यूजन, मलती, उल्टी और दौरे आने की समस्या हो सकती है.


क्या है दिमाग खाने वाले अमीबा का इलाज?


बता दें कि नॉर्थ अमेरिका में जब कुछ लोग दिमाग खाने वाले अमीबा का शिकार हुए थे तो उनका इलाज एम्फोटेरिसिन बी, रिफाम्पिन, फ्लूकोनाजोल और मिल्टेफोसिन के कॉम्बिनेशन से किया गया था. हालांकि, ये भी ध्यान रखिए कि इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत हाई है.