Houthi Rebels News: लाल सागर और अदन की खाड़ी में यमन के हूती विद्रोही लगातार कार्गो शिप को निशाना बना रहे हैं, खासतौर से अमेरिकी शिप पर खतरा अधिक बढ़ गया है. इसे देखते हुए जो बाइडेन प्रशासन ने एक बार फिर हूती विद्रोहियों के संगठन को ग्लोबल टेररिस्ट ग्रुप घोषित किया है, इसके साथ ही इस्लाम में शिया संप्रदाय से जुड़े जायदी सेक्ट से जुड़े लोग भी अमेरिका की नजर में अब आतंकी है. खास बात यह है कि अमेरिका यह मानता है कि हूती विद्रोहियों को ईरान का संरक्षण हासिल है.


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यमन के उत्तरी इलाकों में हूती विद्रोहियों की मजबूत पकड़

अगर बात हूती विद्रोहियों की करें तो यमन के उत्तरी इलाकों इनका विस्तार है. आप कह सकते हैं कि यमन के इस हिस्से में इनका शासन चलता है. इसके साथ ही इनका बाब अल मंदाब स्ट्रेट पर भी नियंत्रण है. हूती विद्रोही पहले ही कह चुके हैं कि इजरायल से जुड़े हुए जिन भी कार्गो शिप का नाता किसी दूसरे देश से होगा उसे वो निशाना बनाएंगे. हूती विद्रोही कहते हैं कि गाजा में जिस तरह से इजरायल लगातार हमले कर रहा है उसके जवाब में यह कार्रवाई की जा रही है. लेकिन अमेरिका का कहना है कि 15 जनवरी 2024 की तारीख तक लाल सागर में अब तक 55 देशों के कार्गो शिप को निशाना बनाया गया है.


जनवरी 2021 में ट्रंप शासन ने घोषित किया था आतंकी संगठन

हूती विद्रोहियों का पहले अंसार अल्लाह के नाम से जाना जाता था. ट्रंप शासन के कार्यकाल के आखिरी दिनों में अमेरिका ने पहले फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन और 10 जनवरी 2021 को स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया कर दिया. बता दें कि हूती विद्रोही वर्षों से सऊदी अरब सरकार समर्थित यमन की सरकार से जंग लड़ रहे हैं. सिविल वार का असर यह है कि लाखों की संख्या में निर्दोष लोगों को कैंपों में शरण लेना पड़ा है.


फरवरी 2021 में अमेरिका ने हटाया था बैन

फरवरी 2021 में जो बाइडेन प्रशासन ने यमन में नागरिक सहायता का हवाला देकर हूती विद्रोही संगठन से  एसडीजीटी टैग को को हटा दिया. इसके साथ ही फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन की भी लिस्ट से हटा लिया. लेकिन उसका असर ये हुआ कि हूतियों ने फरवरी 2021 और अप्रैल 2022 के बीच अपने आपको और मजबूत कर लिया. उन्होंने जमीनी स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिकी मदद को पहुंचने ही नहीं दिया. स्ट्रैटिजिक स्टडीज प्रोग्राम के फेलो कबीर तनेजा कहते हैं कि उसका असर यह हुआ कि सऊदी सरकार भी हूती विद्रोहियों के साथ समझौता करने की दिशा में आगे बढ़ी. समझौते के तहत अप्रैल 2022 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी प्रेसिडेंट अबदरब्बू मंसूर हादी ने सत्ता प्रेसिडेंशियल काउंसिल को सौंप दी और इस तरह से हुतियों के साथ शांति समझौता स्थापित हुआ.


कितने शक्तिशाली हैं हूती

अब हूती कितने शक्तिशाली है इसे समझने के लिए पिछले साल सितंबर के महीने में चलना होगा. यमन की राजधानी साना में इन्होंने अपने हथियारों के जखीरे को दुनिया के सामने पेश किया. एक तरह से संदेश दिया कि वो किसी भी रेगुलर आर्मी को निशाना साध सकते हैं. जब सात अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया और उसके बाद इजरायल ने काउंटर ऑपरेशन किया उसके बाद हूती विद्रोहियों को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिला. हूती विद्रोहियों को यह लगने लगा कि रेड सी में वो कार्गो शिप को निशाना बनाकर अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में बने रह सकते हैं. अब उनको इजरायल-हमास युद्ध के रूप में वजह भी मिल गई.


समंदर में माइन बिछाने के लिए उनके पास मालाह नावों के साथ साथ एमआई-8 भी है. अब हूती विद्रोही इसी माइन और एयरपावर के जरिए रेड सी में अपनी ताकत दिखा रहे हैं. इसके साथ ही उनके पास फ्लेडरमॉस रडार, सर्फेस टू सर्फेस मिसाइल के साथ टी-55 टैंक भी हैं. यही नहीं ये टोचरा बैलिस्टिक मिसाइल, एफ-5 सुपरसोनिक लाइट एयरक्राफ्ट, इरानियन मूल की हातेम या खैबर शेकेन और बद्र-4 मिसाइल से लैस हैं.


क्या कहते हैं जानकार

मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका की राजनीति पर नजर रखने वाले जूस्ट आर हिटलरमैन कहते हैं कि अमेरिका का यह फैसला ठीक नहीं होगा. अब जबकि यमन सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच समझौता हो चुका है जिसमें अमेरिका और सऊदी अरब की खास भूमिका रही है. वैसी सूरत में अमेरिका द्वारा एक बार फिर से हूतियों को आतंकी घोषित करने का फैसला यमन के लिए ठीक नहीं होगा.सबसे बड़ी बात तो यह है कि अगर अमेरिका, हूतियों को आंतकी संगठन के तौर पर देख रहा है तो उसकी परिभाषा क्या है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज भी आतंकवाद को स्पष्ट तौर से व्याख्या नहीं की गई है.