Lal Krishna Advani Ram Mandir Movement: लालकृष्ण आडवाणी को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की जानकारी उनके शिष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी. पीएम मोदी ने पहले सोशल मीडिया पर और फिर उसके बाद ओडिशा की रैली में इसका जिक्र किया. 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा और अब राम रथ के सारथी को भारत रत्न देने का फैसला. पीएम मोदी ने राम मंदिर के उद्घाटन को संपूर्ण कर दिया. भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष और पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि एक शिष्य का अपने गुरु के प्रति समर्पण भी है. या कहें, गुरुदक्षिणा भी.


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आडवाणी को राजनीतिक गुरु मानते हैं पीएम मोदी


पीएम मोदी के लिए लालकृष्ण आडवाणी एक गुरु के साथ साथ एक मार्गदर्शक भी रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने गुरु के प्रति सम्मान का भाव कभी कम नहीं होने दिया. आडवाणी के हर जन्मदिन पर पीएम मोदी उनके घर जाते हैं और अपनापन दिखाते हैं. आडवाणी बीजेपी के मार्गदर्शक हैं. साल 2015 में मोदी सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था और अब उन्हें भारत रत्न दिया है. आडवाणी के घर में मोदी का स्वागत एक प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि परिवार के एक सदस्य के रूप में होता है.


राम मंदिर के उद्घाटन पर आडवाणी ने पीएम मोदी को सराहा


लालकृष्ण आडवाणी स्वास्थ्य कारणों से राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. लेकिन, उन्होंने 22 जनवरी को जब राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुआ तो एक लेख के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं थीं. इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी की भी सराहना की. इसके साथ ही राम काज पूरा होने पर लालकृष्ण आडवाणी बेहद आनंदित हुए, क्योंकि उनके जीवन काल में ही उनका संघर्ष सफल हुआ, उनका सपना साकार हुआ. लालकृष्ण आडवाणी की बेटी प्रतिभा आडवाणी ने बताया कि वो बहुत खुश हैं, उनके जीवन का बड़ा सपना रहा है. हमें खुशी है कि उनके जीवनकाल में संभव हो पाया, इसके अलावा कुछ चाहिए नहीं होता है.


आडवाणी ने ही तैयार किया था राम मंदिर निर्माण का रास्ता


राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 2024 में हुई, लेकिन मंदिर निर्माण का रास्ता तो लालकृष्ण आडवाणी ने ही तैयार किया था. साल था 1990, जब आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली थी. जो सोमनाथ से चला है और जिसके मन में संकल्प किया हुआ है कि 30 अक्टूबर को वहां पहुंचकर कारसेवा करेंगे और मंदिर वहीं बनाएंगे. आडवाणी की रथ यात्रा में उमड़ी भीड़ ने रथ यात्रा को जन आंदोलन में बदल दिया,जिससे तत्कालीन सरकार की चिंता बढ़ा दी और उस दौर में बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव ने 23 अक्टूबर 1990 को आडवाणी की गिरफ्तारी करवा दी. इसके बाद आडवाणी रथ यात्रा में अयोध्या नहीं जा पाए लेकिन वो जो संदेश देना चाहते थे वो दे चुके थे.


आडवाणी की रथयात्रा का बीजेपी को हुआ फायदा


लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के बाद माहौल बदला, राजनीतिक तौर पर भी बीजेपी मजबूत हुई और देश की सत्ता तक पहुंचने में सफल रही. 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने दम पर 302 सीट जीतकर आई. इस बार यानी 2024 के चुनाव में बीजेपी का लक्ष्य 400 पार का है. पीएम मोदी की नेतृत्व क्षमता और उनकी कार्यशैली की वजह से बीजेपी को भरोसा है कि जनता इस बार भी उनके साथ जरूर खड़ी रहेगी. लेकिन, इसमें भी लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका होगी.


गर्व है कि हमारा आंदोलन, राजनीतिक नहीं सांस्कृतिक है: आडवाणी


साल 2013 में बीजेपी की स्थापना दिवस पर लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा था, 'जो लोग कहते हैं ना कि ये तो अयोध्या, मंदिर और राम मंदिर के आधार पर ही बीजेपी ने या जनसंघ ने ये स्थान प्राप्त किया है. मैं उनको ये कहता हूं कि हां बराबर है.  हम इस पर गर्व करते हैं कि हमारा आंदोलन केवल राजनीतिक आंदोलन नहीं है वो एक सांस्कृतिक आंदोलन है. लेकिन, इस सांस्कृतिक आंदोलन का जब प्रतिरूप मुझे डॉ लोहिया जैसे समाजवादी व्यक्ति और नेता से मिलता है तो उनकी प्रशंसा किए बगैर मैं नहीं रह पाता. मैं मानता हूं. सही बात आप करो तो दुनिया उसे स्वीकार करेगी. संकोच मत करो. हीन भावना कभी मत आने दो. अयोध्या की बात पर विश्वास करते हैं. आंदोलन करते हैं तो उसपर एपोलॉजिटिक नहीं होना चाहिए. गर्व करना चाहिए.'