छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार जल्द ही धर्मांतरण विरोधी कानून लाने जा रही है. छत्तीसगढ़ विधानसभा के मौजूदा सत्र में ही चर्चा के लिए “छत्तीसगढ़ गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध विधेयक” पेश किए जाने की चर्चा है. कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने शनिवार को इस बारे में सदन में कहा कि छत्तीसगढ़ में लगातार धर्मांतरण के मामले सामने आ रहे हैं. पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान 5 साल में धर्मांतरण को काफी संरक्षण मिला.


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धर्म परिवर्तन के कारण छत्तीसगढ़ में जनसांख्यिकीय परिवर्तन होने का दावा 


बृजमोहन अग्रवाल ने धर्मांतरण के खिलाफ 34 मामले दर्ज किए जाने और 3400 से ज्यादा मामलों में शिकायतें मिलने की आधिकारिक जानकारी भी दी. हालांकि, भाजपा के दूसरे बड़े नेताओं ने दावा किया है कि धर्मांतरण के असली आंकड़े को इससे कई गुना ज्यादा हैं. नेताओं ने धर्म परिवर्तन के कारण छत्तीसगढ़ में जनसांख्यिकीय परिवर्तन होने की बात भी कही है. आइए, जानते हैं कि छत्तीसगढ़ धर्मांतरण बिल में क्या-क्या है?


छत्तीसगढ़ धर्मांतरण विधेयक का ड्राफ्ट तैयार, कुछ संशोधनों के साथ विधानसभा में पेश होगा


रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ धर्मांतरण विधेयक का ड्राफ्ट पूरी तरह तैयार है. हालांकि, विधानसभा में अंतिम रूप से पेश होने से पहले इसमें कुछ संशोधन किए जा सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि ड्राफ्ट में कहा गया है कि जो व्यक्ति दूसरे धर्म में परिवर्तित होना चाहता है, उसे कम से कम 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ एक फॉर्म या घोषणापत्र भरकर अपने जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा करना होगा. फिर पुलिस से "वास्तविक इरादे, कारण और मकसद" का आकलन करने के लिए कहेगा. वहीं, धर्मांतरण समारोह करने वाले शख्स को इसी तरह कम से कम एक महीने पहले एक फॉर्म भरना होगा.


धर्मांतरण के लिए नियम और शर्तें लागू, गैर-कानूनी तरीके के खिलाफ सख्ती; सबके सामने डेटा


धर्मांतरण विधेयक मसौदे में यह भी कहा गया है कि ताकत के दुरुपयोग, डराकर, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या विवाह के बहाने से या रीति-रिवाजों की आड़ में एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण नहीं किया जा सकता है. मसौदे के मुताबिक, डीएम के पास धर्म परिवर्तन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की एक रजिस्ट्री रखी जाएगी. धर्मांतरण की पुष्टि की तारीख तक डीएम अपने ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर व्यक्ति के घोषणापत्र की एक कॉपी प्रदर्शित करेंगे. धर्मांतरण करने वाले शख्स को वेरिफिकेशन के लिए डीएम के सामने घोषणापत्र के साथ हाजिर भी होना पड़ेगा.


डीएम के वेरिफिकेशन में कुछ संदिग्ध मिला तो धर्मांतरण रद्द, गैरजमानती मामले में एफआईआर


विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि अगर डीएम को वेरिफिकेशन के दौरान पता चलता है कि इसमें कोई भी संदिग्ध मामला था, तो व्यक्ति का धर्मांतरण अवैध माना जाएगा. आपत्ति की स्थिति में, उस व्यक्ति द्वारा एफआईआर दर्ज की जा सकती है जो धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति से रक्त संबंध या गोद लेने के रिश्ते से जुड़ा हुआ हो. इसमें कहा गया है कि मामला गैर-जमानती होगा और सत्र अदालत द्वारा सुनवाई योग्य होगा. विधेयक में दोषियों के लिए कड़ी सजा का भी प्रावधान किया गया है.


धर्मांतरण विरोधी बिल के ड्राफ्ट में सजा के लिए क्या है प्रावधान, 10 साल तक सजा, 50 हजार का जुर्माना


नाबालिगों, महिलाओं या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने वालों को कम से कम दो साल और अधिकतम 10 साल की जेल होगी. इसके साथ ही कम से कम 25,000 रुपये का जुर्माना लगेगा. अवैध सामूहिक धर्म परिवर्तन पर कम से कम तीन साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50,000 रुपये जुर्माना होगा. सेशन कोर्ट धर्म परिवर्तन के पीड़ित को 5 लाख रुपये तक का मुआवजा भी मंजूर कर सकता है. इसमें कहा गया है कि धर्मांतरण अवैध नहीं था, यह साबित करने की जिम्मेदारी समारोह आयोजित करने वाले शख्स पर होगा.


पिछले धर्म में दोबारा आने यानी घरवापसी पर लागू नहीं होगा कानून, छत्तीसगढ़ में क्या हैं राजनीतिक संदेश


यह कानून उन लोगों पर लागू नहीं होता जो अपने पिछले धर्म में दोबारा धर्म परिवर्तन या घरवापसी करना चाहते हैं. छत्तीसगढ़ के धर्म स्वतंत्रता विधेयक के इस प्रावधान के जरिए भाजपा सरकार लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक राजनीतिक संदेश भी देना चाहती है. क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचार परिवार से जुड़े संगठन वनवासी कल्याण आश्रम ने आदिवासियों के बीच और धर्म जागरण मंच या हिंदू जागरण मंच देशभर में घरवापसी अभियान चला रहा है. छत्तीसगढ़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री और जशपुर के शाही परिवार के दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव ने सबसे पहले अपने जिले में घरवापसी अभियान को बढ़ावा दिया था.


छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने धर्मांतरण को बनाया था मुद्दा, सीएम से जुड़ी है एक और वजह 


छत्तीसगढ़ में पिछले पांच साल कांग्रेस के शासन काल में कोंडागांव और नारायणपुर जैसे जिलों में ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई थी. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने धर्मांतरण को चुनावी मुद्दा बनाया था. इसलिए भाजपा सरकार ने इसके लिए प्राथमिकता के आधार पर कदम बढ़ाया है. इसकी एक वजह यह भी है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जशपुर जिले से आते हैं और घरवापसी के नेता रहे दिलीप सिंह जूदेव को अपने राजनीतिक गुरु के रूप में देखते हैं.


छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के जिले में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च


छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि पिछले पांच वर्षों में राज्य में धर्मांतरण में काफी बढ़ोतरी हुई है. सीएम साय ने पिछले महीने कहा था, ''जूदेव जी ने जशपुर में घरवापसी अभियान चलाया था, जिससे हमारा जिला सुरक्षित है. इसके बावजूद एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च हमारे जिले में है और आसपास धर्मांतरण तेजी से बढ़ रहा था. राजा होते हुए भी जूदेव जी ने धर्मांतरित लोगों के पैर धोए और उन्हें हिंदू धर्म में वापस लाया. आज उनका बेटा इस काम को आगे बढ़ा रहा है.' उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की डेमोग्राफी को बर्बाद करने के लिए बहुत सारी शक्तियां काम कर रही हैं.


कांग्रेस की धर्मांतरण विरोधी विधेयक पर कड़ी प्रतिक्रिया, चरण दास महंत ने की निंदा


दूसरी ओर, विपक्षी कांग्रेस ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक की खबरों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. कांग्रेस नेताओं ने भाजपा और सीएम साय पर लोकसभा चुनाव को लेकर धर्मांतरण के मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया था. छत्तीसगढ़ विधानसभा में  नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने विपक्ष से विचार-विमर्श के बिना बनाए जाने की बात कहते हुए धर्मांतरण कानून की निंदा की. 


महंत ने कहा, 'बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के अनुच्छेदों की अनदेखी की जा रही है. हमारा हर धर्म से रिश्ता है. हम सब एक हैं. बिना जानकारी लिए और नियम-कायदों को ध्यान में रखे बिना धर्मांतरण को लेकर जांच कमेटी बनाना उचित नहीं है.'