US-UK Attack on Yemen Houthi Rebel: लाल सागर में लगातार मिसाइल और ड्रोन अटैक कर दुनियाभर के व्यापार के लिए संकट बन रहे हूती विद्रोहियों को सबक सिखाने के लिए अमेरिका- ब्रिटेन ने यमन पर बड़ा हमला किया है. दोनों देशों ने यमन में हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले 5 इलाकों पर 73 मिसाइलें दागीं. इस हमले में 5 लोग मारे गए और 6 घायल हो गए. हूती विद्रोहियों ने इस हमले का बदला लेने का ऐलान किया है. इस अमेरिकी एक्शन से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने के आसार जताए जा रहे हैं.  


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हमास आतंकियों के हमले से भड़की आग


बताते चलें कि फिलीस्तीन गाजा पट्टी में शासन करने वाले हमास आतंकियों ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमला कर 1400 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. साथ ही करीब 250 लोगों को किडनैप कर वे उन्हें गाजा पट्टी ले गए, जिनमें से बड़ी संख्या में बंधक अब भी हमास की कैद में हैं. इस हमले से इजरायल बुरी तरह आग बबूला है और वह हमास को खत्म करने के लिए गाजा पट्टी पर ताबड़तोड़ हमला कर रहा है, जिसमें अभी तक 21 हजार लोग मारे जा चुके हैं. 


इजरायल के इन हमलों पर ईरान ने शुरू से ही विरोध जताया है. उसके इशारे पर यमन के हूती विद्रोहियों ने नवंबर से लाल सागर से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों पर हमले करने शुरू कर दिए. वे वहां से निकलने वाले जहाजों पर ताबड़तोड़ मिसाइल और ड्रोन अटैक कर रहे हैं. लाल सागर के आगे मिस्र की स्वेज नहर है, जिससे होकर एशिया और यूरोप के बीच में व्यापार होता है. दुनियाभर के सभी देश इसी रूट के जरिए आयात-निर्यात करते हैं. माल से लदे जहाजों पर अटैक होने के वजह से अब शिपिंग कंपनियां लाल सागर से बचने लगे हैं.


हूती विद्रोही कर रहे लाल सागर में हमला


वे कंपनियां अब दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप से होकर सामान का आयात-निर्यात कर रही है. इसकी वजह से अब कंपनियों की परिवहन लागत 25-30 प्रतिशत ज्यादा बढ़ गई है. साथ ही अब माल पहुंचने के दिन भी 15 दिन बढ़ गए हैं. खतरा बढ़ते देख अब बीमा कंपनियों भी शिपिंग कंपनियों के जहाजों का बीमा करने से कन्नी काटने लगी हैं. कई कंपनियों ने जहां अपनी प्रीमियम की दरें बढ़ा दी हैं, वहीं कई कंपनियों ने लाल सागर से स्वेज नहर जा रहे जहाजों को बीमा कवर देना ही बंद कर दिया है. 


दुनिया भर के कारोबार पर आंच आते देख अमेरिका ने सहयोगी देशों के साथ मिलकर गठबंधन बनाया है. इस गठबंधन में 26 देश शामिल हैं. भारत इस गठबंधन में शामिल नहीं है. इस गठबंधन का मकसद लाल सागर में अपने युद्धपोतों को तैनात करना और वहां से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों को सुरक्षा प्रदान करना है. यमन पर ताजा हमला इसी गठबंधन की ओर से किया गया है. 


बढ़ गया है संघर्ष के फैलने का खतरा


रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इस हमले से क्षेत्रीय संघर्ष भड़कने का खतरा बढ़ गया है, जिसे बिडेन प्रशासन और उसके सहयोगी देश कई हफ्तों से शांत करने की कोशिश कर रहे हैं. 


हाल ही में अमेरिका ने ईरान के एक ऑयल टैंकर को जब्त कर लिया था. अमेरिका का कहना था कि प्रतिबंध के बावजूद ईरान अपने तेल का दूसरे देशों में निर्यात कर रहा है. इसके जवाब में ईरान ने भी एक यूरोपीय देश के मालवाहक को जब्त कर लिया.


फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका-ब्रिटेन के इन हमलों से कितना व्यापक नुकसान हुआ. ब्रिटेन ने कहा कि उसने यमन के बानी इलाके में अटैक किया, जहां से हूती विद्रोही ड्रोन अटैक कर रहे थे. इसके साथ ही एब्स में बनी एयरफील्ड को भी निशाना बनाया गया, जहां से लाल सागर में क्रूज मिसाइल और ड्रोन अटैक किए जा रहे थे. 


अमेरिका को चुकानी होगी भारी कीमत


हूती विद्रोहियों के प्रवक्ता और मुख्य वार्ताकार मोहम्मद अब्दुल सलाम ने स्वीकार किया कि अमेरिका और ब्रिटेन के युद्धक विमानों और पनडुब्बियों ने यमन पर बड़े पैमाने पर हमला किया. सलाम ने धमकी दी कि दोनों देशों के इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. 


हूती प्रवक्ता ने कहा, अगर उन्होंने सोचा कि वे यमन को फिलिस्तीन और गाजा का समर्थन करने से रोक देंगे तो वे गलत हैं. हूती का निशाना इजरायली जहाजों या कब्जे वाले फिलिस्तीन के बंदरगाहों की ओर जाने वाले जहाज बनते रहेंगे. 


लोगों ने रैली में लगाए भड़काऊ नारे


उत्तर पश्चिमी यमन में हूती विद्रोहियों के गढ़ सादा में शुक्रवार को सैकड़ों लोगों ने एक रैली की. इस रैली में तमाम भड़काऊ नारे लगाए गए. लोगों ने ईश्वर सबसे महान है; अमेरिका के लिए मौत, इजरायल को मौत, यहूदियों को शाप दो और इस्लाम की जीत जैसे नारे लगाए. 


सऊदी अरब से अटैक से कर लिया दूर


उधर यमन पर अमेरिका और ब्रिटेन के हमलों के तुरंत बाद सऊदी अरब ने तुरंत उससे खुद को अलग कर लिया. इसकी वजह ये है कि वह ईरान के साथ एक नाजुक सौहार्द बनाए रखना चाहता है. असल में हूती विद्रोहियों को ईरान की ओर से ही हथियार, ट्रेनिंग और दूसरे प्रकार का समर्थन मिलता है. सऊदी अरब ने खाड़ी देशों के साथ मिलकर कई वर्षों तक हूती विद्रोहियों पर ताबड़तोड़ हमले किए थे लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाया. इसके बाद उसने चीन की मध्यस्थता में ईरान के साथ समझौता कर लिया. अमेरिका के ताजे हमलों से उसे डर है कि कहीं वह शांति फिर से भंग न हो जाए.