Iran-Israel Proxy Conflict: पूरी दुनिया की नजर इस वक्त ईरान (Iran) पर है. इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, वो कभी भी इजरायल (Israel) पर हमला कर सकता है. वहीं, अमेरिका ने ईरान को हमला ना करने की चेतावनी दी है. इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि ईरान, इजरायल पर हमला करने वाला है. मगर अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुद इन दावों की पुष्टि कर दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा कि मैं सही जानकारी का इंतजार कर रहा हूं. मगर, मुझे लगता है कि ये जल्द से जल्द होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान का मतलब साफ है कि अमेरिकी इस वक्त ईरान पर पैनी नजर बनाए हुए है. वहीं, बाइडेन ने ईरान को हमला ना करने की चेतावनी देते हुए इजरायल को हर संभव मदद देने का वादा भी किया है.


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क्या इजराइल पर हमला करेगा ईरान?


अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हम इजराइल की रक्षा के लिए समर्पित हैं. हम इजराइल का समर्थन करेंगे. हम इजराइल की रक्षा में मदद करेंगे और ईरान सफल नहीं होगा. वहीं, विदेशी मीडिया भी लगातार ईरान के हमलों की भविष्यवाणी कर रही है. इजरायल टाइम्स के मुताबिक, कुछ रिपोर्ट्स में चेतावनी दी गई है कि ईरान कुछ ही घंटों में बड़ा ड्रोन और मिसाइल हमला कर सकता है.


इजरायल के साथ ढाल बनेगा अमेरिका


ईरान के हमले की आशंका के बाद अमेरिका, इजरायल के साथ ढाल बनकर खड़ा हो गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के युद्धपोत भी इजरायल भेज दिए गए हैं. इजरायल की रक्षा के लिए अमेरिका जंग के मैदान में कूद पड़ा है. द वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी हमले की स्थिति में इजरायल की रक्षा के लिए अमेरिका ने युद्धपोत भेज दिए हैं.


बचाव में जुटा IDF प्रमुख


इसके साथ अमेरिका और इजरायल की सेना ने एक बड़ी मीटिंग की है, जिसमें इजरायल डिफेंस फोर्स के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ हर्जी हलेवी और US सेंट्रल कमांड के माइकल कुरिल्ला ने ईरान के खतरे पर चर्चा की. IDF प्रमुख हर्जी हलेवी ने मीटिंग में कहा कि ईरान और दूसरे क्षेत्रों में क्या हो रहा है, IDF की इसकी बारीकी से निगरानी करना जारी है. अमेरिका के सशस्त्र बलों के साथ काम करते हुए मौजूदा और संभावित खतरों से निपटने के लिए लगातार तैयारी की जा रही है.


तैयारियों को परख रहा इजराइल


इस मीटिंग के बाद भी US सेंट्रल कमांड के अधिकारी इजरायल में डटे रहे, कमांडर माइकल ने कुछ घंटों पहले ही इजरायल के रक्षा मंत्री गैलेंट से भी मुलाकात की. और इजरायल की तैयारियों को बारीकी से परखा. हमास के साथ युद्ध में मानवीय पहलुओं पर अमेरिका और इजरायल में थोड़ी असमहति थी, मगर इस बार ईरान को लेकर दोनों देश एकजुट नजर आ रहे हैं.


पुरानी है इजराइल-ईरान की दुश्मनी


ईरान और इजरायल की जंग पुरानी नहीं है. लेकिन ये पुरानी जंग 7 अक्टूबर के बाद से फिर तेज हो गई है जब से इजरायल अपने देश पर हुए आतंकी हमले पर जवाबी कार्रवाई तेज कर रहा है और इस कार्रवाई की जद में ईरान, लेबनान, सीरिया और यमन भी हैं. सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमले में पांच लोग मारे गए. इन 5 लोगों में ईरान के सीनियर रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स कमांडर ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा जहेदी की भी मौत हो गई थी. ईरान ने दमिश्क में हुए हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है.


दमिश्क हमले के बाद से बदले की आग में झुलस रहा ईरान पलटवार करने की तैयारी कर रहा है. ईरान पहले ही जवाबी हमले का ऐलान कर चुका है. आशंका जताई जा रही है कि ईरान-इजरायल पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी कर सकता है. इसके अलावा अपनी सामरिक स्थिति का फायदा उठाकर ईरान दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए एक नया संकट खड़ा कर सकता है.


इस पूरे घटनाक्रम से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच सुलह करवाने में जुटे अमेरिका के सामने नया संकट खड़ा हो गया है. बीते 6 महीने से ज्यादा वक्त से चल रही जंग के खत्म होने के बजाए पश्चिम एशिया में जंग का दायरा बढ़ने का खतरा गहरा गया है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन इजरायल के लिए फौलादी समर्थन का ऐलान कर रहे हों लेकिन मध्य पूर्व के लिए उनके राजदूत खाड़ी के कई राजनयिकों के जरिए ईरान को कार्रवाई ना करने के लिए मनाने में जुटे हैं. इसी कड़ी में माना जा रहा है कि दिल्ली दौरे पर आ रहे अमेरिकी एनएसए जैक सेल्वन की यात्रा में भारत की मदद लेने की कोशिश होगी.


वहीं, भारत के लिए ये टेंशन दोहरी है क्योंकि भारत, ईरान और इजरायल दोनों के साथ अच्छे रिश्ते रखता है. साथ ही इन दोनों देशों के अलावा पूरे खाड़ी देशों में उसकी बड़ी आबादी रहती है. भारत की चिंता को इससे भी आंका जा सकता है कि विदेश मंत्रालय ने इजरायल और ईरान में रहने वाले भारतीयों को भारतीय दूतावास से संपर्क करने को कहा है.


नागरिकों की चिंता के अलावा भारत की फ्रिक ईरान में मौजूद चाबहार बंदरगाह के निवेश और इजरायल के साथ कारोबारी साझेदारी समेत कई मोर्चों पर बिखरी है. भारत की सबसे बड़ी चिंता इसी बात को लेकर है कि अगर ईरान हॉर्मोस की खाड़ी में ब्लॉकेज लगाता है या इस इलाके में सैनिक टकराव होता है तो उसका सीधा असर कच्चे तेल की सप्लाई पर होगा. खाड़ी देशों से होने वाले भारत का तेल आयात इसी रास्ते से आता है.


तनाव के इस नए मोर्चे को लेकर भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों की चिंताएं जुड़ी हैं. कोविड-19 की मार, रूस-यूक्रेन जंग की आग और इजरायल-हमास संघर्ष के बीच ईरान के साथ नए टकराव का मोर्चा दुनिया की अर्थव्यस्था की तबीयत और खराब कर देगा.