टेरर फंडिंग के आरोपी इंजीनियर राशिद के चुनाव प्रचार से किसे फायदा किसे होगा नुकसान? AIP पार्टी जम्मू-कश्मीर में बनेगी गेमचेंजर?
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टेरर फंडिंग के आरोपी इंजीनियर राशिद के चुनाव प्रचार से किसे फायदा किसे होगा नुकसान? AIP पार्टी जम्मू-कश्मीर में बनेगी गेमचेंजर?

Engineer Rashid Bail: जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग के आरोपी और सांसद राशिद इंजीनियर के जेल से आते ही जम्मू-कश्मीर की राजनीति की फिजा बदल गई है. राशिद को चुनाव प्रचार के लिए जमानत मिली है, आखिर क्या वजह है कि राशिद की जमानत से महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की परेशानी बढ़ गई है. राशिद के चुनाव प्रचार से किसको होगा फायदा, किसे होगा नुकसान. जानें सबकुछ. 

टेरर फंडिंग के आरोपी इंजीनियर राशिद के चुनाव प्रचार से किसे फायदा किसे होगा नुकसान? AIP पार्टी जम्मू-कश्मीर में बनेगी गेमचेंजर?

Jammu Kashmir Politics: जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. इससे पहले बारामुल्ला के सांसद राशिद इंजीनियर जेल से बाहर आ गए हैं. राशिद को जमानत मिलते ही राजनीतिक पारा गरमा गया है. तो आइए जानते हैं कि टेरर फंडिंग के आरोपी सांसद इंजीनियर राशिद के चुनाव प्रचार से किसे फायदा और किसे नुकसान होगा? NC और PDP में आखिर क्यों खलबली मच गई है. आखिर राशिद की पार्टी से बीजेपी को क्या फायदा होने वाला है. 

जेल से रिहाई, पार्टियों में खौफ?
राशिद इंजीनियर की रिहाई से जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दलों में खौफ आ गया है. जम्मू-कश्मीर हुए लोकसभा में जेल से ही राशिद ने अपना चुनाव जीता था.  राशिद के जेल से बाहर आने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की सबसे अधिक टेंशन बढ़ गई है. राशिद वही शख्स हैं जिसने जेल में बंद रहने के बाद भी लोकसभा चुनाव 2024 में अब्दुल्ला को बारामूला लोकसभा सीट से हरा दिया था. तभी तो उमर अब्दुल्ला कहते हुए फिर रहे हैं कि राशिद को बेल चुनाव के लिए मिली है. इंजीनियर राशिद और उनके लोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं. नेशनल कांफ्रेस (NC) के बाद पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने राशिद की पार्टी पर जमकर निशाना साधा है, उनका कहना है कि राशिद की पार्टी आईपी बीजेपी की नई प्रॉक्सी दल है.

राशिद के चुनाव प्रचार से किसको फायदा? 
बारामूला लोकसभा सीट से उमर अब्दुल्ला को शिकस्त देकर निर्दलीय सांसद बने राशिद के बाहर आने से चुनाव पर खासा असर पड़ सकता है. सबसे अधिक नुकसान NC और PDP को उठाना पड़ सकता है, तभी तो दोनों पार्टियां राशिद की जमानत का जमकर विरोध कर रही हैं. 

राशिद की पार्टी को मिला वोट तो बीजेपी को होगा फायदा?
घाटी में NC और PDP का अपना वोट वैंक है, राशिद की पार्टी इन्हीं वोटरों को अपने पाले में ला सकती है, इससे जहां मामला त्रिकोणीय होगा तो बीजेपी को एक तरह से फायदा मिल सकता है. महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और राशिद की पार्टी के बीच इस चुनाव में बात नहीं बनी है, यानी अगर राशिद की पार्टी पूरे दमखम से चुनाव लड़ी तो पीडीपी को बहुत नुकसान होगा. 

सहानुभूति का वोट?
दरअसल, इंजीनियर राशिद लंबे समय से सलाखों के पीछे रहे हैं, यही वजह है कि जनता की सहानुभूति वे लोकसभा में भी बटोरने में कामयाब हुए थे, इस बार विधानसभा चुनाव में इसी भावना के साथ अपने साथ और वोटरों को जोड़ सकते हैं. जिससे विपक्षियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. विधानसभा चुनाव के लिए जारी घोषणापत्र में आवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी, AIP) ने कैदियों की रिहाई और PSA और USPA को रद्द करने का वादा किया है. जिसका भी प्रभाव दिख सकता है.

26 सीटों पर राशिद की पार्टी लड़ रही चुनाव
लोकसभा में चुनाव के परिणाम के बाद राशिद की पार्टी ने पूरे घाटी में पैर पसार लिए है. उत्तर से लेकर दक्षिण तक रशीद के 26 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. तभी तो राशिद के छोटे भाई शेख ख़ुर्शीद ने लैंगेट से नामांकन भरने के बाद  कहा था कि राशिद के जमानत से बाहर आने पर सैलाब आएगा. राशिद के भाई खुर्शीद अहमद शेख सरकारी टीचर थे, जिन्होंने चुनाव लड़ने के लिए नौकरी छोड़ दी.

20 सीटें जीतने का अनुमान
पार्टी की ओर से कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में घाटी की करीब 20 सीटों पर उसे जीत मिलेगी. यदि ऐसा होता है तो एआईपी जम्मू-कश्मीर की एक बड़ी राजनीतिक शक्ति बनकर उभरेगी. जबकि, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के लिए यह बड़े झटके की तरह होगा. इसमें भी बीजेपी को फायदा होने वाला है, बीजेपी इन छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार बना सकती है, बीजेपी की नजर इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी है, जिनको एक साथ लेकर सत्ता में आया जा सकता है.

निर्दलीय प्रत्याशी और छोटे दलों पर बीजेपी की नजर
जम्मू-कश्मीर के दो चरण की 50 विधानसभा सीटों पर कुल 485 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं, जिसमें 214 निर्दलीय प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. पहले चरण की 24 विधानसभा सीट पर 92 और दूसरे चरण की 26 विधानसभा सीट पर 122 निर्दलीय कैंडिडेट हैं. जम्मू-कश्मीर की सियासत में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में निर्दलीय किस्मत आजमा रहे हैं. हालांकि, जमात-ए-इस्लामी से जुड़े लोगों ने अपनी क्षेत्रीय पार्टी बनाई थी, लेकिन चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिल सकी है. इसके चलते जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के लोग निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दी है. यही वजह है कि इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों के उतरने का सारा रिकॉर्ड टूटता नजर आ रहा है.

इंजीनियर राशिद का बैकग्राउंड
2016 में जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग के आरोप में UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिनका नाम तब सामने आया जब एनआईए कश्मीरी कारोबारी जहूर वताली से जुड़े केस की जांच कर रही थी, जिसे घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों के लिए फंडिंग करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. राशिद को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट से टेरर फंडिंग मामले में 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत मिली है. इंजीनियर राशिद को इससे पहले अदालत ने सांसद के तौर पर शपथ लेने के लिए भी छोड़ा था. 

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