Maharashtra Elections: 160, 100, 60-80... महायुति में महा खींचतान, महाराष्ट्र की टोटल सीटों से भी ज्यादा BJP-शिवसेना-NCP की डिमांड
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Maharashtra Elections: 160, 100, 60-80... महायुति में महा खींचतान, महाराष्ट्र की टोटल सीटों से भी ज्यादा BJP-शिवसेना-NCP की डिमांड

Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर महायुति के सहयोगी दल सीट बंटवारे पर बातचीत कर रहे हैं. शिवसेना 100-105 सीटों की मांग कर रही है, भाजपा 160 सीटों पर लड़ना चाह रही है और एनसीपी 60 से 80 सीटों का लक्ष्य बना रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ इस बारे में चर्चा हो चुकी है और जल्द ही अंतिम समझौते की उम्मीद है.

Maharashtra Elections: 160, 100, 60-80... महायुति में महा खींचतान, महाराष्ट्र की टोटल सीटों से भी ज्यादा BJP-शिवसेना-NCP की डिमांड

Seat Sharing Tussle In Mahayuti: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 से पहले राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति में सीटों के बंटवारे को लेकर महा खींचतान जारी है. महाराष्ट्र में विधानसभा सीटों की संख्या 288 है, लेकिन भाजपा 160, शिवसेना 100 से ज्यादा और एनसीपी 60 से 80 सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहती है. इसको लेकर विवाद बढ़ने की आशंका इसलिए ज्यादा है क्योंकि राज्य में कल सीटें तो इतनी जल्दी नहीं बढ़ सकती.

तीन दलों वाली महायुति में रस्साकशी और तेज होने की संभावना

रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सीटों को लेकर तीन दलों वाली महायुति में रस्साकशी और तेज होने की संभावना है, क्योंकि शिवसेना कुल 288 सीटों में से 100-105 सीटों पर दावा कर रही है, जबकि भाजपा 160 निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारकर 2019 में फिर से वापसी करना चाहती है और एनसीपी 60-80 सीटों पर नजर गड़ाए हुए है. भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि शिवसेना ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाल के मुंबई दौरे के दौरान उनके सामने 100 से अधिक सीटों के लिए दावा पेश किया.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मुंबई दौरे में शिवसेना का प्रजेंटेशन

भाजपा नेता ने बताया कि अमित शाह को इस लोकसभा चुनाव में शिवसेना के प्रदर्शन के साथ-साथ अविभाजित शिवसेना के पिछले प्रदर्शन पर एक प्रजेंटेशन दिया गया. उसमें कहा गया, "हमने मराठी और हिंदुत्व वोटों को बरकरार रखा. अपने दम पर, सेना (यूबीटी) को बहुत अधिक वोट नहीं मिले; इसे इंडिया ब्लॉक के लिए रणनीतिक मतदान के कारण वोट मिले. अगर हमें 100 से अधिक सीटें मिलती हैं, तो ही हम सेना (यूबीटी) का मुकाबला कर सकते हैं और एमवीए को हरा सकते हैं."

सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले को लेकर देरी से महायुति में घमासान

विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले को लेकर महायुति में मचे घमासान के बीच शिवसेना के पदाधिकारियों ने भी भाजपा को समझाया है कि उम्मीदवारों की घोषणा में देरी नहीं होनी चाहिए, जैसा कि लोकसभा चुनावों के दौरान हुआ था. महायुति के कई सहयोगियों ने शिकायत की है कि देरी की वजह से उनके पास प्रचार के लिए बहुत कम समय बचा है, जिसके कारण कुछ सीटों पर प्रदर्शन खराब रहा था. शिवसेना के पदाधिकारी ने कहा कि एक बार जब हरेक पार्टी के लिए सीटों की संख्या तय हो जाती है, तो जीतने की संभावना को बेहतर बनाने के लिए निर्वाचन क्षेत्रों की अदला-बदली की जा सकती है.

इस महीने सीट बंटवारे के फॉर्मूले को किया जा सकता है फाइनल

सूत्रों ने कहा कि सीट बंटवारे के फॉर्मूले को इस महीने अंतिम रूप दिया जा सकता है. हालांकि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा अभी नहीं की गई है. शिवसेना को 80-90 सीटें मिल सकती हैं जबकि एनसीपी को 50-60 सीटें मिल सकती हैं. इस बीच, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भाजपा द्वारा 25 सीटों पर दोस्ताना मुकाबले के प्रस्ताव की खबरों का खंडन किया. इससे पहले चर्चा चल रही थी कि ‘एनसीपी के क्षेत्रीय दिग्गज महायुति के चुनावी गणित को बिगाड़ सकते हैं.’

महायुति के चुनावी गणित को बिगाड़ सकते हैं एनसीपी के दिग्गज

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अगर एनसीपी की 60-80 सीटों की मांग पूरी नहीं होती है, तो क्षेत्रीय स्तर पर ताकतवर उसके विधायक महायुति के गणित को बिगाड़ सकते हैं. हालांकि, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने प्रत्येक सहयोगी को सीटों की तय संख्या देने का वादा किया है. इस बीच एनसीपी के महायुति छोड़ने की भी चर्चा है. इसके मौजूदा विधायक वोट-कटवा नहीं बनेंगे. वे सभी क्षेत्रीय क्षत्रप हैं और अगर उन्हें लगेगा कि उनका इस्तेमाल किया जा रहा है, तो वे एमवीए में शामिल हो जाएंगे.

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इस बार कोई लहर नहीं, इसलिए हर सीट पर लड़ना होगा- एनसीपी 

भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को देखते हुए, पार्टी को 100 से अधिक सीटों पर जीतने के लिए 150 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना होगा. राज्य राकांपा प्रमुख सुनील तटकरे ने कहा, "विधानसभा चुनावों 2019 में, भाजपा ने लगभग 160 सीटों पर चुनाव लड़ा और 105 पर जीत हासिल की थी. ​​इस बार कोई लहर नहीं है. इसलिए, हर सीट पर लड़ना होगा. महायुति के तीनों भागीदारों को पर्याप्त संख्या में सीटें लानी होंगी. नहीं तो हम सरकार नहीं बना सकते.”

सुनील तटकरे ने आगे कहा कि सीट बंटवारे पर बातचीत के दौरान अमित शाह ने सम्मानजनक वितरण का आश्वासन दिया था.  उन्होंने जरूरत पड़ने पर व्यक्तिगत हस्तक्षेप का भी वादा किया था.

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