क्यों बदले-बदले से हैं फारूक अब्दुल्ला के सुर? कश्मीर में काम को लेकर पीएम मोदी की जमकर तारीफ
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पीएम नरेंद्र मोदी के लिए फारूक अब्दुल्ला के बदलते सुर की काफी अहमियत है. नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख ने कहा कि केंद्र सरकार जो काम कर रही है. आज कश्मीर को उसी की हमें जरूरत है. यह एक बड़ा कदम है. यह हमारे पर्यटन और लोगों के लिए महत्वपूर्ण है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर को 30 हजार 500 करोड़ रुपए की परियोजना का तोहफा दिया है. इसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सीनियर अब्दुल्ला के बदले सियासी सुर की हर तरफ चर्चा होने लगी है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जो काम कर रही है, आज कश्मीर को उसी की जरूरत है. यह हमारे पर्यटन और लोगों के लिए महत्वपूर्ण है.
कश्मीर घाटी में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन और संगलदान और बारामूलाके बीच ट्रेन को हरी झंडी
प्रधानमंत्री ने जम्मू कश्मीर को जिन प्रोजेक्ट की सौगात दी है, उनमें एजुकेशन, रेलवे, एविएशन और रोड सेक्टर्स से जुड़े बड़े विकास कार्य शामिल हैं. घाटी में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन और संगलदान स्टेशन और बारामूला स्टेशन के बीच ट्रेन सेवा को पीएम मोदी ने हरी झंडी दिखाई है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि आज उठाए गए इस एक बड़े कदम के लिए वह रेल मंत्रालय और पीएम मोदी को मुबारकबाद देते हैं.
उन्होंने कहा, "ये बड़ा कदम उठया गया है. मैं रेल मंत्रालय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुबारकबाद देता हूं. उन्होंने इसमें योगदान दिया. आज हम पहला कदम देख रहे हैं. रेलवे के वर्कर्स को भी धन्यवाद देना चाहूंगा, जिन्होंने इसमें काम किया है. उम्मीद करता हूं कि ये रेल सेवा वरदान साबित होगी." उन्होंने कहा, "कई वर्षों से हमारी उम्मीदें थी. पहले हमें लगता था कि साल 2008 तक हम रेल सेवा से जुड़ जाएंगे. हमारे इलाके में काम में बहुत मुश्किल आती हैं. यहां टनल बनाने पड़ते हैं, लेकिन रेल मंत्रालय ने मुश्किलों को पार किया और पहला कदम शुरू कर दिया है. जून-जुलाई तक पूरा काम होने की उम्मीद है."
कश्मीर में जल्द ही कटरा से संगलदान तक भी पहुंच जाएगी ट्रेन
फारूक अब्दुल्ला ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि कश्मीर में ट्रेन सेवा जल्द ही कटरा से संगलदान तक भी पहुंच जाएगी. उन्होंने कहा कि कश्मीर में अब तक यातायात को लेकर मुश्किल का सामना करना होता था. अब रेल लाइन हमें शानदार और आसान कनेक्टिविटी देगी. इसकी हमें बहुत जरूरत थी. ये कश्मीर टूरिज्म के लिए भी बहुत जरूरी है. हमारे लोगों के लिए भी बहुत जरूरी है. अब दूसरे इलाकों में आसानी से सफर कर सकते हैं. यहां के लिए माल ढुलाई में सहूलियत होगी.
प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह बुलाएंगे तो कौन बात नहीं करना चाहेगा
फारूक अब्दुल्ला ने इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बने इंडिया गठबंधन को छोड़कर केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में शामिल होने के साफ संकेत दिए थे. हालांकि, मामले के तूल पकड़ने पर उन्होंने मीडिया से कहा कि वो किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेंगे. जम्मू-कश्मीर में उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस अकेले चुनाव लड़ेगी. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के सवाल पर अब्दुल्ला कहा कि जब वो बुलाएंगे तो कौन बात नहीं करना चाहेगा. अब्दुल्ला के इन बयानों के बाद कश्मीर में गुपकार अलायंस के नेताओं के बीच गहमागहमी बढ़ गई है.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बने इंडिया गठबंधन को छोड़ने के साफ संकेत
श्रीनगर में उन्होंने कहा था, "मैं समझता हूं कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होंगे. जहां तक सीट शेयरिंग के फॉर्मूले की बात हैं तो बता दूं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अकेले चुनाव लड़ेगी और इस बारे में कोई शक नहीं है." एनडीए में शामिल होने पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि मुझे देश बनाने के लिए जो करना पड़ेगा, वो करूंगा. हम भविष्य में एनडीए में शामिल होने की संभावनाओं को नकार नहीं सकते. वैसे भी एनडीए की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला मंत्री थे.
ममता, नीतीश, जयंत के बाद फारूक ने छोड़ा INDIA का साथ, केजरीवाल ने दिखाए तेवर
फारूक अब्दुल्ला ने बताया कि इंडिया गठबंधन में सीटों की शेयरिंग पर बातचीत फेल हो गई है. इसकी वजह से ये फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि हम आगामी लोकसभा चुनाव और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे. किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. इससे पहले पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, बिहार में नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी ने भी इंडिया गठबंधन को टाटा-बाय बाय कर दिया है. वहीं, जम्मू कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला के बाद दिल्ली-पंजाब में अरविंद केजरीवाल भी उन नेताओं की राह पर आगे बढ़ रहे हैं.