Who is Manoj Jarange Patil Who Run Maratha Reservation Movement: महाराष्ट्र में हिंसक हो चुके मराठा आरक्षण आंदोलन ने प्रदेश सरकार की नींद उड़ा दी है. राज्य के बीड जिले में हिंसक प्रदर्शनकारियों ने पूर्व मंत्री के दफ्तर और एक मौजूदा विधायक के घर समेत कई जगहों पर आग लगा दी. इसके साथ ही दफ्तरों- दुकानों समेत कई जगहों पर तोड़फोड़ की गई. हिंसा की घटनाओं को देखते हुए धाराशिव और बीड जिले में सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया है. साथ ही हिंसा में शामिल उपद्रवियों की तलाश शुरू कर दी है. इस मामले में अब तक 49 प्रदर्शनकारी अरेस्ट हो चुके हैं. हालात कंट्रोल करने के लिए दोनों जिलों में पुलिस बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां भेजी गई हैं. 


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इस शख्स की सबसे ज्यादा चर्चा


इस आंदोलन के तेज होने के साथ ही जिस शख्स की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है, उसका नाम मनोज जारांगे पाटिल (Manoj Jarange Patil) है. मनोज जारांगे पाटिल (41) इस मराठा आंदोलन को लीड कर रहे हैं और जालना में अपने समर्थकों के साथ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं. उनके समर्थन में महाराष्ट्र में तमाम जगहों पर रोजाना विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. मराठा समुदाय लोग एजुकेशन और जॉब में आरक्षण की मांग उठा रहे हैं. 


कौन हैं मनोज जारांगे पाटिल? 


मनोज जारांगे पाटिल (Manoj Jarange Patil) मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले हैं. वे 12वीं तक पढ़े हैं. वे जालना जिले के एक होटल में काम करते हैं. अपने शुरुआती दिनों में वे कांग्रेस के एक समर्पित कार्यकर्ता थे. हालांकि बाद में उनका मोहभंग हुआ और उन्होंने मराठा समुदाय के लिए 'शिवबा संगठन' का गठन किया. कहते हैं कि मराठा आरक्षण आंदोलन (Maratha Reservation Movement) को मजबूत करने के लिए उन्होंने अपनी जमीन तक बेच दी दी. वे वर्ष 2011 से अब तक 35 बार मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं. 


क्या है मराठा समुदाय की मांग?


मराठा आंदोलन की पहचान बन चुके मनोज जारांगे पाटिल (Manoj Jarange Patil) अपने समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल करवाना चाहते हैं. उनका कहना है कि राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है. इस समुदाय के अधिकतर लोग खेती-बाड़ी से जुड़े हैं और ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है. बाढ़-बारिश और दूसरी वजह से हर साल उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है. लिहाजा मराठाओं को ओबीसी आरक्षण (Maratha Reservation Movement) दिया जाए, जिससे उनके बच्चे भी पढ़ाई-लिखाई करके सरकारी नौकरियों में आ सकें. 


राज्य सरकार के सामने दुविधा


मराठा समुदाय (Maratha Reservation Movement) की इस मांग का राज्य का ओबीसी समाज कड़ा विरोध करता है. उनका कहना है कि अगर मराठे इस लिस्ट में शामिल हो गए तो उनका हक पहले से कम हो जाएगा. इस कशमकश के बीच वर्ष 2018 में तत्कालीन देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मराठाओं के लिए ओबीसी आरक्षण की घोषणा कर दी थी, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी थोड़ी कांट-छांट के साथ बहाल रखा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे 50 फीसदी की लिमिट क्रॉस करने पर असंवैधानिक करार दे दिया था, जिसकी वजह से अब सरकार अधर में फंसी हुई है.