No Detention Policy India: बच्चों के राइट टू एजुकेशन एक्ट में संशोधन के बाद दिसंबर 2010 में यह पॉलिसी लागू की गई थी. जब इस पॉलिसी को लागू किया गया था तो उस वक्त भी इस पर सवाल उठे थे, क्योंकि परीक्षा में फेल होने के बाद भी अगली क्लास में प्रमोट किया जाना ये हर किसी को अजीब लगा था.


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खत्म होने का किस पर होगा असर?
यह बदलाव केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे 3,000 से ज़्यादा स्कूलों पर लागू होता है, जिसमें केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल शामिल हैं, लेकिन राज्यों को इस नीति को अपनाने या अस्वीकार करने की आजादी है. शिक्षा मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, "चूंकि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, इसलिए राज्य अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं. पहले ही 16 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश कक्षा 5 और 8 के लिए 'नो-डिटेंशन पॉलिसी' से बाहर हो चुके हैं."


विरोध में आया तमिलनाडु


तमिलनाडु परीक्षा में असफल 5वीं-8वीं के स्टूडेंट्स को ‘फेल न करने की पॉलिसी’ का पालन करना जारी रखेगा. स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने सोमवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि परीक्षा पास न कर पाने की स्थिति में स्कूलों को स्टूडेंट्स को उसी क्लास (कक्षा 5 या 8) में रोकने की इजाजत देने के केंद्र के कदम से गरीब परिवारों के बच्चों के लिए कक्षा आठ तक बिना किसी परेशानी के शिक्षा प्राप्त करने में बड़ी बाधा उत्पन्न हो गई है और यह 'दुखद' है.


पहले किसने खत्म की पॉलिसी
दिल्ली सरकार ने इस नो डिटेंशन पॉलिसी को पिछले साल ही हटा दिया गया था और इसका असर देखने को भी मिला था. आंकड़ों के मुताबिक, 9वीं में पढ़ने वाले 1 लाख से ज्यादा और 11वीं में 50 हजार से ज्यादा बच्चे सालाना परीक्षा में फेल हो गए थे. यह वही बच्चे थे जो डिटेंशन पॉलिसी का फायदा लेकर अगली क्लास में प्रमोट हुए थे. आपको बता दें कि पहले ही कुल 16 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेश कक्षा 5 और 8 के लिए 'नो-डिटेंशन पॉलिसी' से बाहर हो चुके हैं."


पॉलिसी का फायदा किसे है?


नो डिटेंशन पॉलिसी में 6 से 14 साल तक 'राइट टू एजुकेशन' के तहत किसी भी स्कूल में एडमिशन लेने वाले बच्चे को 8वीं तक प्रारंभिक शिक्षा होने तक किसी भी क्लास में दोबारा नहीं पढ़ाया जाएगा. अब सरकार ने इस प्रावधान को खत्म कर दिया है. अब अगर कोई बच्चा फेल होता है तो उसे दो महीने के भीतर दोबारा एग्जाम देना होगा और अगर वो वहां भी फेल होता है तो उसे उसी क्लास में दोबारा पढ़ना होगा. क्लास टीचर स्टूडेंट और उनके माता-पिता को गाइडेंस प्रदान करेगा, सीखने के अंतराल को दूर करने के लिए विशेष सहायता प्रदान करेगा. हालांकि स्कूल से बच्चे का नाम नहीं काटा जा सकता.


क्यों की गई थी शुरू?
'नो डिटेंशन' प्रावधान इसलिए शुरू किया गया था क्योंकि परीक्षाएं अक्सर खराब मार्क्स पाने वाले छात्रों को बाहर कर देती हैं. एक बार 'फेल' करार दिए जाने के बाद, ये छात्र या तो उसी क्लास को दोहराते हैं या स्कूल छोड़ देते हैं. एक क्लास को दोहराना छात्रों के लिए हतोत्साहित करने वाला हो सकता है, और यह उन्हें उसी करिकुलम को फिर से पूरा करने के लिए अलावा रिसोर्सेज प्रदान नहीं करता है.


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