India China Relation: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का चीन दौरा चर्चा में है. बुधवार को बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से उनकी बैठक हुई. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने की कवायद के बीच इस बैठक में भी कई मुद्दों पर सहमति बनी है. यह भी बताया गया कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने के लिहाज से डोभाल का ये दौरान महत्वपूर्ण रहा. यह बात भी सही है कि पांच सालों के अंतराल के बाद भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों की 23वीं बैठक हुई है. इसमें दोनों देशों के बीच सीमा विवाद, आर्थिक सहयोग, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर कई अहम सहमतियां बनाई गई हैं.  इसे समझने की जरूरत है कि अजीत डोभाल के इस दौरे के मायने क्या हैं.


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शीर्ष नेतृत्व के बीच संवाद बढ़ाने पर जोर.. 
असल में अजीत डोभाल का यह दौरा न केवल सीमा विवादों को हल करने की दिशा में उठाया गया कदम था, बल्कि रिश्तों में आई कड़वाहट को कम करने की एक कोशिश भी रहा. यह बैठक उस समय हुई जब दोनों देशों के बीच 2020 में गलवान घाटी की घटना के बाद से संबंधों में आई खटास को कम करने की कोशिश की जा रही है. पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच संवाद बढ़ा है. इस बैठक का निर्णय कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान लिया गया था. वहां भी सीमा विवाद को हल करने और रिश्तों को सामान्य करने की सहमति बनी थी.


चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचने पर अजीत डोभाल का गर्मजोशी से स्वागत किया गया. उन्होंने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. वांग यी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और विदेश मामलों के मंत्री भी हैं. यह बैठक चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ बातचीत से भी जुड़ी थी. उनसे भी अजीत डोभाल की मुलाकात हुई है.



1. कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनरारंभ
अजीत डोभाल की इस बैठक में दोनों पक्ष कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः शुरू करने पर सहमत हुए. यह यात्रा भारतीय श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है. यात्रा को कोविड महामारी और सीमा पर तनाव के कारण बाधित कर दिया गया था. अब इस पर सहमति बनी है कि इसे जल्द से जल्द व्यवस्थित तरीके से फिर शुरू किया जाएगा.


2. सीमा पार नदी सहयोग
सीमा पार बहने वाली नदियों से संबंधित डेटा के आदान-प्रदान और सहयोग को और मजबूत करने का निर्णय लिया गया. इससे नदियों के प्रवाह और प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ेगी. खासकर मानसून के दौरान बाढ़ प्रबंधन में यह कदम सहायक होगा.


3. नाथुला बॉर्डर व्यापार का विस्तार
बैठक में नाथुला दर्रे के माध्यम से होने वाले सीमा व्यापार को पुनर्जीवित और विस्तारित करने पर भी सहमति बनी. यह व्यापारिक गतिविधियां स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करती हैं और सीमा क्षेत्रों में समृद्धि लाने में मदद करती हैं.


4. सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना
साथ ही सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए दोनों देशों ने विशेष उपायों को अपनाने पर जोर दिया. इसमें सीमा प्रबंधन के नियमों को सख्त बनाना, गश्त पर सहमति और सैन्य तनाव को कम करने जैसे कदम शामिल हैं.


5. द्विपक्षीय संबंधों का समग्र विकास
भारत और चीन ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने का संकल्प लिया. सीमा विवाद को व्यापक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में रखकर समाधान निकालने पर सहमति बनी. दोनों देशों ने 2005 में तय राजनीतिक दिशानिर्देशों का पालन करते हुए सीमा विवाद को हल करने के लिए प्रयास तेज करने का आश्वासन दिया.


6. विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता तंत्र को मजबूत करना
बैठक में अगला महत्वपूर्ण बिंदु यह रहा कि विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता तंत्र को मजबूत बनाने और सीमा प्रबंधन पर निरंतर संवाद बनाए रखने पर सहमति बनी. इसके तहत सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर समन्वय को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा. अगली बैठक भारत में आयोजित की जाएगी, जिससे इन वार्ताओं को नई गति मिलेगी.


फिलहाल इस दौरे के माध्यम से भारत और चीन ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और आपसी विश्वास बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि NSA अजीत डोभाल का चीन दौरा भारत-चीन संबंधों में स्थिरता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. हालांकि दोनों देशों के बीच अभी भी विश्वास बहाली की जरूरत है, लेकिन इस बैठक से स्पष्ट है कि संवाद और सहयोग के जरिए ही दोनों देश आगे बढ़ने की दिशा में हैं.