Analysis: बहुत खुश नहीं होना है.. PAK में बांग्लादेश पर अचानक क्यों शुरू हुई ये चर्चा?
Pak News: ये वही पाकिस्तान है जो अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पर पटाखे फोड़ रहा था. ऐसा लग रहा था तालिबान के रूप में पाकिस्तान को बिछड़ा हुआ भाई मिल गया था. आखिर में क्या हुआ.. ऐसी नौबत आ गई है कि दोनों युद्ध करने की कगार पर हैं. रोज पाकिस्तान-अफगानिस्तान एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं. इसी विमर्श में अब बांग्लादेश भी जुड़ गया है.
Pakistan-Bangladesh Relations: भारत के पुरखे एक कहावत कह गए, बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना. ये कहावत वैसे तो आम बोलचाल में बहुत ही सरल है. लेकिन कई बार ऐसा देखा जाता है कि राजनीति में भी ये लागू हो जाती है. पाकिस्तान अपने आप को इस कहावत की कसौटी पर हर बार सफल साबित कर देता है. जबसे बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का पतन हुआ है तभी से पाकिस्तान खूब खुश है. जिस पाकिस्तान के चंगुल और क्रूरता से कभी बांग्लादेश आजाद हुआ था, वो बांग्लादेश भी पाकिस्तान को इंटरटेन करने में कोई कसार नहीं छोड़ रहा है. मुहम्मद यूनुस इसको बखूभी कर रहे हैं. पाकिस्तान के कुछ अतिउत्साही लोग और हुक्मरान भले ही खुश हैं लेकिन अब पाकिस्तान के एक्पर्ट्स चेतावनी दे रहे कि बहुत खुश होने की जरूरत नहीं है.
दरअसल, यह बात सही है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार को भारत समर्थक माना जाता रहा है. पाकिस्तानी मीडिया में दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेश में भारत से दूरी और पाकिस्तान के साथ करीबी बढ़ रही है. लेकिन क्या यह उत्साह असली है या फिर कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान इसे अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश में माहौल बना रहा है?
पाकिस्तान और बांग्लादेश, करीबी नई है लेकिन घाव पुराने हैं..
पिछले अगस्त में शेख हसीना की सरकार के हटने के बाद पाकिस्तान के नेताओं ने बांग्लादेश के प्रति अपना रुख नरम दिखाया. पाकिस्तानी वित्त मंत्री ने फरवरी में बांग्लादेश जाने की योजना बनाई है. 2012 के बाद किसी पाकिस्तानी मंत्री का यह पहला दौरा होगा. उन्होंने बांग्लादेश को हर संभव मदद की पेशकश की है. लेकिन सवाल यह है कि जो पाकिस्तान-बांग्लादेश कभी एक दूसरे को लेकर मरने-मारने को तैयार थे वो कैसे एक नेता की वजह से इतना करीब हो जाएंगे. 1971 का युद्ध पूरी दुनिया ने देखा है.
एक्सपर्ट्स ने अब बहस की दिशा मोड़ दी है..
पहले पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स भी खुश थे लेकिन हाल ही में भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने कहा कि बांग्लादेश की मदद करने की पेशकश वाली भाषा डिप्लोमैसी के लिहाज से ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को बांग्लादेश को बराबरी के आधार पर साथ काम करने का प्रस्ताव देना चाहिए. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बासित ने चेतावनी दे दी कि अफगानिस्तान में तालिबान को लेकर पाकिस्तान ने जो जल्दबाजी की है वैसी गफलत बांग्लादेश के मामले में नहीं करनी चाहिए.
तालिबान की वापसी पर पटाखे फोड़ रहा था PAK
ये बात सही भी है क्योंकि ये वही पाकिस्तान है जो अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पर पटाखे फोड़ रहा था. ऐसा लग रहा था तालिबान के रूप में पाकिस्तान को बिछड़ा हुआ भाई मिल गया था. आखिर में क्या हुआ.. ऐसी नौबत आ गई है कि दोनों युद्ध करने की कगार पर हैं. रोज पाकिस्तान-अफगानिस्तान एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं. इसी विमर्श में अब बांग्लादेश भी जुड़ गया है. बांग्लादेश के रिश्तों के साथ यह उत्साह कितना स्थायी है, इस पर बहस जारी है.
बांग्लादेश क्या चाहता है?
पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि बांग्लादेश, सार्क को फिर से सक्रिय करने के लिए पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों के साथ मिलकर काम करना चाहता है. लेकिन यह बात सही है कि भारत को अलग-थलग करना इतना आसान नहीं है. बांग्लादेश तीन ओर से भारत से घिरा हुआ है. क्षेत्रीय राजनीति में भारत की भूमिका को पूरी दुनिया जानती है. इसके अलावा बांग्लादेश की चीन से भी बढ़ रही करीबी पर दुनिया की नजर होगी. एक्सपर्ट्स अभी अमेरिकी राजनीति पर भी नजर बनाए हुए हैं, ट्रंप किस नजरिए से इन मामलों को देखते हैं.. यह भी महत्वपूर्ण है.
राजनीति को 360 डिग्री पर घुमाना आसान नहीं..
ऐसे में यह कहना जल्दबाजी होगी की बांग्लादेश अपनी राजनीति को 360 डिग्री पर घुमा देगा. पाकिस्तान खुद बहुत परेशान मुल्क है. अगर आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक उसे समय से कर्ज ना दे तो वह रोटी के लिए मोहताज हो जाता है. वहां राजनीतिक संघर्ष हमेशा चलता ही रहता है. बलूच और तालिबान वाले मामले में वह पहले से ही फंसा हुआ है. ऐसे में भारत को किसी भी तरह से परेशान करने की चाल इन दोनों की कामयाब नहीं होने वाली है.