Pilibhit Tigeress Rescue: यूपी के पीलीभीत जिले में मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया, जिसमें एक बाघिन को घर की दीवार पर बैठा हुआ देखा गया. जब इस बारे में पता लगाया गया कि वह बाघिन कैसे उस दीवार पर आई तो पता चला कि अटकोना गांव में रहने वाले सुखविंदर सिंह सोमवार की रात को परिवार के साथ सो रहा था. तभी ढेर सारे कुत्ते भौंकने लगे. इस आवाज को सुनकर आधी रात सुखविंदर की मां की आंख खुल गई. उन्होंने देखा कि एक बाघिन उसके आंगन में घूम रही थी. डरकर उसने परिवार के सभी सदस्यों को जगा दिया और सभी लोग घर के कमरे में बंद हो गए. सुबह हुई तो पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई. सभी उसे देखने के लिए भीड़ लगा लिए और वह बाघिन घर की दीवार पर बस बैठी रही. सबसे हैरानी वाली बात यह है कि 8 से 10 घंटे तक दीवार पर बैठी रहने के बाद आखिर उसने किसी पर हमला क्यों नहीं किया.


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दरअसल, वह बाघिन गांव से 4 से 5 किलोमीटर दूर पीलीभीत टाइगर रिजर्व से भागकर आई थी. ढाई से तीन साल की यह बाघिन मानव बसाहट के आस-पास ही रही. यही वजह है कि उसने किसी पर भी हमला नहीं किया. इतना ही नहीं, कई लोगों ने उसे 'बाघिन की इंसानियत' तक कह डाला. मंगलवार तड़के 3 से 4 बजे देखी गई बाघिन का 8 घंटे बाद दोपहर करीब सवा 12 बजे रेस्क्यू किया गया. वह 8 से 10 घंटे तक उसी घर के दीवार पर ही बैठी रही. वह कभी जम्हाई लेती रही तो तभी आंख बंद करके बैठ गई. गांव के लोगों को देखकर ऐसा लगा मानो वह धूप सेंक रही है और उसका आनंद उठा रही है. उसकी अलग-अलग मुद्राओं के देखकर गांव वाले भी अपने घर की ओर वापस नहीं लौटे. इतना ही नहीं, कई लोगों ने अपने घरों में खाना तक नहीं पकाया क्योंकि वह उस बाघिन को लगातार देखना चाहते थे.


कुछ लोग उसके छह फीट तक की दूरी तक गए, ताकि वह अपने मोबाइल फोन में फोटो क्लिक कर सके और वीडियो बना सके. जब लोग उसके पास गए तो भी वह शांत रही और उसने किसी पर भी हमला नहीं किया. हालांकि, वह कैमरे की तरफ देखती, लेकिन उसने कोई हरकत नहीं की. जिस दीवार पर बाघिन बैठी हुई थी उसकी हाइट सिर्फ 5 फुट ऊंची थी. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट की माने तो पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ-बाघिन की ज्यादा आबादी हो गई है. नए इलाके में अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए वह इधर-उधर भटक रही थी. बाघिन ने गन्ने के खेत को देखा तो उसे लगा कि यह जंगल है और फिर वह इसी इलाके में अपना साम्राज्य बनाने के मकसद से भटकने लगी. हालांकि, उसने किसी पर भी हमला नहीं किया. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रभागीय वन अधिकारी नवीन खंडेलवाल ने पुष्टि की कि वह एक बाघिन है और करीब दो महीने से ज्यादा समय से कालीनगर तहसील में तफरी कर रही है. 


बाघों की संख्या ज्यादा होने पर यह बाघिन भी शायद अपने नए इलाके की तलाश में थी. उसने पीलीभीत के इस गांव में उगाए गए गन्ने के खेतों को जंगल समझ लिया. फिर क्या वह उसने अपना नया इलाका समझकर में घूमने लगी. अचानक से वह इस घर के आंगन में पहुंच गई. एक्सपर्ट के मुताबिक, बाघ-बाघिन अपने नए इलाके को बनाने के लिए पेड़ों के तनों पर नाखूनों से निशान बनाते हैं. साथ ही मूत्र विसर्जन कर घेरा बंदी भी करते हैं ताकि दूसरे बाघों या शेरों को चेतावनी मिल जाए कि वह उसका इलाका है.