Priyanka Gandhi Debut: प्रियंका गांधी अब वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. जबकि राहुल गांधी ने रायबरेली सीट अपने पास रखने का फैसला किया है. इसी के साथ सक्रिय राजनीति की पिच पर प्रियंका गांधी ने ओपनिंग करने का फैसला कर लिया है. 


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इस मौके पर प्रियंका गांधी ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं. मेरी कोशिश रहेगी कि वायनाड की जनता को खुश रखूं. बाकी रायबरेली और अमेठी से तो पुराना रिश्ता है ही. वहां के लोगों के लिए भी कड़ी रहूंगी.' राहुल गांधी ने तो साफ कह दिया है कि दोनों ही क्षेत्रों को दो सांसद मिलेंगे. यानी गांधी परिवार दक्षिण में भी अपना जमा-जमाया पैर छोड़ना नहीं चाहता. प्रियंका को वहां से उतारना उसी कवायद के हिस्से के तौर पर देखी जा रही है. 


कभी संभाला था भाई-मां का पैकेज


12 जनवरी 1972 को जन्मी प्रियंका गांधी के साल 2019 से पहले सक्रिय राजनीति में उतरने के कयास लगाए जाते थे. वह अकसर रायबरेली और अमेठी जाया करतीं और वहां की जनता से बातचीत करती थीं. 2004 के लोकसभा चुनाव में वह अपनी मां सोनिया गांधी की कैंपेन मैनेजर थीं और उन्होंने अपने भाई राहुल गांधी के कैंपेन को भी संभाला था.


इसके बाद 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में एक तरफ राहुल ने पूरे सूबे का कैंपेन देखा तो वहीं प्रियंका अमेठी और रायबरेली क्षेत्र की 10 सीटों पर मेहनत कर रही थीं. इस दौरान उन्होंने दो हफ्ते इन इलाकों में बिताए थे. इस दौरान प्रियंका ने सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं  में मची रार को शांत कराया. अगर यूं कहें कि इस दौर में प्रियंका के राजनीति में आने से पहले पंजे पैने किए जा रहे थे तो गलत नहीं होगा.


2019 में की राजनीति की एंट्री


यूं तो प्रियंका गांधी ने हमेशा से खुद को सक्रिय राजनीति से दूर ही रखने की कोशिश की. लेकिन साल 2019 में उनकी राजनीति में आधिकारिक एंट्री हुई. लगातार अमेठी-रायबरेली का दौरा कर उन्होंने पार्टी के लिए जमीन और मजबूत करने की कोशिश की. देखते ही देखते उनका कद पार्टी में बढ़ने लगा. उस वक्त अमेठी में एक नारा भी सामने आया था- अमेठी का डंका, बिटिया प्रियंका. उन्होंने कितने रोड शो और रैलियां कीं.


23 जनवरी 2019 को प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का इंचार्ज बनाया गया. इसके बाद पूरे यूपी के महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई. प्रियंका ने कई मुद्दों को लेकर यूपी में प्रदर्शन किया, जिसमें लखीमपुर खीरी में किसानों पर गाड़ी चढ़ाने वाला मामला हो या फिर पुलिस कस्टडी में कथित तौर पर मारे गए शख्स के परिवार से मिलने का मामला हो. इन दोनों ही मौकों पर पुलिस ने उनको हिरासत में ले लिया था. 


यूपी में प्रियंका ने महिलाओं से खुद को जोड़ने की शुरुआत की और 2022 के विधानसभा चुनाव में लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा दिया. लेकिन उनकी यह कोशिश ज्यादा रंग नहीं ला पाई और 403 विधानसभा सीटों में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें मिलीं. लेकिन बावजूद इसके प्रियंका गांधी लगातार यूपी में एक्टिव रहीं. इस लोकसभा चुनाव में भी उनके उतरने के कयास लगाए जा रहे थे. माना जा रहा था कि प्रियंका गांधी रायबरेली या अमेठी में किसी एक सीट से उतर सकती हैं. लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने कुछ और ही तय कर रखा था. कांग्रेस ने इस बार यूपी में 6 लोकसभा सीटें जीती हैं, जो उसके लिए यूपी में संजीवनी मानी जा रही है. इसमें प्रियंका गांधी की मेहनत को दरकिनार नहीं किया जा सकता. लेकिन वायनाड को भी राहुल गांधी नहीं छोड़ना चाहते थे.


वायनाड को लेकर क्या है रणनीति


दरअसल कांग्रेस की लाज वायनाड ने उस वक्त बचाई थी, जब वह अपने सबसे मुश्किल दौर में थी. राहुल गांधी 2019 में अमेठी हारे लेकिन रिकॉर्ड वोटों से वायनाड जीत गए. इस बार भी वायनाड ने उनको रिकॉर्ड वोट से विजय दिलाई है. 2026 में केरल में विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा कांग्रेस चाहेगी कि वहां अपनी जमीन और मजबूत करे. लिहाजा गांधी परिवार के एक सदस्य का वहां से रहना उसी का हिस्सा है. अब देखना होगा कि वायनाड में प्रियंका गांधी कमाल दिखा पाती हैं या फिर उनकी राह में रोड़े खड़े होंगे.