वकील हसन: सिलक्यारा के हीरो से बेघर होने की पूरी कहानी, कब क्या हुआ और क्या होगा?
Rat Miner Wakeel Hassan News: रैट माइनर वकील हसन (Wakeel Hassan) ने नए मकान का ऑफर ठुकरा दिया है. आइए जानते हैं कि सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन के हीरो की पूरी कहानी क्या है.
Wakeel Hassan House Demolished: उत्तराखंड में हुआ सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन (Silkyara Tunnel Rescue Opearation) तो आपको याद होगा. पिछले साल नवंबर में रैट माइनर्स (Rat Miners) की मदद से 41 मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाला गया था. ऑपरेशन की कामयाबी के बाद रैट माइनर्स के काम की सभी ने तारीफ की थी. लेकिन, जब से खबर आई कि दिल्ली में रैट माइनर वकील हसन (Wakeel Hassan) का मकान तोड़ दिया गया, तब से हर कोई मामले के बारे में जानना चाहता है कि यह क्यों कब और कैसे हुआ? आइए वकील हसन से जुड़े इस पूरे मामले की टाइमलाइन के बारे में जानते हैं.
वकील हसन के हीरो से बेघर होने की टाइमलाइन
- बता दें कि पिछले साल 12 नवंबर को सुबह करीब साढ़े 5 बजे सिलक्यारा टनल में हादसा हुआ था. अचानक से ऊपर की तरफ से मलबा गिरने के बाद 41 मजदूर सुरंग में फंस गए थे.
- इसके बाद 16 दिन तक लगातार मजदूरों को बचाने की मशक्कत जारी रही. 21 नवंबर को एंडोस्कोपिक कैमरों से मजदूरों को देखा गया. इसके बाद 22 जनवरी को मजदूरों को खाने का सामान भेजा गया.
- मजदूरों को निकालने के लिए जारी कोशिश में तब रुकावट आई जब 25 नवंबर को ऑगर मशीन टूट गई और काम ठप पड़ गया. इसके बाद प्लान बी को आगे बढ़ाया गया. रैट माइनिंग का काम शुरू हुआ.
- फिर जाकर 28 नवंबर को ऑपरेशन कामयाब हुआ और रैट माइनिंग तकनीक की मदद से सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित टनल से बाहर निकाल लिया गया. सिलक्यारा टनल से मजदूरों को बाहर निकालने में रैट माइनिंग तकनीक का इस्तेमाल हुआ और देशभर में इसकी खूब चर्चा हुई.
- सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में मिली कामयाबी के बाद रैट माइनिंग करने वाले लोगों को खूब सराहा गया. कई जगहों पर उनका सम्मान भी हुआ. 29 नवंबर को उत्तराखंड की धामी सरकार ने ऐलान किया कि रैट माइनर्स को 50 हजार रुपये इनाम के तौर पर दिए जाएंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे कई रैट माइनर्स खुश नहीं दिखे थे. इन नाखुश लोगों में वकील हसन का नाम भी आया था. वकील हसन ने कहा था कि हमने अपनी जान पर खेलकर मजदूरों की जान बचाई है. ये सम्मान न्याय संगत नहीं है.
- बीते बुधवार यानी 28 फरवरी को दिल्ली के खजूरी खास इलाके में डीडीए ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया. वहां रैट माइनर वकील हसन का भी घर था. बाकी अवैध मकानों के साथ वकील हसन का घर भी टूट गया. डीडीए ने कहा कि वकील हसन का घर अवैध रूप से बना था. हालांकि, उन्हें ये नहीं पता था कि वकील हसन सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनर थे.
- वकील हसन ने आरोप लगाया कि डीडीए ने बिना नोटिस दिए उनका घर तोड़ दिया. उसके बाद से वकील हसन अपनी पत्नी और दो बच्चों संग फुटपाथ पर रात बिताने के लिए मजबूर हैं.
- हालांकि, वकील हसन के रैट माइनर होने की बात पता लगने के बाद डीडीए ने उनके परिवार को नरेला में ईडब्ल्यूएस फ्लैट की पेशकश की लेकिन हसन ने उसे ठुकरा दिया. हसन ने उसी जगह पर घर बनवाने की मांग की, जहां तोड़ा गया था. वकील हसन ने कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक वह भूख हड़ताल करेंगे.
- लेकिन, डीडीए ने साफ किया कि यह अतिक्रमण हटाने की एक रेगुलर ड्राइव थी. बुधवार की कार्रवाई किसी खास शख्स को निशाना बनाकर नहीं की गई. डीडीए ने वकील हसन के योगदान के बारे में जब पता चला, तो उनके परिवार की मदद के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया.
- दूसरी तरफ, डीडीए ने कहा कि जमीन पर अतिक्रमण या फिर अपने डेवलपमेंट एरिया में अवैध निर्माण की इजाजत नहीं दे सकते हैं. डीडीए ने ये भी कहा कि वकील हसन को इस बात का पता था कि उनका घर अतिक्रमण के दायरे में हैं. उनके मकान को 2016 में भी हटाया गया था. लेकिन वकील हसन ने 2017 में फिर से कब्जा कर लिया था.
- दिल्ली के उपराज्यपाल और डीडीए के अध्यक्ष वीके सक्सेना ने कहा है कि मुझे वकील हसन का घर तोड़े जाने के बारे में पता चला है. हम जल्द इसकी भरपाई करेंगे. उन्हें मकान भी देंगे. डीडीए अधिकारियों ने उनसे बहुत जल्द गोविंदपुरी में मकान देने को कहा है. लेकिन वकील हसन ने इस प्रपोजल को ठुकरा दिया क्योंकि ये सिर्फ मौखिक आश्वासन था. वकील हसन चाहते हैं कि अधिकारी उन्हें लिखित आश्वासन दें.