China Russia Relations: चीन एक तरफ जहां दुनिया में अपना दबदबा चाहता है. वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन के साथ जंग लड़ रहे रूस की चीन के साथ बढ़ती दोस्ती ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया को सोच में डाल दिया है. नाटो चीन पर यूक्रेन जंग में मदद का आरोप लगाता रहा, इसी बीच रूस ने चीन के साथ जोरदार युद्धाभ्‍यास करके पूरी दुनिया को बता दिया कि हम दोनों क्या हैं. जापान सागर में हुए इस नौसैनिक अभ्‍यास में रूस और चीन के 90 हजार सैनिक, सबमरीन और 400 युद्धपोत हिस्‍सा लिए. पुतिन की नौसेना की यह 3 दशक में सबसे बड़ा अभ्‍यास रहा. इसमें चीन के युद्धपोत भी पहुंचे.


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'ओशन-2024' के नाम पर दुनिया को खौफ?
सोमवार को समाप्त हुए सात दिवसीय अभ्यासों को 'ओशन-2024' नाम दिया गया है, रूसी सेना के अनुसार, चीन ने ओशन-2024 के लिए रूस के सुदूर पूर्वी तट के जलक्षेत्र में कई युद्धपोत और 15 विमान भेजे हैं. यह बस तब हुआ है जब यूक्रेन में युद्ध जारी है और खतरे बढ़ रहे हैं, पुतिन ने नाटो नेताओं को चेतावनी दी है कि रूस के अंदर गहरे हमले करने के लिए कीव द्वारा लंबी दूरी की पश्चिमी मिसाइलों के उपयोग पर प्रतिबंध हटाना युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी.


1969 में रूस और चीन थे दुश्मन?
सीएनएन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-चीन दोनों अपने विस्तार नीति को बढ़ाए हुए हैं. चाहे यूक्रेन में रूस का युद्ध हो, दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता और ताइवान के स्व-शासित द्वीप पर उसके दावा करने की हरकत. दोनों मिलकर पूरी दुनिया को साफ संदेश दे रहे हैं कि मॉस्को और बीजिंग एक-दूसरे के लिए कितना जरूरी हैं. हालात अब पहले जैसे नहीं रहे हैं. मास्को और बीजिंग कभी दुश्मन थे, जिन्होंने 1969 में जंग भी लड़ी है. लेकिन हाल के दशकों में दोनों के बीच रिश्तें गहरे होते जा रहे हैं. जिसमें हथियार का व्यापार एक जरिया है. चीनी राष्ट्रपति शी और पुतिन ने संबंधों को अधिक व्यापक रूप से मजबूत किया है.


10 सालों में चीन और रूस की बढ़ी दोस्ती
तभी तो सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के आंकड़ों के अनुसार, 2014 और 2023 के बीच, दोनों सेनाओं ने हर साल कम से कम चार और अधिकतम 10 संयुक्त सैन्य अभ्यास, युद्ध खेल या गश्ती की है, जिसमें अन्य देशों के साथ बहुपक्षीय अभ्यास भी शामिल हैं. जुलाई तक इस साल ऐसी सात गतिविधियाँ हो चुकी थीं, उस महीने के CSIS डेटा से पता चलता है अगस्त और सितंबर के अभ्यासों के साथ कुल 11 बार एक साथ अभ्यास किया है. CSIS शोधकर्ताओं के अनुसार, इस जुलाई में पहली बार अलास्का के पास चीनी और रूसी दोनों विमान एक ही रूसी हवाई अड्डे से उड़ान भर रहे थे, जिन्होंने यह भी नोट किया कि यह उत्तरी प्रशांत में भागीदारों की पहली संयुक्त हवाई गश्त थी.


रूस का पश्चिमी देशों को चेतावनी?
इस बार के अभ्‍यास के दौरान रूसी नौसेना ने सबमरीन को तबाह करने वाली किलर मिसाइल का टेस्‍ट करके अमेरिका से लेकर जापान तक को कड़ा संदेश दिया है. पुतिन ने आरोप लगाया है कि पश्चिमी देश हथियारों की रेस को बढ़ावा दे रहे हैं और प्रण किया कि अगर रूस पर अमेरिकी रॉकेट से हमले किए गए तो मास्‍को इसका करारा जवाब देगा.


जापान और अमेरिका परेशान
चीन और रूस की बढ़ती दोस्ती ना सिर्फ अमेरिका चिंतित है. बल्कि उसका दोस्त जापान भी चिंतित है. चीनी और रूसी सेनाएं लगातार दो संयुक्त अभ्यास और एक संयुक्त नौसैनिक गश्त कर रही हैं. राष्ट्रपति पुतिन और चीन की दोस्ती की तस्वीर जो आज नजर आ रही है, कभी हालात इसके उलट थे. दोनों के बीच तलवारें खिंची थीं. दोस्ती, मतभेद, मनमुटाव, सुलह और फिर दोस्ती का सफर तय करते हुए दुश्मनी का कारवां यहां तक पहुंचा है.


नाटो का भी नहीं खौफ?
पिछले 6 दशकों में दोनों देश अब दुनिया के लिए चिंता का विषय  बन चुके हैं. तभी तो नाटो देशों की वाशिंगटन में हुई बैठक के दौरान कहा गया था कि चीन यूक्रेन युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा रहा है. नाटो ने चीन और रूस के सबंध को 'बिना सीमा वाली साझेदारी' कहा था. नाटो ने आरोप लगाया कि रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन लगातार रूस की मदद कर रहा है. नाटो के इस बयान का चीन ने जवाब देते हुए कहा था कि नाटो देश दूसरे की कीमत पर सुरक्षा पाना चाह रहे हैं. चीन ने कहा कि एशिया में नाटो इस तरह की अराजकता फैलाने का प्रयास नहीं करे. 


भारत की बढ़ी टेंशन?
चीन और रूस के बीच लगातार मजबूत होते सैन्य संबंध से भारत की टेंशन जायज भी है. भारत की चीन के साथ पुरानी दुश्मनी है. दोनों देशों के बीच पुराना सीमा विवाद है और ये युद्ध भी लड़ चुके हैं. वहीं, रूस भारत का सबसे बड़ा सैन्य साझेदार और हथियारों का सप्लायर है. ऐसे में भारत को डर है कि रूस के करीब आने से चीन की सैन्य शक्ति बढ़ सकती है, जिसका सीधा नुकसान उसे उठाना पड़ेगा.


भारत के पास क्या विकल्प?"
वहीं, रूस इसके लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार चीन के साथ दोस्ती मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं. क्योंकि भारत और रूस के रिश्ते शुरू से अच्छे रहे हैं तो भारत के पास एक अच्छा विकल्प है कि वह बस घटनााओं पर नजर रखे और विकल्पों पर काम करता रहे.