Opinion: तेरा तुझको अर्पण... कंगारू भाइयों एन्जॉय कीजिए, स्लेजिंग आपके लिए कौन सी नई चिड़िया है?
India Australia sledging: क्रिकेट प्रेमियों अगर आपको लगता है कि विराट कोहली को स्लेजिंग नहीं करनी चाहिए, सिराज को आक्रामक नहीं होना चाहिए, और वो भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, तो आप नासमझ हैं. टोटली नासमझ हैं. आइए आपको पीछे ले चलते हैं, आपका मन बदल जाएगा.
इस वक्त घड़ी के 10 बज रहे हैं. भारत के क्रिकेट प्रेमी अपनी टीवी और मोबाइल स्क्रीन से चिपके हुए हैं. मेलबर्न में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच खेला जा रहा है. इस बीच थोड़ा सा पीछे चलते हैं, पीछे चलने से पहले ये बताते चलें कि 19 साल के एक लड़के ने ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट डेब्यू किया, आउट होने से पहले बढ़िया क्रिकेट खेला. खेलते समय विराट कोहली की आक्रामक कोहनी उस लड़के से टकरा गई. ये बात चल ही रही है कि कोहली को ऐसा नहीं करना चाहिए.. ये भी बात चल रही कि पिछले मैच में सिराज को भी ट्रेविस हेड के सामने बेवजह आक्रामक नहीं होना चाहिए. अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो आप नासमझ हैं. अब आइए आपको पीछे ले चलते हैं, जितना पीछे आप चलना चाहेंगे..हम चलेंगे.
आइए थोड़ा सा पीछे चलते हैं..
बतौर भारतीय क्रिकेट के फैन हम दूसरी टीमों की अच्छी क्रिकेट की प्रशंसा करते आए हैं और करते रहेंगे. फिलहाल वो दौर नब्बे के दशक का उत्तरार्ध था जब आलमाइटी वेस्टइंडीज की टीम ढह गई थी. क्लायव लॉयड.. विवियन रिचर्ड्स और उनके खूंखार गेंदबाजों का दौर बीत चुका था. वर्ल्ड क्रिकेट का नया सिरमौर ऑस्ट्रेलिया बन गया था. किसी ने बनाया नहीं था खुद बना था. अपने जोरदार क्रिकेट कल्चर के चलते, अपने महान क्रिकेटरों के चलते.. लिली.. बॉर्डर.. स्टीव वॉ से होते हुए उनकी मशाल पोंटिंग के हाथ में आ चुकी थी और ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ को रोकने की कुव्वत किसी टीम में नहीं दिख रही थे. ट्रॉफी पर ट्रॉफी.. जीत पर जीत मिल रही थी.
स्लेजिंग का जितना निकृष्टतम रूप हो सकता था...
जो भी टीम ऑस्ट्रेलिया के सामने दिख जाती.. उसकी कचूमर निकल जाती थी. यहां तक कि मैदानी अंपायर ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों से खौफ खाते थे. ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के हर विभाग में चमत्कारिक प्रदर्शन कर रही थी. लेकिन इन सबके बीच ऑस्ट्रेलियाई एक चीज और कर रहे थे, जिसका ध्यान तब की नई नवेली मीडिया नहीं दे रही थी.. या दे भी रही थी तो उसे अच्छा दिखाकर दे रही थी. ये थी उनकी स्लेजिंग. भीषण स्लेजिंग. भयंकर स्लेजिंग, स्लेजिंग का जितना निकृष्टतम रूप हो सकता था.. ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी वो सब कर रहे थे. ये स्लेजिंग शायद उनके प्रदर्शन में चार चांद भी लगा रही थी और सामने वाली टीम स्लेजिंग का जवाब देने की हिम्मत नहीं करती थी.
सबसे ज्यादा शिकार टीम इंडिया
ऑस्ट्रेलिया की उस दौर की स्लेजिंग का सबसे ज्यादा शिकार अगर कोई हुआ है तो टीम इंडिया हुई है. एक नहीं एक हजार उदाहरण पड़े हुए हैं. कहां से शुरू करें.. और यहां इस बात का जिक्र करने में कोई बुराई नहीं है कि ऑस्ट्रेलिया के खेल में उसका बोर्ड, उनकी मीडिया और मैदानी अंपायर भी शामिल रहा करते थे. स्टीव बकनर द्वारा भारत के खिलाफ दिए गए कई निर्णय इस बात के गवाह हैं. हरभजन और पोंटिंग की भिड़ंत.. मैक्ग्रा की तरफ से सचिन को बार-बार अनेकों बार अनाप-शनाप कहना.. एंड्र्यू सायमंड्स की कहानी सबको पता है. माइकल क्लार्क सचिन को कोहनी मारकर गिरा चुके हैं. ऑस्ट्रेलिया परस्त अंपायरों के गलत निर्णयों की वजह से सचिन के कितने शतक नर्वस नाइंटी बनकर रह गए.
एक नहीं दर्द हजार, सिर्फ खेल से ही नहीं..
और तो और महान रिकी पोंटिंग तो आईसीसी ट्रॉफी उठाते समय तब के आईसीसी अध्यक्ष शरद पवार को धक्का देकर पोडियम से हटा चुके हैं. वही रिकी पोंटिंग खुद आउट देते थे तब अंपायर उंगली उठाते थे. ये एक बार नहीं कई बार लाइव और आर्काइव दोनों देखा गया है. शेन वॉर्न भी इसी लिस्ट में शामिल हैं. मैथ्यू हेडन प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत को मैच जीतने की चुनौती दे डालते थे. मिशेल जॉनसन और कोहली की भिड़ंत तो आज के दौर के भी लड़कों ने देखी है. टिम पेन विकेट के पीछे खड़े होकर अभी तक आदत से बाज नहीं आ रहे थे. जो डेविड वार्नर आज भारत की तारीफों में रील्स पर नाच रहे हैं, वो भी हाथ धो लेते थे. ये सारे वाकये जिनका जिक्र यहां किया गया है ये सब भारत के खिलाफ ही ऑस्ट्रेलिया ने किए हैं. ये वे वाकये हैं जिनकी मीडिया में उस समय कम ही चर्चा हुई है, ऐसे ना मालूम कितने दर्द हैं जिनको लिए हुए लड़के अब भी घूम रहे हैं.
पासा पलटा.. ईंट का जवाब पत्थर से
लेकिन कहते हैं ना कि वक्त खुद ही बहुत बड़ा मरहम है. दौर बीता. पोंटिंग गए और माइकल क्लार्क के समय भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी भारत के खिलाफ छिटपुट गुंडागर्दी करते दिख जाते थे. फिर पासा पलट गया.. विराट कोहली का दौर आया.. वैसे तो ऑस्ट्रेलिया को अपने बल्ले से पहले ही सचिन और लक्ष्मण पीट रहे थे, दादा गांगुली भी पीछे नहीं हट रहे थे लेकिन कोहली ने आंख में आंख डालकर, ईंट का जवाब पत्थर से देना शुरू किया और अभी तक दे रहे हैं. आगे भी देना ही चाहिए. कोई अपराध नहीं है. इनका विजय रथ भी भारत ने रोका.. इनकी बादशाहत भी भारत ने रोकी.
आलोचना करने वालों..बहुत जल्द समझ जाइए
आईपीएल आया.. भारत में क्रिकेट का कायाकल्प हुआ.. बीसीसीआई मजबूत हुआ. वही पोंटिंग अब कोच बने घूम रहे हैं..वही ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी भारत के खिलाड़ियों के साथ दोस्ती दिखा रहे हैं.. ये सब इसी जवाब देने की वजह से संभव हुआ है. क्रिकेट में प्रदर्शन से लेकर प्रशासन और पैसे तक भारत मजबूत हुआ. जिन लोगों को लगता है कि कोहली..सिराज और बाकी खिलाड़ी ज्यादती कर रहे हैं उन लोगों को बहुत जल्द समझ लेना चाहिए कि अभी भी वो बहुत कम कर रहे हैं. ये जो स्लेजिंग नाम की चिड़िया है, उससे कंगारू टीम बखूबी वाकिफ है और उनको पता है कि इतिहास में उन्होंने टीमों के साथ क्या किया है, खासकर टीम इंडिया के साथ. जय हो
(टीम इंडिया का एक फैन- गौरव)