Explainer : रूस का एक और जंगी पोत समंदर में दफन, कैसे काला सागर में पुतिन पर भारी पड़ रहा यूक्रेन
Russia Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन की लड़ाई इतनी लंबी खिंचेगी, पुतिन ने भी शायद ऐसा नहीं सोचा होगा. अब समंदर की लड़ाई में यूक्रेन ने रूस की नौसेना को करारी चोट पहुंचाई है. उसके एक और बड़े शिप को समंदर में दफन कर दिया है. आखिर यूक्रेन के पास ऐसा कौन सा हथियार है?
Russia Ukraine Black Sea Attack: देखन में छोटे लगै, घाव करें गंभीर... अपने देश में यह लाइन काफी मशहूर है. फिलहाल रूस के खिलाफ यूक्रेन पर यह फिट बैठ रही है. जी हां, यूक्रेन और रूस की लड़ाई को दो साल हो रहे हैं. छोटा मुल्क होने के बावजूद अमेरिका+ के दम पर यूक्रेन ने जिस तरह रूस का मुकाबला किया है उस पर वह थोड़ा जश्न जरूर मना सकता है. खास बात यह है कि यूक्रेन अपने से लगे काला सागर में रूस की ताकतवर नौसेना पर भारी पड़ रहा है. कुछ घंटे पहले ही यूक्रेन की सेना ने दावा किया है कि उसने काला सागर में तैनात रूसी बेड़े के एक और बड़े शिप को समंदर में दफन कर दिया है. सोशल मीडिया पर इसका एक वीडियो भी शेयर हो रहा है जो उसी ड्रोन से लिया गया बताया जा रहा है, जिससे रूसी शिप पर अटैक किया गया. हालांकि रूस ने इसकी पुष्टि नहीं की है.
बिना नौसेना यूक्रेन ने कैसे किया?
इस जहाज का नाम सीजर कुनिकोव (Caesar Kunikov) है. गौर करने वाली बात यह है कि यूक्रेन के पास अपनी कोई नौसेना नहीं है लेकिन अपने साहस, तकनीकी इनोवेशन और रूसी अक्षमता के चलते वह काला सागर में उस्ताद बन गया है. क्षेत्र में वह अब तक 20 से ज्यादा रूसी नौसेना के जहाजों को तबाह कर चुका है. काला सागर में दफन होने वाला रूस के बेड़े का यह तीसरा बड़ा पोत है.
यूक्रेन का पानी वाला ड्रोन
ऐसे में मन में सवाल उठ सकता है कि आखिर यूक्रेन के पास ऐसा क्या है कि वह रूस के जंगी बेड़े को बूम-बूम कर रहा है. दरअसल, यूक्रेन समुद्री ड्रोन बनाने में काफी आगे है. इसी की मदद से वह रूस के जंगी जहाजों को डुबो रहा है. मागुरा ड्रोन (Magura 5 drone) पांच मीटर लंबा है और यह 450 नॉटिकल मील की रेंज में अपने मिशन को अंजाम दे सकता है. यह समंदर की सतह पर बहुत कम दिखाई देता है. अपने साथ 320 किलो तबाही का सामान लेकर चल सकता है जो बड़े जहाजों को डुबोने के लिए काफी है. इससे बचने के लिए रूस कई तरह के जाल का इस्तेमाल करता है लेकिन यह 'छोटकू' चकमा देकर निकल जाता है.
यूक्रेन को फायदा
काला सागर में यूक्रेन की पकड़ मजबूत होने से उसका समुद्री मार्ग सेफ हो गया है जिससे वह अपने अनाज और दूसरी उपज को ओडेसा पोर्ट से निर्यात कर सकता है. यह रूट या कहें पोर्ट उसके लिए लाइफलाइन की तरह बनकर उभरा है क्योंकि लड़ाई लंबी खिंचने से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है.
दोनेत्स्क और खारकीव के पूर्वी क्षेत्रों में पड़ रही भीषण सर्दी के बीच राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने कुछ दिन पहले ही एक इंटरव्यू में कहा कि रूस ने कई जहाज खो दिए हैं और काला सागर में हम एक ग्रेन कॉरिडोर (अनाज निर्यात का गलियारा) बनाने में कामयाब रहे.
यूक्रेन के लिए खेती
रूस के आक्रमण से पहले यूक्रेन में कृषि की देश की जीडीपी में करीब 11 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. खेती निर्यात राजस्व (कुल का लगभग 40%) का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत था. यूक्रेन के खेतों से होने वाली उपज के चलते वैश्विक अनाज की कीमतें स्थिर रहती थीं. यूक्रेन से अनाज आदि काला सागर के रास्ते ही जाते रहे हैं.
पिछले साल जुलाई में रूस संयुक्त राष्ट्र की काला सागर डील से बाहर हो गया. इसके तहत उसने यूक्रेन को अपने बंदरगाहों से दुनिया के बाजारों में 31.5 मिलियन टन अनाज और दूसरे खाद्य उत्पादों को जहाज से भेजने के लिए सुरक्षित मार्ग देने की हामी भरी थी. यह डील एक साल से कम समय तक एक्टिव रही.
इसके बाद यूक्रेन ने साहस दिखाया और व्यापारिक शिपिंग के लिए एकतरफा काला सागर कॉरिडोर की घोषणा की. दूसरी तरफ यूक्रेन ने काला सागर में तैनात रूस के बेड़े पर समुद्री ड्रोन और मिसाइल हमले बढ़ा दिए. यह गलियारा NATO के दो सदस्य देशों रोमानिया और बुल्गारिया के पास से गुजरता है.
समंदर की जंग हार रहा रूस?
हां, देखने में तो ऐसा ही लग रहा है. यूक्रेन की सेना ब्लैक सी में अब तक रूस के एक तिहाई बेड़े को बर्बाद कर चुकी है. बाकी बचे शिप शायद ही आधे समंदर में जाते होंगे. पिछले साल अगस्त में रूस ने काला सागर से अपने कई युद्धपोतों को सुरक्षित बंदरगाहों पर शिफ्ट कर दिया था. कई रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि रूस ने यूक्रेन ड्रोन से बचने के लिए अपने जहाजों को काला सागर के पूर्वी छोर पर ही सीमित कर रखा है.