What is  DRDO ROV Daksh: उत्तरकाशी में मजदूरों को रेस्क्यू करने का अभियान आज भी जारी है. माना जा रहा है कि अगले 24 से 48 घंटे बड़ी खुशखबरी मिल सकती है. आज अभियान का 11वां दिन है. फिलहाल होरिजेंटल ड्रिलिंग का काम जारी है. 10 दिन से उत्तरकाशी की टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही टीम को कामयाबी मिलने लगी है. पहले 6 इंच के पाइप से मजदूरों तक खाना पहुंचा. उसके बाद मजदूरों का वीडियो आया तो उनके सुरक्षित बाहर आने की उम्मीद भी पुख्ता हो गई. अब इस ऑपरेशन में और तेजी आने वाली है, क्योंकि टनल में DRDO का 'दक्ष' पहुंचा गया है. दक्ष बहुत जल्द मजदूरों तक पहुंचेगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दक्ष कौन है और क्या काम करेगा.


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'दक्ष' एक रोबोट है, जिसे DRDO ने बनाया है


'दक्ष' नाम सुनकर लगता है कि कोई शख्स है जो मजदूरों की मदद के लिए उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में पहुंचा है. लेकिन, ये कोई इंसान नहीं, बल्कि रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल यानी एक रोबोट है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है. दक्ष और उसके छोटे वर्जन दक्ष स्काउट दोनों को लेकर DRDO की टीम उत्तरकाशी पहुंची है.


आड़ी-तिरछी, ऊबड़-खाबड़ जगहों पर भी चलेंगे


दक्ष और उसके छोटे वर्जन दक्ष स्काउट को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये मोटराइज्ड पैन-टिल्ट प्लेटफॉर्म पर काम कर सकें. मतलब, ये दोनों रोबोट आड़ी-तिरछी और ऊबड़-खाबड़ जगहों पर भी चल सकते हैं. 


रेस्क्यू टीम को 2 दिन में मिली 2 कामयाबी


रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीम को दो दिन में दो कामयाबी मिली हैं. 9वें दिन 6 इंच का पाइप टनल के अंदर पहुंचा, जिसके जरिए मजदूरों तक खाना पहुंचा. इसके साथ ही मजदूरों तक जरूरी सामान भी पहुंचाया गया. जबकि, 10वें दिन बड़ी खुशखबरी आई. टीम ने पाइप के जरिए कैमरा भेजा और मजदूरों से बात की. अब टीम का फोकस है जल्द से जल्द मजदूरों का रेस्क्यू किया जाए. इस रेस्क्यू में DRDO का रोबोट 'दक्ष' काफी मददगार साबित होगा.


क्या-क्या हैं DRDO के दक्ष की खूबियां?


दक्ष की खूबियों की बात करें तो ये ROV सीढ़ियों पर चढ़ सकता है. लगातार तीन घंटे काम का सकता है. 100 से 500 मीटर के दायरे से ऑपरेट हो सकता है. ढाई मीटर दूर से 20 किलो की चीज को उठा सकता है. जबकि, 4 मीटर की दूरी से 9 किलो की वस्तु को उठा सकता है. इसमें कैमरा, मास्टर कंट्रोल स्टेशन, शॉटगन, IED हैंडलिंग टूल भी हैं. इस रोबोट से बचाव राहत कार्य में लगी एजेंसियों को सुरंग में जोखिम भरे रास्तों का पता लग सकता है. माना जा रहा है कि इसे सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों की निगरानी के लिए भी भेजा जा सकता है. इसमें लगे कैमरों से सुरंग के अंदर की स्थिति का अंदाजा भी लगाया जा सकेगा.


सुरंग में 5 रास्ते बनाने पर रेस्क्यू टीम कर रही काम


सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर चौतरफा काम चल रहा है. सुरंग में 5 दरवाजा बनाने की तैयारी रेस्क्यू टीम कर रही है, ताकि पांचों में से जो भी रास्ता सबसे पहले बनकर तैयार हो. उससे मजदूरों को बाहर निकाला जा सके. अंतर्राष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स की निगरानी में उत्तरकाशी में मिशन जिंदगी पर काम चल रहा है.


अंतर्राष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स ने बताया कि एक रेस्क्यू ऑपरेशन पहाड़ी के ऊपर से करने की कोशिश है. दूसरा पहाड़ी के पीछे से भी ड्रिल करने की कोशिश हो रही है. साइट पर हम एक और ऑप्शन पर भी काम कर रहे हैं. मैं इसे ऐसे देखता हूं कि हम सुरंग में 5 दरवाजा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हमें नहीं पता है कि पहले कौन सा दरवाजा खुलेगा, लेकिन फंसे हुए मजदूर घर जरूर जाएंगे.


ऑगर मशीन ने भी दोबारा शुरू किया काम


सिलक्यारा सुरंग के जिस मेन गेट से 3 फीट व्यास का पाइप डाला जा रहा था. ऑगर मशीन के ठीक होने के बाद एक बार फिर से ड्रिलिंग शुरू कर दी गई है. इस पाइप के जरिए अब तक 34 मीटर तक ड्रिलिंग की जा चुकी है. ड्रिलिंग के बाद उसमें अब तक 5 से ज्यादा पाइप डाली जा चुकी है. मलबा 60 से 70 मीटर तक है. मतलब अब भी आधे रास्ते की ड्रिलिंग बाकी है. Escape रूट बनाने के लिए जिन पाइप्स का इस्तेमाल किया जा रहा है वो टनल के अंदर ले जाए जा रहे हैं.


उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में रेस्क्यू प्लान के तहत पहाड़ी के ऊपर से भी एक रास्ता बनाया जा रहा है. इसी के साथ सुरंग के पिछले हिस्से से भी एक ड्रिलिंग चल रही है . इसके अलावा NDRF की टीमें कुछ अलग तैयारियां भी कर रही हैं. ताकि जरूरत पड़ने पर वो रेंग कर सुरंग के अंदर जा सकें. रेस्क्यू टीम जिस स्पीड से काम कर रही हैं. उससे उम्मीद लग रही है कि अगले 2 दिन में एक और अच्छी खबर मिल सकती है.