Heatwave Warning In India: लू के थपेड़ों ने अप्रैल में झुलसा कर रख दिया. मौसम विभाग के अनुसार, अधिकतर इलाकों में भीषण गर्मी पड़ी. अप्रैल में लू से दक्षिणी इलाके ज्यादा प्रभावित रहे. उत्तर भारत में तो लू ने अभी असली रंग दिखाना शुरू भी नहीं किया है. अप्रैल के चार दिनों (1, 10, 11 और 12 अप्रैल) को छोड़कर बाकी सभी दिन लू चली है. IMD के अनुसार, सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में दक्षिण के प्रायद्वीपीय इलाके रहे. ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के साथ-साथ कर्नाटक, केरल, सिक्किम, बिहार, झारखंड और गंगीय पश्चिम बंगाल में भयानक लू चली. ओडिशा में 15 अप्रैल तो गंगीय बंगाल में 17 अप्रैल से भयानक लू की स्थितियां बनी हुई हैं. गर्मियों के मौसम में, मार्च से जून के बीच और कभी-कभी जुलाई में लू जैसी स्थितियां बनती हैं. आखिर लू चलने का पैमाना क्या है? इस बार अप्रैल में भीषण गर्मी क्यों पड़ी? मई-जून में क्या होगा? मौसम से जुड़े इन अहम सवालों के जवाब आगे जानिए.


किन इलाकों में भीषण लू का खतरा?


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देश का कोर लू जोन (CHZ) गुजरात से पश्चिम बंगाल के बीच मध्य, उत्तर और प्रायद्वीपीय भारत तक फैला है. इन इलाकों में हर साल गर्मी के मौसम (मार्च से जून) और कभी-कभी जुलाई में भीषण लू चलती है. राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिमी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र में विदर्भ, पश्चिम बंगाल में गंगा के तटवर्ती क्षेत्र, तटीय आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सबसे अधिक लू चलती है.


मौसम विभाग लू का ऐलान कब करता है?


IMD ने लू का पैमाना तय कर रखा है. कम से कम दो मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या ज्यादा दर्ज होने पर या सामान्य से 4.5 डिग्री अधिक होने पर लू की घोषणा की जाती है. तटीय इलाकों में तापमान 37 डिग्री पार करने पर लू की घोषणा होती है. पहाड़ी एरिया में अधिकतम तापमान 30 डिग्री से ऊपर जाने पर लू की स्थिति बनती है. अगर तापमान सामान्य से 6 डिग्री या ज्यादा दर्ज हो तो IMD भीषण लू की घोषणा करता है.


IMD ने जारी किया लू का अलर्ट

अप्रैल में इतनी गर्मी क्यों पड़ी?


मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अप्रैल में देश के अधिकांश हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ेगी. अप्रैल में इतनी गर्मी पड़ने की दो बड़ी वजहें हैं. पहली तो यह कि 2024 की शुरुआत ही अल नीनो में हुई. अल नीनो एक मौसमी परिघटना है जिसमें भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर का सतही पानी असामान्य रूप से गर्म हो जाता है. इसकी वजह से दुनिया के कई हिस्सों में भयानक गर्मी पड़ती है. अल नीनो जून 2023 में डेवलप हुआ था. IMD के महानिदेशक मृत्युंजय मोहपात्रा के अनुसार, जिन सालों की शुरुआत ही अल नीनो में होती है, उन सालों में एक्सट्रीम तापमान, भयानक और लंबी लू, प्री-मॉनसून बारिश की कमी जैसी परेशानियां आती हैं. 


दूसरी वजह, दक्षिणी प्रायद्वीपीय और दक्षिण-पूर्वी तटीय क्षेत्र में एंटी-साइक्लोन सिस्टमों की लगातार मौजूदगी है. हाई प्रेशर वाले ये सिस्टम करीब 3 किलोमीटर की ऊंचाई पर मिलते हैं. इनकी लंबाई 1,000 से 2,000 किलोमीटर के बीच हो सकती है. ये अपने नीचे की हवा को धरती की ओर धकेलते हैं. जबरन नीचे धकेली गई हवा सतह के करीब आते हुए और गर्म हो उठती है. एंटी-साइक्लोन सिस्टमों की वजह से जमीनी हवा समुद्र की ओर चलने लगती है. समुद्र की ठंडी हवाएं जमीन की ओर नहीं आ पातीं. अल नीनो और एंटी-साइक्लोन सिस्टमों  की वजह से अप्रैल में भयानक गर्मी और लू पड़ी. 


मई-जून में क्या होगा?


पूरी दुनिया गर्मी की मार झेल रही है. वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) ने जनवरी में 2023 को अब तक का सबसे गर्म साल घोषित किया था. मौसम विज्ञानियों ने आशंका जाहिर की है कि 2024 पिछले साल से भी गर्म साबित हो सकता है. इसकी एक वजह अल नीनो को बताया गया था. IMD के मुताबिक, अल नीनो की स्थितियां मई और जून में भी बरकरार रहने की उम्मीद है. गर्मी के सीजन में अल नीनो के चलते तापमान में और इजाफा देखने को मिल सकता है. मौसम वैज्ञानिकों ने पहले कहा था कि जून से अल नीनो का प्रभाव खत्म होने लगेगा. अगस्त तक ला-नीना की स्थितियां बनती हैं तो मॉनसून बेहतर रह सकता है.