Jharkhand Politics News: झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले शुक्रवार (30 अगस्त)  को बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत  पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सीनियर नेता चंपई सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया. कुछ दिन पहले ही उन्होंने जेएमएम से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी में शामिल होने का संकेत भी दिया था. उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की थी.


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पहले की तरह झारखंड के लिए लड़ेंगे, बीजेपी में आने के बाद बोले चंपई


बीजेपी में शामिल होने के दौरान चंपई सोरेन ने कहा, ''मैंने 18 अगस्त को ही पोस्ट किया था कि जिस पार्टी को मैंने अपने खून-पसीने से बनाया है, उसमें मेरे साथ क्या राजनीति हुई... मैंने सोच लिया था कि नई पार्टी या संगठन बनाऊंगा या फिर अगर मुझे कोई साथी मिलता है, तो मैं झारखंड की भलाई के लिए उनके साथ जुड़ूंगा. हमें बीजेपी के रूप में एक अच्छा साथी मिला है, मैं आज बीजेपी में शामिल हो रहा हूं. हम पहले की तरह झारखंड के लिए लड़ेंगे. झारखंड के विकास के लिए काम करेंगे, आदिवासियों के अस्तित्व को बचाने के लिए हम झारखंड का विकास करेंगे."


केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चंपई सोरेन का बीजेपी में स्वागत किया


रांची में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चंपई सोरेन का बीजेपी में स्वागत किया. उन्होंने कहा कि बीजेपी के लिए और झारखंड को बचाने के लिए एक चंपई सोरेन एक बहुमूल्य एसेट साबित होंगे. वह एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री बनकर झारखंड को सही रास्ते पर लाने के लिए काम किया और बदले में उनकी जासूसी की गई. चंपई सोरेन का अपमान किया गया, यह सिर्फ उनका नहीं बल्कि पूरे झारखंड का अपमान है. उन्होंने आज बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है और हम उनका स्वागत करते हैं. उनके शामिल होने से झारखंड में बीजेपी को मजबूती मिलेगी. राजनीति के लिए यह एक निर्णायक मोड़ है.”



बीजेपी के कितने काम आएगा कोल्हान टाइगर का शानदार चुनावी रिकॉर्ड


शुरुआती असमंजस के बाद आखिरकार बीजेपी ने वर्षों तक अपने प्रतिद्वंदी रहे और कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपई सोरेन का स्वागत तो कर लिया है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या वह आगामी विधानसभा चुनाव में जेएमएम समेत विपक्षी इंडिया गठबंधन के दूसरे दलों को हराने में बीजेपी की मदद कर पाएंगे? हालांकि, अब तक सात बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले चंपई सोरेन को बस एक बार हार का सामना करना पड़ा है. मगर उनका ये चुनावी रिकॉर्ड बीजेपी की कितनी मदद कर पाएगा? आइए, जानते हैं कि चंपई सोरेन के ज्‍वाइन करने से बीजेपी को क्‍या फायदा मिलेगा?


आदिवासी बहुल झारखंड के राजनीतिक भूगोल पर निर्भर चुनावी नतीजे 


आदिवासी बहुल दूसरे राज्यों की तरह ही झारखंड के चुनावी नतीजे भी इसके राजनीतिक भूगोल पर निर्भर करता है. भौगोलिक तौर पर पांच बड़े इलाकों में बांटे जाने वाले झारखंड का राजनीतिक समीकरण भी बेहद जटिल है. विधानसभा सीटों की संख्या की बहुतायात के आधार पर देखें तो पलामू में 9, कोल्हान में 14, दक्षिण छोटानागपुर में 15, संथाल परगना में 18 और उत्तरी छोटानागपुर में 25 सीट है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनका परिवार संथाल परगना इलाके से आता है और चंपई सोरेन कोल्हान इलाके से आते हैं.


कोल्हान इलाके में बीजेपी को चंपई सोरेन से सियासी चमत्कार की उम्मीद


2011 की जनगणना के मुताबिक, कोल्हान इलाके में राज्य की अनुसूचित जनजाति (ST) आबादी का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा (41.96 फीसदी) रहता है. दूसरे इलाके में जनजातियों की आबादी का हिस्सा देखें तो दक्षिण छोटानागपुर में सबसे अधिक 51.1 फीसदी हिस्सा है. झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में जेएमएम और उसके सहयोगियों ने कोल्हान इलाके में 14 विधानसभा सीटों में से 13 जीते थे. चंपई सोरेन पूरी कोल्हान डिवीजन के तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां अकेले प्रभावशाली नेता हैं. इसलिए बीजेपी को कोल्हान इलाके में चंपई सोरेन से चमत्कार की उम्मीद है.  


रिजर्व सीटों पर बीजेपी और जेएमएम का कैसा रहा है जनाधार का इतिहास


कोल्हान इलाके में 1980 के बाद हुए नौ विधानसभा चुनावों में से चार में बीजेपी ने आरक्षित सीटों में अधिकतम सीटें जीती हैं. हालांकि, 2019 के चुनाव में जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन की जीत हासिल का सबसे बड़ा कारण इन्हीं 28 आरक्षित सीटों में 89.3 फीसदी जीत का स्ट्राइक रेट था. राज्य की बाकी 53 सीटों में बीजेपी और जेएमएम गठबंधन 23 और 22 सीटों पर जीत के साथ सियासी तौर पर लगभग बराबर पर थे. बाकी आठ सीटों पर दूसरे दलों को जीत मिली थी. इसलिए बीजेपी की रणनीति इस बार हर हाल में आरक्षित सीटों पर वापसी की है. इस चुनावी मुहिम में चंपई सोरेन बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. 


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पीएम मोदी को बताया आदिवासियों की पहचान और अस्तित्व का रखवाला


चंपई सोरेन ने इसके चलते ही जेएमएम छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने दोनों ही समय आदिवासियों के लिए किए अपने काम और संघर्ष का भरपूर हवाला दिया है. अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा कि आदिवासियों की पहचान और अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में मैंने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला किया. चंपई सोरेन ने अपने पोस्ट में झारखंड के आदिवासी इलाके में बदलती डेमोग्राफी और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा भी उठाया था. 


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बीजेपी के कोर सियासी मुद्दे को उठाने और बढ़ाने में मिलेगी बड़ी मदद


चंपई सोरेन ने इसके साथ ही रोजगार के साथ ही बहन-बेटियों की सुरक्षा से जुड़ा विषय भी मजबूती से उठाया. उन्होंने लिखा कि इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है. अन्य दल वोटों की खातिर इसे इग्नोर कर रहे हैं इस बारे में सिर्फ बीजेपी सीरियस दिखाई दे रही है.


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