Champai Soren Next Step: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने विधानसभा चुनाव से पहले अपनी सधी हुई सियासी चाल से सभी राजनीतिक दलों को उलझन में डाल दिया है. चंपई के अगले कदम को लेकर उनकी पुरानी पार्टी झामुमो के अलावा भाजपा भी काफी कंफ्यूजन में दिख रही है.
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Jharkhand Assembly Elections: झारखंड के कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री रह चुके दिग्गज आदिवासी नेता चंपई सोरेन इन दिनों सियासी सुर्खियों में हैं. झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को छोड़कर चंपई सोरेन ने नया राजनीतिक दल बनाने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, पहले सीएम पोस्ट और फिर झामुमो छोड़ने के बीच कई दिन तक उलझनों में रहे चंपई ने अब भाजपा सहित कई पार्टियों को सियासी तौर पर उलझा दिया है.
झारखंड में 'चंपई ने बढ़ा दी चकल्लस' जुमला पॉपुलर
इन दिनों 'चंपई ने बढ़ा दी चकल्लस' वाले सियासी जुमले के साथ रांची समेत झारखंड के कई शहरों में बहस छिड़ गई है. क्योंकि सीएम की कुर्सी छोड़ने के बाद चंपई सोरेन का झामुमो से इस्तीफे के बारे में तो कयास सटीक साबित हुआ, लेकिन उनके अगले कदम को लेकर कुछ साफ नहीं हो सका. चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बारे में काफी चर्चा हुई, लेकिन वह सच साबित नहीं हो सका. क्योंकि इस मुद्दे पर भाजपा भी अंदरूनी तौर पर उलझनों की शिकार हो गई.
झारखंड की सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी भाजपा
दरअसल, पांच साल बाद झारखंड की सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी भाजपा के रणनीतिकारों में चंपई सोरेन को लेकर शुरुआत से ही दो तरह की राय बन रही है. भाजपा के अंदर एक समूह चंपई सोरेन को झामुमो छोड़ते ही अपने साथ जोड़कर राज्यसभा भेजने के पक्ष में था. वहीं, दूसरा वर्ग उन्हें भाजपा में लेने के भी खिलाफ था. इस वर्ग ने दलील दी है कि चंपई सोरेन की सीधी एंट्री से भाजपा को कोई चुनावी लाभ नहीं होगा. हालांकि, अगर चंपई सोरेन अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ें तो झामुमो के वोट बैंक में सेंध लगने से भाजपा को कुछ फायदा हो सकता है.
चंपई सोरेन ने भाजपा के हिसाब से बढ़ाया अगला कदम
आगे की रणनीति के तौर आखिरकार चंपई सोरेन ने वही कदम उठाया. दिल्ली में बातचीत परवान नहीं चढ़ने पर कोलकाता के रास्ते झारखंड लौटकर चंपई सोरेन ने नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि वह गठबंधन के लिए भी तैयार हैं. इसके बाद झामुमो के साथ ही भाजपा की उलझन भी और ज्यादा बढ़ गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड की 14 विधानसभा सीटों पर असर रखने वाले चंपई सोरेन से सियासी गठबंधन को लेकर भी भाजपा में दो तरह के विचार सामने आए हैं.
दोहरी उलझन में भाजपा, चंपई को लेकर बदली रणनीति
इस बार झारखंड में सबसे ज्यादा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयारी कर रही भाजपा के शीर्ष नेताओं को लगता है कि अगर चुनाव पूर्व गठबंधन किया तो चंपई सोरेन को कुछ सीटें भी देनी पड़ेगी. वहीं, चुनाव में चंपई की आजाद चाल से चुनाव में झामुमो को नुकसान और भाजपा को फायदा हुआ तो बाद में जरूरत पड़ने पर समझौता किया जा सकता है. वहीं, झारखंड भाजपा के कई दिग्गज आदिवासी नेताओं बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और सीता सोरेन वगैरह ने भी फिलहाल चंपई से सियासी दूरी पर जोर दिया है.
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सीता सोरेन के बाद चंपई सोरेन के जाने से संकट में झामुमो
इस बीच चंपई सोरेन का साथ देने की संभावना वाले झामुमो के विधायकों की संख्या भी घट गई. झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन के परिवार में सीता सोरेन के जरिए सेंध लगा चुकी भाजपा ने चंपई सोरेन को पार्टी से तोड़कर लाने की अटकलों को लगातार खारिज किया. हालांकि, हिंमत विस्व शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, लक्ष्मीकांत वाजपेयी और दीपक प्रकाश समेत झारखंड चुनाव में जुटे भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने चंपई सोरेन को लेकर सवालों पर पर गोलमोल बयानों से सियासी चर्चाओं को जारी रहने दिया.
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