Bihar Legislative Assembly: बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन सदन में आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष की नारेबाजी और हंगामे के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अचानक तमतमा उठे. उन्होंने गुस्से में आकर राजद की महिला विधायक को कड़ी फटकार लगा दी. नए आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहीं राजद की विधायक रेखा पासवान को उन्होंने कहा, "अरे तुम महिला हो... कुछ जानती नहीं हो." इसके बाद विवाद और बढ़ गया.


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अरे हम 2005 के बाद महिला को आगे बढ़ाए... बोल रही हो फालतू


बिहार विधानसभा में विपक्ष पर बिफरे नीतीश कुमार ने इसके बाद क्रेडिट लेते हुए कहा कि 2005 के बाद हमने ही महिलाओं को आगे बढ़ाया था. इसलिए वो आज इतना बोल पा रही हैं. उन्होंने सदन में कहा, 'आप जानते हैं कि ये काम हम लोगों ने करवाया और जब आप लोगों के साथ थे तो ये सब लोगों ने सपोर्ट किया और जब सब लोगों को सपोर्ट किया गया सर्वसम्मति से, अरे महिला हो कुछ जानती नहीं हो, अरे बोल रही हैं. कहां से आते, इन लोगों के साथ जो हैं, ये लोग कोई महिला को आगे बढ़ाया था? अरे हम 2005 के बाद महिला को आगे बढ़ाए. बोल रही हो फालतू. चुप रहो.'


अरे आप सुनिए ना, आप सुन क्यों नहीं रहे हैं? हम तो सुनाएंगे...


सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आरक्षण को लेकर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगाई है. इसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सरकार की ओर से इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भी आग्रह किया गया है. उन्होंने कहा, 'आप लोग जो ऐसे ही बोलते रहते हैं, ये लोग भूल जाते हैं कि हमने इसको कितना ज्यादा किस तरह से आप लोगों को भी कहकर करवाया था. ये मेरी इच्छा थी और सब लोग एग्री किए थे. सुनिए, चुप रहिए. अगर बैठ करके सुनते तो पता चलता कि सचमुच आप कुछ चाहते हैं. अरे आप सुनिए ना, आप सुन क्यों नहीं रहे हैं? हम तो सुनाएंगे.'



जदयू अध्यक्ष और सीएम नीतीश कुमार के आपा खोने का सिलसिला


बिहार सरकार में आने के बाद शुरुआत में 'सुशासन बाबू' के नाम से चर्चित जदयू के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के सदन के अंदर रह-रहकर आपा खोने का यह सिलसिला कुछ वर्षों में अचानक बढ़ गया है. कभी एनडीए और कभी महागठबंधन में रहते हुए उन्होंने विधानसभा के अंदर तत्कालीन स्पीकर विजय कुमार सिन्हा, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी तक को बुरी तरह झिड़का था.


विधानसभा सत्र में खुद के खिलाफ लगाने लगे थे मुर्दाबाद के नारे


इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी महीने में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हुए थे. उनके दोबारा पाला बदलने के बाद विधानसभा बजट सत्र में राजद विधायकों ने नारेबाजी की तो नाराज नीतीश कुमार खुद ही खुद के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे. हालांकि, सत्र खत्म होने के बाद उन्होंने कहा कि जो लोग उनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं, उसे जनता सबक सिखा देगी.


बिहार विधानसभा के 100 साल से ज्यादा के इतिहास में पहली बार


बिहार विधानसभा के 100 साल से ज्यादा के इतिहास में पहली बार साल मार्च, 2022 में सदन के नेता और आसन के बीच तीखा टकराव हुआ था. लखीसराय में कानून व्यवस्था के मसले पर सदन के अंदर भाजपा ने मुद्दा उठाया तो चैंबर में बैठे सीएम नीतीश कुमार हाउस में आकर स्पीकर विजय कुमार सिन्हा को ही संविधान और कानून का पाठ पढ़ाने लगे और दायरे में रहने कहा था. हालांकि, बाद में सदन के बाहर जदयू उनके रवैए पर सफाई देने पर मजबूर हो गई थी.


पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को तू-तड़ाक तक कर बैठे थे नीतीश कुमार


इसके बाद नवंबर, 2023 में सदन के अंदर नीतीश कुमार ने अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी को तू-तड़ाक तक कर बैठे थे. जदयू के पुराने साथी के अलावा एनडीए और महागठबंधन में दोनों में सहयोगी रह चुके मांझी को उन्होंने कहा था कि ये मेरी मूर्खता की वजह से सीएम बना. मामला बिगड़ता देख विजय कुमार चौधरी ने नीतीश कुमार को रोका था.


ये क्या मुख्यमंत्री था, ये मेरी मूर्खता से सीएम बना, गवर्नर बनना चाहता है...


जातिगत सर्वे और आरक्षण का दायरा बढ़ाने के मुद्दे पर तीखी बहस के दौरान भड़के सीएम नीतीश ने कहा था, 'इस आदमी (मांझी) को कोई आइडिया है. इसको हमने मुख्यमंत्री बना दिया था. दो महीने के अंदर ही मेरी पार्टी के लोग कहने लगे इसको हटाइए. ये गड़बड़ है. फिर हम मुख्यमंत्री बने थे. कहता रहता है, ये मुख्यमंत्री था... ये क्या मुख्यमंत्री था. ये मेरी मूर्खता से सीएम बना. अब ये (मांझी) गवर्नर बनना चाहता है.' 


जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए बहके, फिर की खुद की निंदा-मांगी माफी


नवंबर 2023 में ही महागठबंधन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार विधानसभा में विपक्ष के उठाए जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर बोलते हुए बहक गए और महिलाओं पर विवादित टिप्पणी कर दी. उन्होंने बेहद आपत्तिजनक लहजे में कहा था कि महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं होती हैं, इसलिए शारीरिक संबंध बनाने से इनकार नहीं कर पाती हैं. महिलाएं पढ़ लेंगी तो पति को बर्थ कंट्रोल के मामले में सही गाइड करेगी. हंगामां मचने पर उन्होंने सदन में खुद की निंदा करते हुए माफी भी मांग ली.


अपने बाप से पूछो कि उन्हें मुख्यमंत्री किसने बनाया... तेजस्वी पर खोया आपा


इन दोनों घटनाओं से पहले साल 2021 में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपराध के मुद्दों पर सीएम नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश की तो वह बुरी तरह फायर हो गए. तेजस्वी के आरोप पर नीतीश ने आपा खोते हुए कहा कि अपने बाप से पूछो कि उन्हें मुख्यमंत्री किसने बनाया. तुम मेरे गोद में खेले हो, इसलिए तुमको कुछ नहीं कहते हैं, लेकिन तुम्हारा आचरण लगातार देख रहा हूं और यह गलत है. नीतीश कुमार के इस बयान पर भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी.


आप इतनी सुंदर हैं, लेकिन आपको यह पता नहीं है... महिला विधायक पर भड़के


साल 2021 में ही विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान नीतीश कुमार ने महिला विधायक निक्की हेम्ब्रम को बेतुका जवाब देकर काफी सुर्खियां बटोरी थी. विधानसभा में शराबबंदी पर बोलते हुए नीतीश कुमार ने आदिवासियों के मुद्दे पर निक्की हेम्ब्रम के महुआ को लेकर छूट मिलने की मांग पर आपा खो दिया. उन्होंने महिला विधायक से कहा, आप इतनी सुंदर हैं, लेकिन आपको यह पता नहीं है कि मैंने आदिवासियों के लिए क्या-क्या किया है? निक्की ने इस बयान को अशोभनीय बताया इसके बाद सदन में हंगामा मच गया.


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सदन में नीतीश कुमार के आपा खोने-भड़कने और बाहर अनोखे रवैए की वजह क्या है


हाल के वर्षों में नीतीश कुमार के सदन में आपा खोने या भड़कने और सदन के बाहर चुनावी मंच हो या सरकारी कार्यक्रम सुर्खियों में रहने वाली अनपेक्षित या हल्के व्यवहार करने को लेकर कई तरह के दावे सामने आते रहे हैं. राजनीतिक जगत में तमाम तरह की बातें करने के साथ ही चिंता जताई जा रही है. जीतनराम मांझी तो नीतीश कुमार के खाने में कुछ मिलाए जाने की शंका जता चुके हैं. वहीं, कुछ लोगों ने नीतीश कुमार के ऐसे रवैए को उम्र बढ़ने के बाद होने वाली बीमारियों का प्रभाव बताया है. हालांकि, कुछ विरोधी इसे नीतीश कुमार के मनमाफिक राजनीतिक परिणाम नहीं होने से उपजा तनाव का असर भी कहते हैं. 


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