Quad Cancer Moonshot: क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के राष्ट्राध्यक्षों ने कैंसर मूनशॉट प्रोग्राम में हिस्सा लिया और अपना संबोधन दिया. इस वर्ष की क्वाड समिट की थीम कैंसर मूनशॉट पर ही आधारित थी. आइए सबसे पहले जानते हैं आखिर क्या है कैंसर मूनशॉट प्रोग्राम. एक साल में 150,000 महिलाओं की मौत पर कैसे है 'ब्रह्मास्त्र', भारत का इससे क्या होगा फायदा?


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क्या है कैंसर मूनशॉट प्रोग्राम?
कैंसर मूनशॉट कार्यक्रम मुख्य रूप से कैंसर से लड़ने के लिए बनाया गया है. कैंसर अनुसंधान में वैज्ञानिक खोज में तेजी लाने, अधिक सहयोग को बढ़ावा देने और कैंसर डेटा के साझाकरण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था. कैंसर अनुसंधान के उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके, जो नए निवेश के परिणामस्वरूप अमेरिकी लोगों को सबसे अधिक लाभ पहुंचाने की संभावना रखते हैं, कैंसर मूनशॉट ने रोगियों, अधिवक्ताओं, शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के एक बड़े समुदाय को एक साथ लाया है. यह कार्यक्रम कैंसर को समाप्त करने के लिए अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित हैं.


2016 में बना कैंसर मूनशॉट प्रोग्राम, बराक ओमाबा की है पहल
कैंसर मूनशॉट प्रोग्राम की शुरूआत जनवरी 2016 में हुई. उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा अपने अंतिम स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन के दौरान कैंसर मूनशॉट प्रोग्राम की बात कही. इसके लिए कैंसर अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण ध्यान और धन प्राप्त किया जाना था. अभी इस पहल का नेतृत्व बाइडेन कर रहे हैं, जो उस समय उपराष्ट्रपति थे. यह कार्यक्रम उनके लिए व्यक्तिगत था, क्योंकि उनके बेटे ब्यू बाइडेन का साल 2015 में मस्तिष्क कैंसर से निधन हो गया था.


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कैंसर मूनशॉट के लक्ष्य क्या हैं?
कैंसर और इसकी रोकथाम, प्रारंभिक पहचान, उपचार और इलाज की समझ को तेज करना.


· रोगी की पहुंच और देखभाल में सुधार करना.
· नए शोध, डेटा और कम्प्यूटेशनल क्षमताओं तक अधिक पहुंच का समर्थन करना.
· कैंसर उपचारों के विकास को प्रोत्साहित करना.
· किसी भी अनावश्यक विनियामक बाधाओं की पहचान करना और उनका समाधान करना तथा प्रशासनिक सुधारों में तेजी लाने के तरीकों पर विचार करना.
· संघीय संसाधनों का इष्टतम निवेश सुनिश्चित करना.
· सार्वजनिक-निजी भागीदारी विकसित करने और निजी क्षेत्र के साथ संघीय सरकार के प्रयासों के समन्वय को बढ़ाने के अवसरों की पहचान करना.


इंडो-पैसिफिक में 150,000 महिलाओं की हर साल मौत
जो बाइडेन ने क्वाड शिखर सम्मेलन में कैंसर मूनशॉट की घोषणा की और कहा कि मैं बेहद गर्व के साथ कह रहा हूं कि क्वाड कैंसर मूनशॉट विश्व में कैंसर की बीमारी को खत्म करने में मदद करेगी और इसकी शुरुआत सर्वाइकल कैंसर से होगी. जो बाइडेन ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट करते हुए इसकी जानकारी दी है.  अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा, "सर्वाइकल कैंसर सबसे अधिक रोके जा सकने वाले कैंसरों में से एक है, फिर भी हर साल इंडो-पैसिफिक में 150,000 महिलाओं की इससे मृत्यु हो जाती है."



पीएम मोदी ने खोला खजाना
भारत के ‘वन अर्थ वन हेल्थ’ विजन पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (स्थानीय समय) को सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए सैंपल किट, टेस्ट किट और वैक्सीन के लिए देशों को 7.5 मिलियन अमरीकी डालर की मदद का ऐलान किया. डेलावेयर में कैंसर मूनशॉट कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए भारत के प्रयासों की जानकारी साझा की. 


40 मिलियन वैक्सीन का योगदान
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी घोषणा की कि भारत इंडो-पैसिफिक देशों के लिए 40 मिलियन वैक्सीन खुराक का योगदान देगा. भारत रेडियोथेरेपी उपचार में भी सहयोग करेगा. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि भारत GAVI और QUAD पहल के तहत इंडो-पैसिफिक देशों के लिए 40 मिलियन वैक्सीन खुराक का योगदान देगा. ये 40 मिलियन वैक्सीन खुराक करोड़ों लोगों के जीवन में आशा की किरण बन जाएगी



ऑस्ट्रेलिया सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने वाला दुनिया का पहला देश
ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीस ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने वाला दुनिया का पहला देश बनने की राह पर है. आज, मैं घोषणा कर सकता हूं कि ऑस्ट्रेलिया सर्वाइकल कैंसर के लिए इंडो-पैसिफिक में उन्मूलन साझेदारी के लिए हमारी फंडिंग प्रतिबद्धता का विस्तार कर रहा है. हमें जीवन को बेहतर बनाने के इस साझा प्रयास में अमेरिका, भारत और जापान के साथ खड़े होने पर गर्व है.


कैंसर मूनशॉट कार्यक्रम से भारत को क्या लाभ होगा?
कैंसर मूनशॉट ने अमेरिकी सरकार और सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को प्रेरित किया है, जिससे आगे के काम के लिए एक मजबूत नींव तैयार हुई है. आज तक, कैंसर मूनशॉट ने पांच प्राथमिकता वाले कार्यों को संबोधित करने के लिए 95 से अधिक नए कार्यक्रमों, नीतियों और संसाधनों की घोषणा की है. भारत में होने वाली सभी मौतों में कैंसर सहित गैर-संचारी रोग लगभग 63 प्रतिशत हैं. भारत में कैंसर के मामलों में 2020 की तुलना में 2025 में लगभग 13 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है. ऐसे में भारत के लिए इस तरह की मुहिम बहुत मददगार हो सकती है. खासकर कैंसर रोगियों के लिए. 


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