Inside Story: जब अपने पास बाहुबली रॉकेट है तो सैटलाइट भेजने के लिए एलन मस्क की मदद क्यों ले रहा ISRO?
ISRO GSAT-N2 Will Be Launched By SpaceX: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) के बीच कई कमर्शियल जुड़ावों में से यह पहली डील है. हालांकि, इससे पहले कुछ लोग कहते रहे हैं कि इसरो और स्पेसएक्स कम लागत वाले प्रक्षेपणों के लिए प्रतिस्पर्धी है, लेकिन दोनों के इस साझा कदम ने दुनिया को चौंका दिया है.
Why ISRO Taking Help From Elon Musk: भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीते डोनाल्ड ट्रंप के सबसे करीबी दोस्त एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ हाथ मिलाया है. इस मल्टी-मिलियन डॉलर के सौदे का पहला और बड़ा फायदा स्पेसएक्स को मिल रहा है. इस डील के तलह अगले सप्ताह की शुरुआत में स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट भारत के सबसे आधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-20 ( जीसैट एन-2) भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (Geostationary Transfer Orbit) में ले जाएगा.
इसरो और स्पेसएक्स के बीच पहला और बड़ा कमर्शियल सौदा
यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और स्पेसएक्स (SoaceX) के बीच कई वाणिज्यिक जुड़ावों में से पहला बड़ा कदम है. जबकि कुछ लोग कहते रहे हैं कि इसरो और स्पेसएक्स कम लागत वाले प्रक्षेपणों के लिए प्रतिस्पर्धी हैं. इस बीच, बड़ा सवाल भी खड़ा हुआ है कि जब अपने पास बाहुबली रॉकेट है तो अंतरिक्ष में जीसैट-एन2 (GSAT-N2) सैटलाइट भेजने के लिए इसरो एलन मस्क की मदद क्यों ले रहा है? आइए, इसकी पूरी इनसाइड स्टोरी के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.
अमेरिका के केप कैनावेरल से प्रक्षेपित किया जाएगा जीसैट-एन2
जीसैट-एन2 को अमेरिका के केप कैनावेरल से प्रक्षेपित किया जाएगा. इसरो द्वारा निर्मित 4,700 किलोग्राम का यह सैटेलाइट भारतीय रॉकेटों के लिए बहुत भारी था. इसलिए इसे विदेश में वाणिज्यिक प्रक्षेपण किया जा रहा है. भारत का अपना रॉकेट 'द बाहुबली' या प्रक्षेपण यान मार्क-3 अधिकतम 4,000-4,100 किलोग्राम भार को भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा में पहुंचा सकता था. भारत अब तक अपने भारी सैटेलाइटों को प्रक्षेपित करने के लिए एरियनस्पेस पर निर्भर था, लेकिन वर्तमान में उसके पास कोई भी परिचालन रॉकेट नहीं है.
इसरो के लिए एकमात्र विश्वसनीय विकल्प क्यों बन गया स्पेसएक्स?
इसलिए भारत के पास एकमात्र विश्वसनीय विकल्प स्पेसएक्स के साथ जाना था. क्योंकि चीन के रॉकेट भारत के लिए वर्जित हैं और रूस अपने पड़ोसी देश यूक्रेन के साथ जारी संघर्ष के कारण वाणिज्यिक प्रक्षेपणों के लिए अपने रॉकेट पेश करने में सक्षम नहीं है. दूसरी बात यह भी है कि वैश्विक वाणिज्यिक अंतरिक्ष बाजार में किसी को भी शक नहीं है कि इस मामले में प्राइवेट प्लेयर्स में स्पेसएक्स बहुत आगे है. ये तो हुई सबजेक्ट स्पेसिफिक और कमर्शियल बात, लेकिन बात इससे आगे अंतरराष्ट्रीय संबंध और राजनीति तक भी पहुंचती है.
पीएम मोदी के प्रशंसक हैं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दोस्त एलन मस्क
दुनिया भर में यह बात मशहूर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दूसरे को "मेरा दोस्त" कहकर पुकारते हैं. इन दोनों के साथ ही उद्यमी एलन मस्क भी ट्रंप के मित्र हैं. एलन मस्क ने कह चुके हैं कि वे "पीएम मोदी के प्रशंसक" हैं. अंतरिक्ष प्रक्षेपण की ऑप्टिक्स और टाइमिंग बिल्कुल सही है, लेकिन संयोग से ये डील अमेरिकी चुनाव परिणामों से पहले के हैं, और इसलिए वाशिंगटन डीसी या नई दिल्ली के आलोचक "क्रोनी कैपिटलिज्म" का मुद्दा भी नहीं उठा सकते.
तकनीकी और फायदे के लिहाज से भी इसरो के लिए फायदेमंद सौदा
अब तकनीकी पक्ष और फायदे के लिहाज से देखें तो इसरो की बेंगलुरु स्थित वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राधाकृष्णन दुरैराज ने एनडीटीवी को बताया, "स्पेसएक्स के साथ इस पहले प्रक्षेपण पर हमें अच्छा सौदा मिला है." उन्होंने कहा, "इस विशेष सैटेलाइट को लॉन्च करने की कीमत... तकनीकी अनुकूलता और वाणिज्यिक सौदे... मैं कहूंगा कि स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट पर इतनी भारी सैटेलाइट को लॉन्च करना हमारे लिए अच्छा सौदा था."
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इसरो के 4,700 किलो वजन वाले जीसैट-एन2 का मिशन जीवन 14 वर्ष
इसरो ने 4,700 किलोग्राम वजन वाले जीसैट-एन2 का निर्माण किया है. इसका मिशन जीवन 14 वर्ष है. यह विशुद्ध रूप से व्यावसायिक प्रक्षेपण है, जिसका संचालन एनएसआईएल द्वारा किया जा रहा है. सैटेलाइट 32 उपयोगकर्ता बीम से सुसज्जित है, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र पर आठ संकीर्ण स्पॉट बीम और बाकी 24 विस्तृत स्पॉट बीम शामिल हैं. इन 32 बीम को भारत की मुख्य भूमि में स्थित हब स्टेशनों द्वारा समर्थित किया जाएगा. यह इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी को सक्षम करने में भी मदद करेगा.
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इस वाणिज्यिक प्रक्षेपण पर 60-70 मिलियन डॉलर खर्च होने की उम्मीद
ऐसा अनुमान है कि भारत के संचार उपग्रह को ले जाने के लिए फाल्कन 9 रॉकेट के इस एकल समर्पित वाणिज्यिक प्रक्षेपण पर 60-70 मिलियन डॉलर खर्च होंगे. भारत ने स्पेसएक्स फाल्कन 9 और क्रू ड्रैगन मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रणाली पर सवार होकर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजने के लिए ह्यूस्टन स्थित कंपनी एक्सिओम स्पेस के साथ एक और वाणिज्यिक सौदा भी किया है. उस सौदे की लागत 60 मिलियन यूएस डॉलर होने की उम्मीद है. अंतरिक्ष यात्री भेजने के मिशन से स्पेसएक्स की आय बहुत कम हो सकती है, क्योंकि उड़ान में चार अंतरिक्ष यात्री हिस्सा ले रहे हैं.