Bharat Jodo Yatra: दक्षिण से उत्तर तक क्यों नहीं आ पाया `भारत जोड़ो यात्रा` का असर? कहां हुई चूक
Bharat Jodo Yatra Effect: सवाल उठ रहा है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का असर हिंदी पट्टी वाले राज्यों में क्यों नहीं हुआ? यह साउथ इंडिया तक कैसे सिमट गया?
Bharat Jodo Yatra Failure Reason: एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. 4 में से 3 राज्यों में बीजेपी बंपर जीत मिली है. वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस पावर में आ गई है. 119 में से 64 सीटें जीतकर कांग्रेस ने KCR की BRS को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. तेलंगाना में जीत का क्रेडिट कांग्रेस नेता, राहुल गांधी और उनकी भारत जोड़ो यात्रा को दे रहे हैं. लेकिन अब सवाल ये बनता है कि भारत जोड़ो यात्रा का असर सिर्फ साउथ के राज्यों में ही क्यों दिख रहा है? उत्तर भारत के हिंदी पट्टी वाले राज्यों में भारत जोड़ो यात्रा का फायद क्यों नहीं मिल रहा? कांग्रेस और राहुल गांधी से कहां चूक हो गई?
‘भारत जोड़ो यात्रा’ का क्या फायदा मिला?
बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा सांसद राहुल गांधी की अगुवाई में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ हुई थी. भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से चलकर कश्मीर तक गई थी. भारत जोड़ो यात्रा 5 सितंबर 2022 को शुरू हुई और अगले 5 महीने तक चली. 30 जनवरी को इसका समापन हुआ था. हजारों-हजार लोगों का साथ भारत जोड़ो यात्रा को मिला था. इसने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और संगठन में नई ऊर्जा भर दी थी.
दक्षिण तक सिमटा ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का मैजिक?
हालांकि, भारत जोड़ो यात्रा का चुनावी असर अब तक काफी मिला-जुला रहा है. भारत जोड़ो यात्रा के बाद हुए कर्नाटक में चुनाव हुए और वहां कांग्रेस ने सरकार बना है. अभी तेलंगाना के विधानसभा चुनाव पर भी भारत जोड़ो यात्रा का असर दिखा. यहां कांग्रेस को कामयाबी मिली. कांग्रेस ने सत्ता पर काबिज केसीआर को गद्दी से हटा दिया. लेकिन चिंता की बात है क्या भारत जोड़ो यात्रा का असर सिर्फ दक्षिण तक सिमट कर रह गया? उत्तर भारत के राज्यों में इसका असर क्यों नहीं दिखता है.
हिंदी पट्टी में क्यों नहीं चला ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का जादू?
दक्षिण में भारत जोड़ो यात्रा की कामयाबी के बावजूद मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस हार गई. छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस अच्छी स्थिति में मानी जा रही थी. भारत जोड़ो यात्रा भी यहां से निकली थी. लेकिन फिर भी कांग्रेस हार नसीब हुई. भारत जोड़ो यात्रा का मैजिक नहीं चला. सवाल है कि हिंदी पट्टी में आते-आते भारत जोड़ो यात्रा के असर क्या हो जाता है?
कर्नाटक में था ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का अच्छा स्ट्राइक रेट
गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस को कामयाबी मिली थी तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसका श्रेय राहुल गांधी और भारत जोड़ो यात्रा को दिया था. जान लें कि भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक की 20 विधानसभा सीटों से होकर गुजरी थी और कांग्रेस ने उनमें से 15 पर जीत हासिल की थी.
भारत जोड़ो यात्रा का कितना असर पड़ा?
लेकिन दूसरी तरफ, भारत जोड़ो यात्रा कई दिनों तक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी रही. यहां के कई जिलों से होकर निकली. लेकिन इन तीन राज्यों में भारत जोड़ो यात्रा का चुनावी असर ज्यादा नहीं हुआ. पूर्व कांग्रेस नेता और पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय झा ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा, राहुल गांधी और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ा बदलाव लाने वाली रही है. उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा ने कार्यकर्ताओं और सपोर्टर्स में जोश भरने में मदद की.
क्या कांग्रेस के छत्रपों ने पहुंचाया नुकसान?
लेकिन राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि ऐसा लगता है कि अभी ना तो कांग्रेस और ना ही किसी और विपक्षी दल बीजेपी के कार्ड्स का जवाब देने के लिए तैयार है. बीजेपी के वादों और बातों पर हिंदी पट्टी के लोगों को ज्यादा भरोसा है. वादे तो कांग्रेस भी कर रही है लेकिन वोटर्स ने उनपर विश्वास नहीं किया.
भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी की छवि साउथ में तो सुधरी है लेकिन उनके चेहरे पर हिंदी पट्टी में अभी भी लोग विश्वास नहीं कर पा रहे हैं. इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अशोक गहलोत, कमलनाथ और भूपेश बघेल जैसे छत्रप ओवर कॉन्फिडेंस में थे. यात्रा का पार्टी कार्यकर्ताओं में तो असर था लेकिन आपसी खींचतान भारी पड़ गई और कांग्रेस हार गई.