पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालात बेहद नाजुक है. एम्स ने उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा है. पिछले 24 घंटे में अटल बिहारी वाजपेयी की हालत ज्यादा बिगड़ी है. एम्स के मुताबिक, अटल बिहारी वाजपेयी 11 जून को गुर्दा, नली में संक्रमण, पेशाब की नली और सीने में जकड़न की वजह से भर्ती कराए गए थे. उनकी नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्‍टर्स उनके सभी अंगों पर नजर बनाए हैं. आपको बता दें, 93 वर्षीय वाजपेयी शुगर से पीड़ित हैं और उनकी सिर्फ एक किडनी काम करती है. इसके अलावा शरीर में कई तरह के संक्रमण की वजह से उनकी हालत नाजुक बनी हुई है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि जिस लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर उन्हें रखा गया है, वह क्या होता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्‍या है लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम?
लाइफ सपोर्ट सिस्टम, शरीर के अंगों को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल होने वाला एक प्रोसेस है. शरीर के अंगों को जब जरूरत पड़ती है, उन्हें इस सिस्टम के जरिए सपोर्ट दिया जाता है. इस सिस्टम की मदद से अंग के पास रिकवर होकर सामान्य रूप से काम करने की क्षमता होती है. साथ ही मरीज को जिंदा रखने के साथ उसे रिकवर करने में मदद करता है. हालांकि, जरूरी नहीं कि हर मामले में यह सफल साबित हो. कुछ मामलों में शरीर के अंग रिकवर नहीं हो पाते. 


पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक, वो अटल बिहारी वाजपेयी ही थे...


कब पड़ती है लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम की जरूरत
लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम की जरूरत तब होती है, जब मरीज की सांस की नली, हृदय, गुर्दे और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम फेल हो जाते हैं. कई बार ब्रेन और नर्वस सिस्टम भी फेल हो सकता है. खास बात यह है कि लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम के जरिए शरीर के बाकी अंग अगर काम करते हैं तो नर्वस सिस्टम अपने आप काम करने लगता है. इसके अलावा, हृदय जब काम करना बंद कर दे तो उसे वापस शुरू करने की कोशिश की जाती है. सीपीआर के जरिए ऐसा किया जाता है. सीपीआर से शरीर में खून और ऑक्सीजन को भरपूर मात्रा में पहुंचाया जाता है, जिससे इनका सर्कुलेशन अच्छा हो सके. धड़कन रुकने पर इलेक्ट्रिक पंप शॉक दिए जाते हैं, जिससे धड़कन नियमित हो सके.


कैसे दिया जाता है लाइफ सपोर्ट
सबसे पहले मरीज को वेंटीलेटर पर रखकर ऑक्सीजन दी जाती है. इससे हवा दबाव बनाते हुए फेफड़ों तक पहुंचती है. खासकर निमोनिया और फेफड़ों के फेल होने पर ऐसा किया जाता है. लाइफ सपोर्ट में एक ट्यूब को मरीज की नाक के जरिए शरीर के अंदर डाला जाता है. ट्यूब का दूसरा हिस्सा इलेक्ट्रिक पंप से जोड़ा जाता है.


कब हटाया जाता है लाइफ सपोर्ट सिस्टम
दो स्थिति में ही मरीज का लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाया जाता है. अगर शरीर के अंग उम्मीद मुताबिक सुधार दिखाई दे और अंग काम करना शुरू कर दे तो यह हटाया जा सकता है. लेकिन, अगर एक तय समय तक शरीर के अंगों में सुधार नहीं दिखाई दे तो इसे हटा दिया जाता है. हालांकि, इसे हटाने के लिए परिजनों की सहमति जरूरी है. हालांकि, लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने के बाद भी डॉक्टर्स इलाज जारी रखते हैं.