अल्जाइमर रोग के बारे में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. नेचर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दुर्लभ मेडिकल एक्सीडेंट के कारण अल्जाइमर रोग एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है. हालांकि, यह किसी वायरस या बैक्टीरिया की तरह हवा में नहीं फैलता, बल्कि कुछ खास परिस्थितियों में संक्रमित हो सकता है.


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रिसर्च के अनुसार, 1959 से 1985 के बीच यूके में कुछ मरीजों को अंग दान करने वालों की पिट्यूटरी ग्रंथि से निकाला गया ह्यूमन ग्रोथ हॉर्मोन दिया गया था. दुर्भाग्य से, यह हॉर्मोन दूषित था, जिसके कारण इनमें से कुछ मरीजों को बाद में अल्जाइमर रोग हो गया.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस अध्ययन के सह-लेखक और एमआरसी प्रियन यूनिट के डायरेक्टर प्रोफेसर जॉन कोलिंगे ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि अल्जाइमर रोग हवा में फैलता है. यह वायरल या जीवाणु संक्रमण की तरह नहीं है. यह केवल तब होता है जब लोगों को अनजाने में मानव टिशू या उसके अर्क के साथ टीका लगाया जाता है, जिसमें ये बीज होते हैं. हालांकि, यह स्थिति बहुत दुर्लभ है. अध्ययन में बताया गया है कि जिन मरीजों को दूषित हॉर्मोन दिया गया था, उनके दिमाग में एमिलॉयड-बीटा नामक प्रोटीन का जमाव पाया गया, जो अल्जाइमर रोग की एक प्रमुख विशेषता है.


क्या है अल्जाइमर?
अल्जाइमर बीमारी एक प्रोग्रेसिव न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर है जो मुख्य रूप से मेमोरी और कॉग्नेटिव कामों को प्रभावित करता है. यह डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, जो ब्रेन में असामान्य प्रोटीन जमा होने की विशेषता है, जिससे प्लाक और टंगल्स का निर्माण होता है. जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, व्यक्ति मेमोरी लॉस और दैनिक कामों में कठिनाइयों का अनुभव करते हैं.


अल्जाइमर रोग का कोई इलाज नहीं
अल्जाइमर धीरे-धीरे नियमित गतिविधियों को करने की क्षमता में हस्तक्षेप करता है, स्वतंत्रता और जीवन की क्वालिटी को प्रभावित करता है. इतना ही नहीं, यह जेनेटिक और पर्यावरणीय फैक्टर इसके विकास में योगदान करते हैं. फिलहाल, अभी तक अल्जाइमर रोग का कोई इलाज नहीं है.