विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, शिशुओं के लिए चीनी की सिफारिश नहीं की जाती है. अतिरिक्त चीनी शिशुओं में दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकती है, जिससे उन्हें डायबिटीज जैसे क्रॉनिक बीमारियों का खतरा हो सकता है.


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बच्चों के लिए चीनी का सेवन एक सामान्य बात हो सकती है, लेकिन इसके हानिकारक प्रभावों को समझना माता-पिता के लिए बहुत जरूरी होता है. ऐसे में यदि आप भी अपने बच्चे को चीनी या इससे बने फूड्स खिला रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है. 


वजन बढ़ना और मोटापा

नवजात शिशुओं के आहार में चीनी का सेवन उनकी वृद्धि और विकास के लिए हानिकारक हो सकता है. चीनी में हाई कैलोरी होती है, जिससे शरीर की ऊर्जा जरूरतें पूरी नहीं हो पाती और यह कैलोरी के रूप में शरीर में जमा हो जाती है. इससे शिशु का वजन तेजी से बढ़ सकता है, जो कि भविष्य में मोटापे का कारण बन सकता है.


दांतों का सड़ना

चीनी दांतों पर भी बुरा असर डालती है. जब नवजात शिशु चीनी का सेवन करते हैं, तो यह उनकी दांतों के इनेमल को कमजोर बना देता है, जिससे कैविटी का खतरा बढ़ जाता है. 


खराब डाइजेशन

चीनी खाने से नवजात शिशुओं के पाचन तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता है. इससे पेट में गैस, सूजन या दस्त जैसी समस्याएं पैदा हो सकती है. 

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कमजोर इम्यून सिस्टम

चीनी इम्यून सिस्टम पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है. चीनी की अधिक मात्रा शिशु के शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है. इससे शिशु संक्रमण और बीमारी की चपेट में बहुत जल्दी आ सकता है. एक मजबूत और स्वस्थ इम्यून सिस्टम के लिए, संतुलित आहार और चीनी का सीमित सेवन आवश्यक है।


मानसिक विकास पर असर

चीनी नवजात शिशुओं के मानसिक विकास को भी इफेक्ट करता है. यह उनकी मानसिक विकास में रुकावट पैदा कर सकता है, जो आगे चलकर उनके अकादमिक और सामाजिक विकास को प्रभावित कर सकता है.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.