मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर स्थिति है जिसमें कैंसर ब्रेस्ट से फैलकर शरीर के अन्य भागों, जैसे हड्डियों, लिवर या फेफड़ों में पहुंच जाता है. इस स्टेज-4 ब्रेस्ट कैंसर भी कहा जाता है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ी है, लेकिन इसके बावजूद इसके बारे में कई मिथक और गलत धारणाएं हैं जो इलाज को लेकर भ्रम पैदा करती हैं. इन भ्रांतियों के कारण कई बार मरीज सही उपचार का चुनाव नहीं कर पाते, जिससे उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.


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मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर के प्रिंसिपल डायरेक्टर और मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. गोपाल शर्मा बताते हैं कि कई मरीज यह मानते हैं कि कैंसर का डायग्नोस होने पर केवल कीमोथेरेपी ही एकमात्र विकल्प है. हालांकि, मेडिकल साइंस में हो रहे विकास के चलते अब ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के लिए कई एडवांस तकनीकें उपलब्ध हैं. इन तकनीकों में टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी भी शामिल हैं, जो मरीजों की जीवन-क्वालिटी में सुधार करने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर से गहन चर्चा करके मरीज सही और अपने अनुकूल उपचार का चुनाव कर सकते हैं, जिससे उनके इलाज के नतीजे बेहतर हो सकते हैं.


मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर के बारे में आम मिथक और उनकी सच्चाई


मिथक 1: मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर का मतलब है कि कुछ ही दिन बचे हैं.
सच्चाई: यह सही है कि मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल होता है, लेकिन यह इलाज योग्य है. एडवांस उपचार जैसे टार्गेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी के चलते कई मरीज सालों तक जीवन व्यतीत कर सकते हैं. इन उपचारों का उद्देश्य कैंसर को कंट्रोल करना और मरीज की जीवन-क्वालिटी को सुधारना है.


मिथक 2: मेटास्टेटिक कैंसर का होना मरीज की गलती है.
सच्चाई: कैंसर का पुनः मेटास्टेटिक रूप में प्रकट होना किसी व्यक्ति की गलती नहीं होती. मरीज द्वारा सही उपचार लेने के बाद भी कैंसर का दोबारा फैलना संभव है क्योंकि कैंसर की बायोलॉजी ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड होती है. इसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन सही उपचार से इसका प्रबंधन संभव है.


मिथक 3: मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर का इलाज केवल कीमोथेरेपी है.
सच्चाई: कीमोथेरेपी मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर का एक विकल्प है, लेकिन इसके अलावा टार्गेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी जैसी एडवांस तकनीकें भी उपलब्ध हैं. कैंसर के प्रकार और उसकी विशेषताओं के अनुसार उपचार तय किया जाता है, जिससे मरीज को कम साइड-इफेक्ट्स के साथ बेहतर परिणाम मिलते हैं.


मिथक 4: मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को हमेशा दर्द रहेगा
सच्चाई: कैंसर के हड्डियों में फैलने पर दर्द हो सकता है, लेकिन आधुनिक उपचार और दर्द-मैनेजमेंट तकनीकें इस दर्द को कम करने में सहायक हैं. उचित उपचार से मरीज एक्टिव और सामान्य जीवन जी सकते हैं.


मिथक 5: मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर केवल बुजुर्ग महिलाओं को होता है.
सच्चाई: मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर किसी भी उम्र के व्यक्तियों को हो सकता है. हालांकि उम्र एक रिस्क फैक्टर है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि केवल बुजुर्ग महिलाएं ही इस बीमारी की शिकार हों.


जानकारी और बातचीत से मिलेगी राहत
मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर के बारे में सटीक जानकारी रखने और डॉक्टरों के साथ खुली चर्चा करने से सही उपचार का चुनाव संभव है. गलतफहमियों से फ्री होकर इस बीमारी का मुकाबला करने से मरीजों के जीवन की क्वालिटी में सुधार हो सकता है.